नेपाल की नई चाल: कुर्सी के लिए PM ओली का ये दांव, अब आखिरी है मौका

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आखिरकार एक नया दांव चलकर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, PM कैबिनेट में दल विभाजन अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं।

Update: 2020-07-02 12:18 GMT

नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आखिरकार एक नया दांव चलकर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, PM कैबिनेट में दल विभाजन अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं। इस संबंध में उन्होंने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। मौजूदा समय में दल विभाजन के लिए 40 फीसदी संसद सदस्य और 40 फीसदी पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य का समर्थन होना आवश्यक होता है, लेकिन नए अध्यादेश में इनमें से किसी एक का भी समर्थन होने पर दल विभाजन को मान्यता मिल जाएगी।

कैबिनेट बैठक में फैसले पर लगवाई मुहर

PM ने गुरुवार सुबह कैबिनेट बैठक में इस फैसले पर मुहर लगवा ली है। ओली के पास यही इकलौता विकल्प बचा है, जिससे वो अपनी कुर्सी को बचा सकते हैं। इस नए दल विभाजन अध्यादेश के लागू होने का फायदा ओली बखूबी उठा सकते हैं। वहीं, इसके बाद भी संसद में रहे दलों के बीच सहमति ना बन पाने और किसी भी गठबंधन को बहुमत ना हासिल होने पाने की स्थिति में ओली संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव करा सकते हैं।

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ओली और प्रचंड ने पार्टी का विलय कर बनाया था नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी

बता दें कि ओली ने तीन साल पहले पुष्प कमल दहाल प्रचंड के साथ मिलकर अपनी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी और कम्युनिस्ट पार्टी यूएमएल का विलय कर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनाई थी। अब एक बार फिर से दोनों दल विभाजन होने के कगार पर आ खड़ी हैं। वहीं चीन ये चाहता है कि भले ही ओली की कुर्सी उनके हाथ से निकल जाए, लेकिन पार्टी में विभाजन ना हो। लेकिन ओली ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक नया दांव चल दिया है। इससे कम से कम कुछ दिनों के लिए ही सही लेकिन संकट टल सकता है।

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प्रचंड ने ओली से मांगा था उनका इस्तीफा

बता दें कि PM ओली कुर्सी पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। केपी शर्मा ओली के विरोधी अब उनका इस्तीफा लेने पर अड़ गए हैं। बीते दिनों पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में सह अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड और पार्टी के अन्य नेताओं ने ओली पर विफलता का बड़ा आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की थी। जिसके बाद से वहां राजनीतिक संकट गहरा गया था।

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इस वजह से बढ़ीं प्रधानमंत्री की दिक्कतें

दरअसल भारत के साथ सीमा विवाद और संसद में नए नक्शे की मंजूरी के बावजूद ओली की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। नेपाल की सियासत पर करीबी नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि देश की विभिन्न समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ही ओली ने राष्ट्रवाद का कार्ड खेला है। हालांकि राष्ट्रवाद का यह कार्ड भी अब उनके लिए मददगार नहीं साबित हो रहा है।

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भारत से रिश्ते खराब करने के लगे आरोप

पार्टी की स्थायी समिति की बैठक में प्रचंड ने ओली पर करारा हमला बोलते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की। केपी ओली के पार्टी के नेता ही उनका विरोध कर रहे हैं और उन पर भारत के साथ रिश्ते खराब करने का आरोप भी लगा रहे हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री ने भारत के विरोध के बाद भी संसद में नेपाल का नया नक्शा जारी किया, जिसमें उन्होंने भारत के हिस्से के तीन क्षेत्रों को शामिल किया है।

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