इमरान का गंदा खेल: जुटे मुस्लिम देशों को एकजुट करने में, भारतीयों ने दिखाया आइना
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के मुस्लिम देशों से एकजुट होकर पश्चिम देशों का विरोध करने की अपील की है। उन्होंने मुस्लिम देशों को लिखे पत्र में कहा है कि इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पश्चिम देशों की लीडरशिप को सही रास्ते पर लाने के लिए मुस्लिम देशों का एकमत होकर व्यवहार करना जरूरी है।
लखनऊ। फ्रांस में स्कूल शिक्षक की हत्या के बाद बने कटटरपंथ विरोधी माहौल में पश्चिमी देशों में मस्जिद बंद किए जाने से पाकिस्तान भडक़ उठा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के मुस्लिम देशों से एकजुट होकर पश्चिम देशों का विरोध करने की अपील की है। उन्होंने मुस्लिम देशों को लिखे पत्र में कहा है कि इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पश्चिम देशों की लीडरशिप को सही रास्ते पर लाने के लिए मुस्लिम देशों का एकमत होकर व्यवहार करना जरूरी है। इमरान खान के पत्र को लेकर भारत में भी लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि इमरान को दूसरे देशों में रहने वाले अल्पसंख्यक मुसलमानों के अधिकार और हित की चिंता करने से पहले अपने देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
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इस्लामोफोबिया का ज्वार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार की शाम एक पत्र पूरी दुनिया के मुस्लिम देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि आज दुनिया में इस्लाम के अनुयायियों को बेचैनी और विरोध भरे माहौल का सामना करना पड़ रहा है। आज की दुनिया मेेंं इस्लामोफोबिया का ज्वार तेजी से चढ़ता दिखाई दे रहा है।
पश्चिमी देशों खासतौर पर यूरोप में इसका असर ज्यादा है जहां मुसलमानों के महबूब पैगंबर मुहम्मद साहब पर हमले हो रहे हैं और उनका मजाक बनाया जा रहा है। यूरोप जहां पर अच्छी -खासी तादाद में मुस्लिम आबादी रहती है वहां की लीडरशिप के स्तर से हाल में दिए गए।
ऐसे बयान आए हैं जो पवित्र कुरान की मर्यादा के खिलाफ हैं और इस बात का प्रमाण हैं कि इस्लामोफोबिया कितनी तेजी के साथ यूरोपियन देशों में फैलता जा रहा है । यूरोप में इससे भी आगे बढक़र मस्जिदों को बंद कर दिया गया है।
मुस्लिम महिलाओं के कपड़े पहनने की पसंद और अधिकार को नकारा जा रहा है जबकि सार्वजनिक स्थानों पर नन और पुजारियों को उनके धार्मिक पहनावे के साथ रहने में किसी को कोई आपत्ति नहीं है। यह भेदभाव मुस्लिमों के खिलाफ इन देशों में तेजी से बढ़ रहा है।
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क्रोध में ऐसे घातक कदम उठाए
मेरा मानना है कि इन देशों की लीडरशिप यह समझने में असमर्थ है कि मुस्लिम समुदाय की अपने पैगंबर मोहम्मद साहब और कुरान में कितनी आस्था है और वह कितना उसे प्यार करते हैं.
इसका परिणाम खतरनाक क्रिया -प्रतिक्रिया चक्र के तौर पर सामने आ रहा है. मुसलमान जब देख रहे हैं कि उनके विश्वास और सबसे अजीज पैगंबर मोहम्मद साहब को निशाना बनाकर मुस्लिम समुदाय के साथ सरकारों की ओर से भेदभाव किया जा रहा है, उनको प्रभावहीन बनाया जा रहा है तो उनकी ओर से क्रोध में ऐसे घातक कदम उठाए जा रहे हैं जो दक्षिणपंथी ताकतों को हालात भडक़ाने में सहायता कर रहे हैं.
