तानाशाह की खतरनाक बहन: इससे कांप रहा ताकतवर भाई, ये है बड़ी वजह

उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन(Kim Jong Un) एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार सुर्खियों में वो अपनी नहीं बल्कि अपनी बहन की वजह से हैं। किम अपनी बहन की बढ़ती ताकत को लेकर घबराने लगे थे कि कहीं उनका ही पत्ता न साफ हो जाए। ऐसे में इस डर से बचने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया है।

Update: 2021-01-12 12:12 GMT
किम अपनी बहन की बढ़ती ताकत को लेकर घबराने लगे थे कि कहीं उनका ही पत्ता न साफ हो जाए। ऐसे में इस डर से बचने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया।

नई दिल्ली। अपनी अजीबों-गरीबों तौर-तरीकों के लिए मशहूर उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन(Kim Jong Un) एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार सुर्खियों में वो अपनी नहीं बल्कि अपनी बहन की वजह से हैं। ऐसे में अभी कुछ ही महीनों पहले खबरें आई थीं कि किम अपनी ताकतें एक-एक कर अपनी बहन किम यो-जोंग (Kim yo Jong) को ट्रांसफर कर रहे हैं। और तो और कि वे देश की दूसरे नंबर पर पावरफुल शख्स मानी जाने लगीं। पर अब खबर मिली है कि किम ने अपनी बहन को वर्कर्स पार्टी के पोलित ब्‍यूरो से हटा दिया है।

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देश में अब भी वही सबसे ताकतवर

ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि किम अपनी बहन की बढ़ती ताकत को लेकर घबराने लगे थे कि कहीं उनका ही पत्ता न साफ हो जाए। ऐसे में इस डर से बचने के लिए उन्होंने ये कदम उठाया और संकेत दिया कि देश में अब भी वही सबसे ताकतवर हैं।

असल में बात ये है कि सत्तारुढ़ पार्टी की सेंट्रल कमेटी में तो यो जोंग का नाम है लेकिन पोलित ब्यूरो में नहीं है। वहीं उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी KCNA ने ये लिस्ट जारी की, जिसके बाद से इसके कई मायने लगाए जा रहे हैं।

फोटो- सोशल मीडिया

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राजनीति का सबसे अहम हिस्सा

पोलित ब्यूरो करीब सभी साम्यवादी देशों में राजनीति का सबसे अहम हिस्सा है। ये कार्यकारी समिति होती है, जो रक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था और विदेश नीति तय करने में अहम होती है। इसमें सबसे पहले रूस में साल 1917 में पोलित ब्यूरो का जिक्र मिलता है, जो उसी साल रूसी क्रांति को मजबूत करने के उद्देश्य से बना था। लेकिन अब चीन, उत्तर कोरिया, लाओस, वियतनाम और क्यूबा में पोलित ब्यूरो हैं।

वहीं साल 2017 में किम जोंग खुद अपनी बहन को पोलित ब्यूरो में लेकर आए। उस समय ये उत्तर कोरिया के लिए एकदम अनोखी बात थी। क्योंकि उत्तर कोरिया में पुरुषसत्तात्मक सोच है। यहां पर ये सोच न केवल समाज और घरों में, बल्कि राजनीति में भी दिखता है। इस देश में ऊंचे ओहदों पर बैठे ज्यादातर लोग पुरुष हैं।

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