चीन के इस नेता का बड़ा बयानः अगर कबूला मारे गए सैनिकों की बात तो होगा विद्रोह
चीन को डर है कि अगर सेना की संख्या लोगों को पता चली तो देश में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह हो सकता है।
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। वहीं अब तक चीन की तरफ से उसके मारे गए सैनिकों की संख्या सार्वजनिक नहीं की गई है। इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि चीन को डर है कि अगर सेना की संख्या लोगों को पता चली तो देश में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह हो सकता है। इस बात की जानकारी चीन से असंतुष्ट और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के पूर्व नेता के बेटे जियानली यांग ने दी है।
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चीन को सता रहा इस बात का डर
सिटिजन पावर इनीशिएटिव फॉर चाइना के संस्थापक और अध्यक्ष जिनायली यांग ने अमेरिकी न्यूजपेपर वॉशिंगटन पोस्ट में अपने एक लेख में लिखा है कि चीन को इस बात का डर है कि अगर उसने गलवान घाटी में अपने मारे गए सैनिकों की बात मान ली और अगर लोगों को यह बात पता चल गई तो भारतीय जवानों की तुलना में उसके ज्यादा सैनिक मारे गए हैं तो देश में विद्रोह हो सकता है।
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राष्ट्रपति के लिए यह शक्तिशाली समूह बन सकता है मुसीबत
जिनायली यांग ने अपने लेख में आगे लिखा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी PLA लंबे अरसे से कम्युनिस्ट पार्टी की ताकत का आधार स्तंभ है। अगर मौजूदा समय में PLA में कार्यरत कैडरों की भावनाओं को चोट पहुंचती है और अगर वे शी जिनपिंग से नाराज लाखों पूर्व सैनिकों के साथ खड़े हो जाते हैं तो फिर ये एक शक्तिशाली समूह बन जाएंगे। जिससे राष्ट्रपति के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। इसके अलावा ये शक्तिशाली समूह चीनी राष्ट्रपति की सत्ता को चुनौती भी दे सकते हैं।
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भारत ने पूरे सम्मान के साथ याद की जवानों की कुर्बानी
यांग ने लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक झड़प का उदाहरण देते हुए कहा कि इस घटना के एक हफ्ते बाद भी चीन ने झड़प में मारे गए सैनिकों की जानकारी सार्वजनिक नहीं कि जबकि भारत ने पूरे सम्मान के साथ अपने जवानों की कुर्बानी को याद किया। यांग का कहना है कि चीन चीन के इस डर की वजह PLA के करोड़ों पूर्व सैनिकों के दिलों-दिमाग में भड़क रहा आक्रोश है।
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चीन ने अब तक सार्वजनिक नहीं की मारे गए सैनिकों की संख्या
बता दें कि इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे और चीन के 45 सैनिकों के मारे जाने या हताहत होने की खबर जानकारी सामने आई थी। लेकिन चीन ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया। वहीं चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाजो लिजियान ने इस बारे में कहा था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसके अगले दिन उन्हें संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में पूछे जाने पर इस सवाल को अनदेखा कर दिया और चीनी सैनिकों के हताहत होने की खबर को झूठा करार दिया था।
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