मुस्लिमों के साथ किए जा रहे खराब व्यवहार की वजह से कटुता बढ़ रही है और इससे दोनों ओर के अतिवादियों को मदद मिल रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में हम मुस्लिम देश के नेताओं को घृणा और अतिवाद जो हिंसा और मृत्यु को बढ़ावा दे रहा है के खिलाफ एकजुट होकर पहल करनी होगी।
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समय हिंसा और घृणा के चक्र को तोडऩे का
हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम घृणा और हिंसा के खिलाफ इस चक्र को खत्म करने के लिए आगे हैं मैं सभी मुस्लिम नेताओं से अपील कर रहा हूं कि वह एक साथ आकर अपनी आवाज बुलंद करें और गैर मुस्लिम देशों की लीडरशिप को मुसलमानों की पवित्र पुस्तक कुरान और पैगंबर मोहम्मद साहब की प्रति प्रेम भावना और श्रद्धा से परिचित कराएं . यह समय हिंसा और घृणा के चक्र को तोडऩे का है.
इमरान खान ने मुस्लिम देशों के नेताओं से कहा कि हमें पश्चिमी दुनिया को यह बताना चाहिए कि सभी व्यवस्थाओं में सामाजिक , धार्मिक और जातीय समूह के जीवन मूल्य अलग-अलग होते हैं यहूदियों के सर्वनाश से जुड़े नाजी कार्यक्रम, जिसने पश्चिम खास तौर पर यूरोपीय देशों को उस मार्ग पर डाला जहां यहूदी सर्वनाश को अपराध माना गया है। हम इसे समझते हैं और उसका सम्मान करते हैं।
इस्लामोफोबिया और इस्लाम
पश्चिमी देशों को भी समझना होगा कि जैसे मुसलमान उनकी भावना को समझते हैं और सम्मान देते हैं वैसे ही मुसलमानों ने बोस्निया अफगानिस्तान इराक से लेकर जम्मू कश्मीर तक अपने लोगों की मौत देखी है लेकिन उससे भी ज्यादा यह कठिन है कि जब उनके पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में मजाक भरी बातें की जाए जो अपमानजनक हैं ।
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वास्तव में किसी भी धर्म से संबंधित धर्म पुरुषों को लेकर निंदात्मक बातें नहीं की जानी चाहिए । यह समय है जब मुस्लिम देशों को पूरी दुनिया को एक होकर स्पष्ट संदेश देना चाहिए खासतौर पर पश्चिम देशों को जिससे इस्लामोफोबिया और इस्लाम पर होने वाले हमलों को रोका जा सके।
दुनिया को घृणा चक्र के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता। इससे केवल अतिवादी एजेंडा ही लाभ प्राप्त करता है। केवल समाज का ध्रुवीकरण होता है और हिंसा होती है। हमारा विश्वास शांति और सहनशक्ति में है जो रियासत-ए- मदीना और मिसक-ए- मदीना के दौरान पैगंबर मुहम्मद साहब ने यहूदियों को दिखाई थी।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का मसला उठाया
सोशल मीडिया पर इमरान खान ने अपना यह पत्र साझा किया है। कुछ लोगों ने इसकी तारीफ की है लेकिन भारत से इमरान को आइना भी दिखाया गया है। कई लोगों ने पाकिस्तान में ईसाइयों, हिंदुओ और सिखों के साथ हो रहे दुव्र्यवहार, जबरन धर्मांतरण और लड़कियों को अगवा किए जाने का मामला उठाया है और कहा कि इमरान खान को सबसे पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।
इस्लाम की जिस शांति और सहनशक्ति की बात वह कर रहे हैं उसे अपने देश में क्यों नहीं लागू कर रहे हैं। क्यों उनके देश में अल्पसंख्यकों की दुर्गति हो रही है। अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक रीति-रिवाज का पालन क्यों नहीं करने दिया जा रहा है।
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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी