सबसे सस्ता वेंटिलेटर: बीमारी के हिसाब से देगा ऑक्सीजन, ये है खासियत

वैज्ञानिकों ने 400 डॉलर से कम लागत के मानक उपकरणों का उपयोग करते हुए एक इमरजेंसी वेंटिलेटर बनाया है। इनका इस्तेमाल अधिक जटिल प्रौद्योगिकी वाले वेंटिलेटर नहीं होने की स्थिति में किया जा सकता है।

Update: 2020-08-16 13:31 GMT
Ventilator

नई दिल्ली: कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से दुनियाभर में फैल रहा है। इस बीच वैज्ञानिक कोरोना से निपटने का रास्ता खोजने में लगे हुए हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौर में वेंटिलेटर काफी महत्वपूर्ण हो चला है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने 400 डॉलर से कम लागत के मानक उपकरणों का उपयोग करते हुए एक इमरजेंसी वेंटिलेटर बनाया है। इनका इस्तेमाल अधिक जटिल प्रौद्योगिकी वाले वेंटिलेटर नहीं होने की स्थिति में किया जा सकता है।

कोरोना वायरस के मरीजों की जान बचाने में होगा मददगार

वैज्ञानिकों के इस अविष्कार से कोरोना वायरस के मरीजों की जान की सुरक्षा करने में डॉक्टरों को मदद मिलेगी। मेडआरएक्सिव में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि यह किफायती है और खुद ही ऑक्सीजन बैग को दबाता है, जिससे मरीज के फेफड़े में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। अमेरिका स्थित स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में शोधपत्र के सहलेखक मार्टिन ब्रीएडेनबैक् ने कहा कि हम एक प्रभावी साधारण उपकरण बनाना चाहते थे। हमारा अत्यधिक छोटा वेंटिलेटर बिल्कुल वैसा ही है।

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ऐसे करता है काम

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और Researchers ने बताया कि यह उपकरण ऑक्सीजन युक्त हवा को दबाता है और फिर ट्यूब के जरिए फेफड़ों तक पहुंचाता है, जिससे फेफड़े की सिकुड़न कम होती है और मरीज को ऑक्सीजन लेने में मदद मिलती है। इसके बाद फेफड़ों में खुद सिकुड़न आती है और वे हवा को बाहर छोड़ देते हैं।

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बैग को खुद दबाने की प्रक्रिया जोड़ी गई

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस नए अविष्कार में बैग को खुद दबाने की प्रक्रिया जोड़ी गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, नई प्रणाली में आधुनिक और सस्ते इलेक्ट्रानिक दबाव सेंसर और माइक्रो कम्प्यूटर जटिल सॉफ्टवेयर के साथ जोड़े गए हैं, जो बैग दबाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। इसके अलावा वेंटिलेटर में लगे माइक्रो कंप्यूटर में मौजूद कंट्रोल पैनल के द्वारा संचालक प्रणाली को खुद नियंत्रित कर सकता है। संचालक अपने लैपटॉप के जरिए भी प्रणाली को नियंत्रित कर सकता है।

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इन देशों के लिए होगी अधिक फायदेमंद

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सह शोधपत्र लेखक माइकल ब्रेस्सेक ने कहा कि यह वेंटिलेटर मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के देशों के लिए बेहद लाभदायक हैं, जहां पर चिकित्सा संसाधानों की कमी है। Researchers का कहना है कि नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद इस वेंटिलेटर की प्रौद्योगिकी बिना लागत के आधार पर उनको दिया जाएगा जो इसका उत्पादन करना चाहते हैं।

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400 डॉलर से कम लागत में तैयार कर सकते हैं वेंटिलेटर

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वेंटिलेटर का संस्करण बीते कुछ महीनों में विकसित हुए वेंटिलेटर में से सबसे बेहतर है। उनका कहना है कि वे 400 डॉलर से कम लागत में इस वेंटिलेटर को विकसित कर सकते हैं। जबकि पेशेवर श्रेणी के वेंटिलटर की कीमत 20 हजार डॉलर या इससे अधिक है।

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