मुशर्रफ का आर्मी चीफ से लेकर मौत की सजा तक ऐसा है सफर

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान की कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। परवेज मुशर्रफ को मिली यह सजा साल 2007 में पाकिस्तान में आपातकाल लगाने के जुर्म में सुनाई गई। परवेज मुशर्रफ के खिलाफ दिसंबर 2013 में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था।

Update:2019-12-17 17:25 IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान की कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। परवेज मुशर्रफ को मिली यह सजा साल 2007 में पाकिस्तान में आपातकाल लगाने के जुर्म में सुनाई गई। परवेज मुशर्रफ के खिलाफ दिसंबर 2013 में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। मुशर्रफ को 31 मार्च 2014 को देशद्रोह का दोषी ठहराया गया था।

इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति सजा से बचने के लिए लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी और इस्लामाबाद की विशेष अदालत के सामने मुकदमे की लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।

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बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ इस समय दुबई हैं और बीमार हैं। वह वहां अमेरिकन अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें हार्ट और ब्लड प्रेशर की स्वास्थ्य समस्याएं हैं।

बीते दिनों ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने मुशर्रफ की तस्वीर शेयर की थी। इस फोटो में मुशर्रफ अस्वस्थ और अस्पताल में भर्ती नजर आ रहे थे। 18 मार्च 2016 को परवेज मुशर्रफ इलाज का बहाना बनाकर दुबई भाग गए थे, लेकिन उन्होंने कहा था कि मैंने अपनी सरजमीं पर वापस लौटूंगा। जब वह भागकर दुबई गए उस समय भी उनके खिलाफ पाकिस्तान की कोर्ट में देशद्रोह का केस चल रहा था।

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मुशर्रफ ने बतया था कि वह पाकिस्तान आना चाहते थे, हालांकि गिरफ्तारी के डर से वह वापस नहीं आए। मई 2018 को पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने कोर्ट के निर्देश पर मुशर्रफ से उनका पहचान पत्र और पासपोर्ट सस्पेंड कर दिया था।

पाकिस्तान की कोर्ट को 2018 में बताया गया कि इंटरपोल ने मुशर्रफ के यूएई से प्रत्यर्पण को लेकर रेड वॉरेंट जारी करने से इंकार कर दिया है जहां पर वह साल 2016 से रह रहे।

परवेज मुशर्रफ का जन्म 1943 में ब्रिटिश राज के दौरान दिल्ली में हुआ था। मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां बेगम जरीन मुशर्रफ तब दिल्ली में ही रह रही थीं। नहर वाली हवेली में मुशर्रफ का बड़ा परिवार रह रहा था। सैयद मुशर्रफुद्दीन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक किया और सिविल सेवा में प्रवेश किया जो एक अत्यंत प्रतिष्ठित करियर था।

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अक्टूबर 1998 में मुशर्रफ जनरल के पद आसनी हुए और वह पाकिस्तान सेना के चीफ बन गए। परवेज मुशर्रफ ने 12 अक्टूबर 1999 को नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट कर दिया। इसके बाद खुद देश की सत्ता अपने हाथों में ले ली।

साल 2002 में वो आम चुनावों में जीत हासिल की और राष्ट्रपति बन गए। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने चुनावों में जबरदस्त धांधली करवाया। एक तरह से देखा जाए तो उन्होंने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। मुशर्रफ शासन में लाल मस्जिद पर जुलाई 2007 में सेना ने कार्रवाई की जिसमें 105 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई।

परवेज मुशर्रफ ने देश में आपातकाल लागू करते हुए 1973 के संविधान को सस्पेंड कर दिया। नवंबर में फिर चुनाव हुए और मुशर्रफ ने पूरी तरह राजनीति में प्रवेश कर लिया। इसके बाद उन्होंने जनरल अशफाक कियानी के हाथों सेना की कमान दे दी।

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दिसंबर 2007 में मुशर्रफ ने आपातकाल हटाया, अल्पकालीन संवैधानिक आदेश (पीसीओ) हटाया और आपातकाल के 42 दिनों के दौरान लिए गए फैसलों को संवैधानिक बनाया। उन्होंने 9 साल के शासन के बाद इस्तीफा दे दिया।

सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि 3 नवंबर 2007 को आपातकाल लागू करना पूरी तरह असंवैधानिक था। कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा, लेकिन उन्होंने जवाब देने से इंकार कर दिया और इंग्लैंड चले गए। मुशर्रफ ने 2010 में अपनी पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग(एपीएमएल) बनाई और वह इसके प्रमुख बने। वह 24 मार्च 2013 में पाकिस्तान लौटे।

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पाकिस्तान की एक कोर्ट ने मुशर्रफ की जमानत अवधि बढ़ा दी और वह बिना इजाजत देश से नहीं जा सकते। इसके बाद अप्रैल 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह केस की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट राजी हुआ। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज दी इसके मुशर्रफ हाईकोर्ट से फरार हो गए। इसके उन्होंने मजिस्ट्रेट कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। इस्लामाबाद के चक शहजाद में उनका फार्महाउस सील किया गया। इसे ही जेल में तब्दील कर दिया गया।

पाकिस्तान की एक अदालत ने मुशर्रफ के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया। 2014 में उन्होंने कोर्ट जाते समय दिल की बीमारी की बात कही जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद वह 2016 में अदालत से मंजूरी लेकर मुशर्रफ मेडिकल आधार पर दुबई फरार हो गए। मई 2016 में कोर्ट ने मुशर्रफ को देशद्रोह केस में भगोड़ा घोषित किया।

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