धार्मिक स्वतंत्रता पर भारत ने अमेरिका को दिया जवाब, कहा- 'भारत एक जीवंत लोकतंत्र है'

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है, "हम हमारे नागरिकों की स्थिति पर किसी विदेशी सरकार की टिप्पणी को जरूरी नहीं समझते, जिनके (नागरिकों) अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित हैं।"

Update: 2019-06-23 10:03 GMT
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नई दिल्ली : भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग की 'अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता' पर प्रकाशित रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है और भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत को अपनी धर्मनिरपेक्षता पर गर्व है। भारत एक जीवंत लोकतंत्र है, जहां अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों को संविधान के तहत संरक्षित किया गया है।

बता दें इस रिपोर्ट में देश के अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में भी टिप्पणी की गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है, "हम हमारे नागरिकों की स्थिति पर किसी विदेशी सरकार की टिप्पणी को जरूरी नहीं समझते, जिनके (नागरिकों) अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित हैं।"

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भारत एक जीवंत लोकतंत्र है

उन्होंने कहा है, "भारत एक जीवंत लोकतंत्र है, जहां संविधान धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संरक्षण प्रदान करता है, और जहां लोकतांत्रिक शासन और कानून का शासन मौलिक अधिकारों को और बढ़ावा देता है और उनकी रक्षा करता है।" ये रिपोर्ट अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के भारत दौरे से पहले जारी की गई है।

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क्या थी अमेरिकी रिपोर्ट?

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 के दौरान सालभर अल्पसंख्यकों खासतौर पर मुस्लिमों पर हिंदू संगठनों की भीड़ ने हमले किए हैं। जो लोग हिंसा का शिकार हुए हैं, उनमें अधिकतर गौवंश की खरीद और बीफ के कारोबार में लगे हुए थे। शनिवार को आई इस रिपोर्ट को इंडिया 2018 इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट नाम दिया गया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार भीड़ द्वारा धर्म और गौरक्षा के नाम पर हुए हमलों को रोकने में नाकाम रही है। बीते साल सरकार की आलोचना करने वाले लोगों और अल्पसंख्यकों पर कई बार हमले हुए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने भी भड़काऊ भाषण दिए।

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