400 मौतों का तांडव: पीएम ने दिया इस्तीफा, इस देश में चल रहा हिंसा का दौर

इराक प्रधानमंत्री अदेल अब्दुल महदी ने गृह युद्ध और अभूतपूर्व प्रदर्शन से जूझ का सामना करते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया है।

Update: 2019-12-01 10:26 GMT

बगदाद: इराक प्रधानमंत्री अदेल अब्दुल महदी ने गृह युद्ध और अभूतपूर्व प्रदर्शन से जूझ का सामना करते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। 29 नवंबर शनिवार को उन्होंने अपना इस्तीफा संसद को सौंप दिया, जिसके बाद पीएम ने कार्यवाहक सरकार के कर्तव्यों पर चर्चा करने के लिए विशेष संसद सत्र बुलाया। पीएम अब्दुल महदी ने 29 नवंबर को ऐलान किया था कि वह संसद को अपना इस्तीफा सौंपेंगे, ताकि सांसद सरकार विरोधी प्रदर्शनों के जवाब में एक नई सरकार चुन सके।

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बगदाद के अलावा मध्य और दक्षिणी इराक के दूसरे शहरों में भी हो रहा है प्रदर्शन

आपको बता दें कि इस साल अक्टूबर से ही इराक की राजधानी बगदाद के अलावा मध्य और दक्षिणी इराक के दूसरे शहरों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन जारी है। यहां के लोग व्यापक सुधार, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग, नौकरियों और बेहतर सार्वजनिक सेवाओं की मांग को लेकर सड़कों पर निकल पड़े हैं।

सरकार के खिलाफ क्यों सड़कों पर उतर गए लोग?

इराक के धर्म गुरु कई दिनों से पीएम अदेल अब्दुल महदी से इस्तीफे की मांग कर रहे थे। इराक के मुख्य धर्मगुरु अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी ने नसीरिया में इराकी सैन्य बलों की कार्रवाई का विरोध किया था। पीएम ने सेनाध्यक्ष जनरल शुमारी को उनके पद से हटा दिया। जनरल शुमारी को ही नसीरिया में सरकार विरोधी प्रदर्शन को दबाने के लिए भेजा गया था। जनरल नसीरिया के आदेश पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग की, जिसमें 25 प्रदर्शनकारी मारे गए थे।

इराक में सरकार के खिलाफ इसी साल 1 अक्टूबर से प्रदर्शन शुरू हुए हैं। पहले ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन सरकार की ओर से मिली ठंडी प्रतिक्रिया के बाद प्रदर्शनकारी उग्र हो गए। 60 दिनों में इन हिंसकों में अबतक 420 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 15000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। बगदाद इन हिंसकों का केंद्र रहा है। इसके अलावा नजफ, करबला, और बसरा में भी प्रदर्शन हो रहे हैं।

इराक दुनिया का 12वां भ्रष्ट देश

आपको बता दें कि 2003 में इराक में सद्दाम हुसैन की सरकार गिरने के बाद यहां 16 सालों से अस्थिरता का दौर है। सद्दाम हुसैन की सरकार गिरने के बाद यहां हालात बेहद बुरे हैं। करप्शन पर आंकड़े जारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार इराक दुनिया का 12वां सबसे भ्रष्ट देश है। एक सरकारी जांच में पता चला है कि भ्रष्टाचार की वजह से सरकारी खजाने को 450 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।

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बसरा में एक प्रदर्शनकारी ने सरकार की बर्खास्तगी की मांग करते हुए कहा कि ये सरकार सत्ता में कायम रहने का हक खो चुकी है। ज्यादातर इराकी सरकार के रिफॉर्म प्लान, सामाजिक कल्याण की योजनाओं, चुनाव सुधार के कार्यक्रमों को महज दिखावा मानते हैं, इनका कहना है कि जबतक ये सरकार इस्तीफा नहीं देती है देश का भला नहीं हो सकता है।

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