Quran Row: क्यों जलाई जा रहीं कुरान, क्या है इनका मकसद

Quran Row: दरअसल, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे में आदि देशों में कुरान या अन्य धार्मिक ग्रंथों को जलाने या अपवित्र करने पर रोक लगाने वाला कोई कानून नहीं है। कई पश्चिमी देशों की तरह यहां भी ईशनिंदा कानून नहीं है।

Update:2023-07-28 19:18 IST
Why are Qurans being burnt and Public desecration in Sweden (Photo-Social Media)

Quran Row: हाल ही में स्वीडन में सार्वजनिक रूप से कुरान का अपमान करने, उसे जलाने की घटनाएं हुईं हैं। मुस्लिम देशों में इनकी तीखी प्रतिक्रिया हुई है और सवाल उठे हैं कि ऐसे कृत्यों की अनुमति क्यों दी जाती है?

कानूनी रोक नहीं

दरअसल, स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे में आदि देशों में कुरान या अन्य धार्मिक ग्रंथों को जलाने या अपवित्र करने पर रोक लगाने वाला कोई कानून नहीं है। कई पश्चिमी देशों की तरह यहां भी ईशनिंदा कानून नहीं है। वैसे, 19वीं शताब्दी के अंत तक स्वीडन में ईशनिंदा को एक गंभीर अपराध माना जाता था, जिसके लिए मौत की सजा दी जाती थी। लेकिन जैसे-जैसे स्वीडन तेजी से धर्मनिरपेक्ष होता गया, ईशनिंदा कानूनों में धीरे-धीरे ढील दी गई। इस तरह का आखिरी कानून 1970 में किताबों से हटा दिया गया था।स्वीडन में बोलने की आज़ादी का बुनियादी अधिकार 1766 से ही कायम है। और ये अधिकार दुनिया में सबसे मजबूत है।

अभिव्यक्ति की आज़ादी

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी स्वीडिश संविधान के तहत संरक्षित है। पुलिस को किसी प्रदर्शन या सार्वजनिक सभा की अनुमति देने से इनकार करने के लिए विशिष्ट आधार बताने की ज़रूरत है, जैसे कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जोखिम। स्वीडन में यह निर्णय लेना पुलिस पर निर्भर है, न कि सरकार पर कि प्रदर्शनों या सार्वजनिक समारोहों को अधिकृत किया जाए या नहीं।

धुर दक्षिणपंथी तत्व

खासकर स्वीडन में धुर दक्षिणपंथी तत्वों का उदय काफी तेजी से हुआ है। स्वीडिश सरकार के अनुसार, स्वीडन 2021 से इस्लामिक सूचना प्रभाव गतिविधियों का टारगेट रहा है। सरकार ने कहा कि यह स्वीडन के खिलाफ अपनी तरह का सबसे व्यापक अभियान है।
स्वीडन के धुर दक्षिणपंथी नेता रासमस पालुदान कई बार कुरान जला चुके हैं। 2019 में, उन्होंने पूरे स्वीडन में कई स्थानों पर पवित्र पुस्तक को सार्वजनिक रूप से जलाया, जिससे कई शहरों में दंगे भड़क उठे थे। इसके बाद फिर उन्होंने स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के सामने कुरान में आग लगा दी थी।

लंबा इतिहास

यूरोप में पुस्तक जलाने का एक लंबा इतिहास रहा है, कभी-कभी इसका उपयोग राजनीतिक सत्ता को चुनौती देने के लिए किया जाता था और कभी-कभी सत्तावादी शासन द्वारा डराने-धमकाने के लिए किया जाता था। जलाना आम तौर पर सार्वजनिक और अत्यधिक प्रतीकात्मक होता है। पुस्तक जलाना प्रतीकात्मक हत्या या प्रतीकात्मक विनाश बन जाता है। इसी तरह कुरान जलाने का एक विशिष्ट इतिहास भी है। 2007 में एक समलैंगिक कलाकार चार्ल्स मेरिल ने 2007 के न्यूयॉर्क कला कार्यक्रम में "समलैंगिक घृणा को खत्म करने के लिए" कुरान को जलाया था।
अमेरिका में 9/11 हमले के बाद एक अमेरिकी चर्च के पादरी टेरी जोन्स ने कुरान की प्रतियां जलाने की घोषणा की थी। उसने 11 सितंबर 2010 में ये कर भी दिया। टेरी जोन्स को कुरान की एक प्रति और पैगंबर मोहम्मद की एक छवि जलाने के लिए 271 डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। टेरी जोन्स डव वर्ल्ड आउटरीच सेंटर नाम से चर्च संचालित करते थे।

11 सितंबर 2010 को अमेरिका में कई ऐसी घटनाएं हुईं थीं। फ्रेड फेल्प्स नामक व्यक्ति ने वेस्टबोरो बैपटिस्ट चर्च में अमेरिकी झंडे के साथ कुरान जला दी थी। नैशविले, टेनेसी में बॉब ओल्ड और एक अन्य पादरी ने कुरान जला दी, न्यू जर्सी के एक इमीग्रेशन कर्मचारी ने मैनहट्टन में ग्राउंड ज़ीरो मस्जिद में कुरान के कुछ पन्ने जला दिए। नॉक्सविले, टेनेसी, ईस्ट लांसिंग, मिशिगन, स्प्रिंगफील्ड, टेनेसी और शिकागो, इलिनोइस में जले हुई कुरान मिली थीं। अप्रैल 2020, एक व्यक्ति ने सऊदी अरब में कुरान का अपमान करने और उस पर पैर रखने का वीडियो रिकॉर्ड किया और वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था।

क्यों हुआ ये सब

कुरान जलाने की घटनाओं की वजह कुरान से नफरत नहीं बल्कि कहीं न कहीं कट्टरवादी इस्लाम के प्रति विरोध प्रकट करना रहा है। स्वीडन और डेनमार्क में कुरान जलाने के साथ साथ ईरान, इराक के झंडों का अपमान किया गया और ये सब इन्हीं दो देशों के दूतावास के सामने किया गया। इधर ये सब बढ़ने की एक वजह यूरोपीय और नॉर्डिक देशों में बड़ी संख्या में मुस्लिम शरणार्थियों और प्रवासियों का आगमन है। इनके प्रति अलगाववादी सोच भी एक कारण हो सकती है।

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