कोरोना पर अच्छी खबर: भारतीय वैज्ञानिक का कमाल, पहली बार मिली ये जानकारी

वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस पर नया रिसर्च किया है। वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमित 6,000 लोगों के सैंपल की जांच की है। इसमें अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के खिलाफ शरीर में इम्यूनिटी कम से कम पांच महीने तक रहती है। इस रिसर्च का नेतृत्व भारतीय मूल के एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ता भट्टाचार्य ने की थी।

Update: 2020-10-15 04:35 GMT
वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमित 6,000 लोगों के सैंपल की जांच की है। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के खिलाफ शरीर में इम्यूनिटी करीब पांच महीने तक रहती है।

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना वायरस तबाही मचा रहा है। इस जानलेवा महामारी की अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई है। दुनिया के कई देश कोरोना की वैक्सीन बनाए में लगे हैं, तो वहीं रूस ने दो वैक्सीन बनाने का दावा किया है। वैज्ञानिक कोरोना को लेकर कई सारे शोध कर रहे हैं।

अब वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस पर नया रिसर्च किया है। वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमित 6,000 लोगों के सैंपल की जांच की है। इसमें अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के खिलाफ शरीर में इम्यूनिटी कम से कम पांच महीने तक रहती है। यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में यह शोध किया था। इसका नेतृत्व भारतीय मूल के एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ता भट्टाचार्य ने की थी।

शरीर में एंटीबॉडीज लगभग पांच महीने तक रहती है

एक्सपर्ट ने रिसर्च किया तो पाया कि SARS-CoV-2(कोविड-19) खिलाफ इंसान के शरीर में एंटीबॉडीज लगभग पांच महीने तक रहती है। प्रोफेसर दीप्ता भट्टाचार्य ने बताया कि हमने यह स्पष्ट रूप से देखा कि SARS-CoV-2 का संक्रमण होने के बाद भी शरीर में 5 से 7 महीनों तक हाई क्वालिटी एंटीबॉडीज प्रोड्यूस हो रहे हैं।

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यह रिपोर्ट जर्नल इम्यूनिटी में प्रकाशित की गई है। इसमें भट्टाचार्य ने बताया कि कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी के लंबे समय तक ना रहने की वजह से चिंता जताई जा रही है। हमने ऐसे सवालों की जांच करने के लिए इस स्टडी का इस्तेमाल किया। हमने पाया कि शरीर में इम्यूनिटी विकसित होने के बाद कम से कम पांच महीने तक रहती है। यह शोध प्रोफेसर जान्को निकोलिच जुगिच द्वारा कंडक्ट किया गया था।

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कई देशों में दोबोरा संक्रमण होने की पहचान

इस समय कई देशों में दोबोरा संक्रमण होने की पहचान की जारी रही है। अब इस बीच इस शोध का परिणाम सामने आया है। अमेरिका में कुछ दिनों पहले ही एक शख्स 48 दिन बाद फिर से कोरोना संक्रमित मिला। एक्सपर्ट ने बताया कि जब वायरस पहली बार कोशिकाओं को संक्रमित करता है उस समय इम्यून सिस्टम कम समय तक रहने वाल प्लाज्मा सेल्स को तैनात कर देता है, जो वायरस से तुरंत लड़ने के लिए एंटीबॉडी प्रड्यूस करता है। ये एंटीबॉडी संक्रमण होने के 14 दिन के भीतर ब्लड टेस्ट में दिख जाते हैं।

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इम्यून रिस्पॉन्स के दूसरे चरण में लंबे समय तक रहने वाला प्लाज्मा सेल्स विकसित होता है जो हाई क्वालिटी एंटीबॉडी प्रोड्यूस करते हैं, जो कि शरीर में लंबे समय तक रहती है। भट्टाचार्य और निकलोचि जुगिच ने कई महीनों तक कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों में एंटीबॉडी के लेवल को ट्रैक किया है। उन्होंने जांच के दौरान पाया कि कोविड-19 एंटीबॉडी कम से कम 5 से 7 महीनों के लिए खून में मौजूद रहती है। वह मानते हैं कि इम्यूनिटी बहुत लंबे समय तक बनी रहती है।

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