भारत-पाकिस्तान का राज: 100 में कोई एक ही जानता होगा इस बारे में

इंडोनेशिया की राजधानी को अब बाढ़ और प्रदूषण के चलते जकार्ता से शिफ्ट करके बोर्नियो द्वीप को बनाया जा सकता है। हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने ये ऐलान किया है।

Update: 2023-03-14 14:42 GMT
भारत-पाकिस्तान का राज: सौ में कोई एक ही जानता होगा इस बारे में

इंडोनेशिया की राजधानी को अब बाढ़ और प्रदूषण के चलते जकार्ता से शिफ्ट करके बोर्नियो द्वीप को बनाया जा सकता है। हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने ये ऐलान किया है। बोर्नियो द्वीप, अब तक किसी भी आपदाओं की चपेट में नहीं आया है और इसे देश की आर्थिक राजधानी के रुप में जाना जाता है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी देश की राजधानी बदली हो, इससे पहले भी कईयों देश की राजधानी को बदला जा चुका है।

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आइये जानते हैं उन देशों के बारे में-

भारत-

अगर देश की राजधानी बदलने की बात करें तो पहले इंडिया की राजधानी कलकत्ता थी, जिसे बाद में अंग्रेजों ने 1911 में कलकत्ता से पुरानी दिल्ली शिफ्ट कर दिया। 1927 में ब्रिटिश राज के भारत की राजधानी के नाम को बदलकर इसका नाम नई दिल्ली कर दिया गया और 1931 में इसका औपचारिक रुप से उद्घाटन हुआ।

पाकिस्तान-

इस लिस्ट में पाकिस्तान का नाम भी शामिल है। 1947 में पाकिस्तान की पहली राजधानी कराची थी। फिर 1950 में इस्लामाबाद को पाकिस्तान की नई राजधानी बनाई गई।

सोवियत यूनियन-

1994 में सोवियत यूनियन की राजधानी को उजबेकिस्तान के ताशकंद से अकमोला शिफ्ट किया गया, जिसका 1998 में नाम बदलकर आस्ताना रख दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया थी क्योंकि सोवियत संघ ने उजबोकिस्तान के ताशकंद को अघोषित राजधानी बना रखा था, जिस वजह से कजाकिस्तान के राजधानी पर इसका असर पड़ रहा था।

मलेशिया-

मलेशिया की अगर बात करें तो पहले इसकी राजधानी कुआलालंपुर था, फिर इसे 1980 दशक में कुऔलालंपुर से 25 किलोमीटर दूर प्यूटाजया शहर में शिफ्ट कर दी गई। आपको बता दें कि ये शहर पहले भी मलेशिया की राजधानी रह चुका था और इस राजधानी का नाम प्रधानमंत्री के नाम पर रखा गया था।

म्यांमार-

वहीं म्यांमार में जनता सरकार ने एक आंदोलन के खतरे की आशंका से देश की राजधानी को 2001 में यंगून से नायपिडॉ शिफ्ट करने का फैसला लिया और साल 2005 में पूरी तरह शिफ्ट कर दिया गया।

दक्षिण कोरिया-

2007 मे दक्षिण कोरिया की राजधानी को सिओल से सिजोंग में शिफ्ट कर दिया गया। ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि सिओल को उत्तर कोरिया के बहुत पास माना जा रहा था और बढ़ती भीड़ की समस्या होने के कारण इसे सिजोंगर में शिफ्ट कर दिया गया।

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