कब सुधरेगा नेपाल: उत्तराखंड के इस हिस्से को लेकर की हरकत, किया ये दावा

नेपाल के कंचनपुर जिले के भीमदत्त नगर पालिका के मेयर सुरेंद्र बिष्ट का कहना है कि हमारी नगर पालिका के अंतर्गत उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके के तहत आने वाले चंपावत जिले के जंगलों के कुछ हिस्सा आता है।

Update: 2020-08-03 10:22 GMT

नई दिल्ली: भारत-नेपाल सीमा को लेकर नेपाल ने एक बार फिर विवादों को हवा दे रहा है। अब नेपाल ने एक नया मुद्दा उठाया है जिसमें उसने कहा है कि उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं इलाके का चंपावत जिला उसकी सीमा में आता है। नेपाल के कंचनपुर जिले के भीमदत्त नगर पालिका के मेयर ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि बरसों से चंपावत जिला नेपाल का हिस्सा रहा है। क्योंकि उसके जंगलों के लिए बनाई गई कम्युनिटी फॉरेस्ट कमेटी (सामुदायिक वन समिति) उनके नगर पालिका क्षेत्र में आती है।

भीमदत्त नगर पालिका के मेयर सुरेंद्र बिष्ट का कहना है कि...

सूत्रों के अनुसार नेपाल के कंचनपुर जिले के भीमदत्त नगर पालिका के मेयर सुरेंद्र बिष्ट का कहना है कि हमारी नगर पालिका के अंतर्गत उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके के तहत आने वाले चंपावत जिले के जंगलों के कुछ हिस्सा आता है। सुरेंद्र बिष्ट का दावा है कि चंपावत के जंगलों में बनाई गई सामुदायिक वन समिति कई सालों से भीमदत्त नगर पालिका के तहत काम करती है। कई सालों पहले नगर पालिका ने इस इलाके में लकड़ी के बाड़ भी लगाए थे। जिसे पुराना होने पर हाल ही में बदल दिया गया।

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चंपावत जिले के सूत्रों के मुताबिक लकड़ी के इन बाड़ों को लगाने के लिए करीब 45 लाख रुपए खर्च किए गए थे। जब मेयर सुरेद्र बिष्ट से पूछा गया कि आप कैसे ये दावा कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि जिस हिस्से में बाड़ लगाई गई थी, वह नो मैंस लैंड (No Man's Land) है।

नेपाली नागरिकों ने पिलर संख्या 811 पर अपना कब्जा जमा लिया था

बिष्ट आगे कहते हैं कि इससे तस्वीर एकदम साफ है। हम नहीं चाहते कि सीमा को लेकर कोई विवाद हो क्योंकि सीमाई विवाद किसी के लिए भी अच्छा नहीं होता। लेकिन हम ये चाहते हैं कि ये मामला जल्द से जल्द निपटा लिया जाए। कुछ दिन पहले चंपावत जिले के टनकपुर में सीमा विवाद उठा था, जब नेपाली नागरिकों ने पिलर संख्या 811 पर अपना कब्जा जमा लिया था। उनका दावा था कि यह पिलर नो-मैंस लैंड में आता है।

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इसके बाद जब भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने टोका और नेपाल के अधिकारियों से शिकायत की तो नेपाल के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत की। अब इस जगह को लेकर अगले कुछ हफ्तों में फिर भारतीय और नेपाली अधिकारी बैठक करेंगे। (सभी तस्वीरें चंपावत जिले की हैं लेकिन प्रतीकात्मक। फोटोः फ्लिकर)

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