रक्षामंत्री को झटका: छीन लिया गया पद, नरवणे के दौरे से पहले मंत्रालय में बड़ा बदलाव
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बड़ा फैसला लेते हुए ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस ले ली है। फिलहाल वो PMO में कैबिनेट मंत्री के तौर पर तैनात रहेंगे।
नई दिल्ली: भारत के सेना अध्यक्ष जनरल MM नरवणे नवंबर महीने के पहले हफ्ते में नेपाल का दौरा करेंगे। इस दौरे की घोषणा के कुछ देर बाद ही नेपाल के उप प्रधानमंत्री रहे ईश्वर पोखरेल को रक्षा मंत्री के पद से हटा दिया गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बड़ा फैसला करते हुए अपने कैबिनेट के सबसे विश्ववसनीय सहयोगी और उप प्रधानमंत्री रहे ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस ले ली है। फिलहाल पोखरेल PMO में कैबिनेट मंत्री के तौर पर तैनात रहेंगे।
सेना के साथ लगातार विवाद के बाद हटाए गए पोखरेल
ईश्वर पोखरेल को नेपाल की सेना के साथ लगातार विवाद में बने रहने के बाद उनसे रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है। बता दें कि रक्षा मंत्री रहते हुए ईश्वर पोखरेल ने भारत से जारी सीमा विवाद के बीच जबरन नेपाली सेना प्रमुख को कालापानी इलाके में भेजा था, जबकि सेना का साफतौर पर कहना था कि उसे भारत के साथ कूटनीतिक या राजनीतिक विवाद में ना घसीटा जाए।
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पोखरेल ने नेपाली सेना पर बनाया था दबाव
इसके अलावा भारतीय सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे के नेपाल संबंधी बयान का विरोध करने और उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए नेपाल की सेना पर पोखरेल द्वारा दबाव डाला गया था। जिसे नेपाली सेना ने सिरे से खारिज कर दिया था। केवल इतना ही नहीं रक्षा मंत्री रहते हुए ईश्वर पोखरेल ने कोरोना काल में चीन से काम ना आने वाले टेस्ट किट और अन्य मेडिकल उपकरण की आपूर्ति करने का निर्देश दे दिया था, जबकि नेपाली सेना ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी।
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नवंबर में नेपाल दौरे पर जाएंगे सेना प्रमुख जनरल नरवणे
बता दें कि भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे नवंबर महीने के पहले हफ्ते में नेपाल के दौरे पर जाएंगे। इस दौरान नेपाल सरकार द्वारा उन्हें ‘जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद रैंक देकर सम्मानित किया जाएगा। जनरल नरवणे को ये परंपरागत सम्मान एक समारोह में नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा दिया जाएगा।
बताते चलें कि यह सम्मान दोनों देशों की सेनाओं के बीच मजबूत रिश्तों की पहचान के तौर पर दिया जाता है। बल्कि नेपाल और भारत दुनियाभर में इकलौते ऐसे संबंध वाले देश हैं जो एक-दूसरे के सैन्य प्रमुख को अपनी सेना के प्रमुख की मानद पदवी से सम्मानित करते हैं।
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