चीनी दूतावास बंद: बौखलाए चीन ने अमेरिका को दी धमकी, कहा- उतार देंगे सनक

अमेरिकी नागरिकों की बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी की सुरक्षा करने के लिए कॉन्सुलेट को बंद करने का फैसला किया गया है। अमेरिका के इस कदम के बाद चीन ने भी पलटवार की धमकी दी थी।

Update: 2020-07-23 14:28 GMT

नई दिल्ली: अब चीन चारों तरफ से घिर चुका है। चाहे वो कोरोना का मुद्दा हो या भी भारत-चाइना सीमा पर सैनिकों के बीच झड़प का मुद्दा, अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित चीनी कॉन्सुलेट (वाणिज्यिक दूतावास) के बंद करने के आदेश को लेकर चीन से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। चीन के सरकारी मीडिया ने गुरुवार को एक संपादकीय में अमेरिका के इस कदम को चुनावी दांव करार दिया है।

चाइना डेली अखबार ने लिखा, वैश्विक मंच पर चीन को शैतान की तरह पेश करने का अमेरिकी प्रशासन का एक नया दांव है। इस कदम से पता चलता है कि चुनाव पोल में अपने प्रतिद्वंद्वी से पीछे चलने की वजह से अमेरिकी नेता चीन को सारी बुराइयों की जड़ दिखाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

चीन ने भी पलटवार की धमकी दी

अमेरिका ने बुधवार को कहा है कि अमेरिकी नागरिकों की बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी की सुरक्षा करने के लिए कॉन्सुलेट को बंद करने का फैसला किया गया है। अमेरिका के इस कदम के बाद चीन ने भी पलटवार की धमकी दी थी। चीनी दूतावास ने अमेरिका के आदेश को राजनीतिक रूप से उकसाने की कोशिश करार दिया और कहा है कि वह तुरंत अपने इस फैसले को वापस ले। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हु चुनयिंग ने ट्विटर पर कहा कि चीन निश्चित तौर पर इसका जवाब देगा। अमेरिका और चीन के बीच टकराव का ये एक और मुद्दा बनता दिख रहा है।

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देश छोड़ने के लिए सिर्फ 72 घंटे की मोहलत

चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भी इसे लेकर एक संपादकीय लिखा है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, "अमेरिका ने चीन से बेवजह ह्यूस्टन कॉन्सुलेट को बंद करने के लिए कहा और स्टाफ को देश छोड़ने के लिए सिर्फ 72 घंटे की मोहलत दी। अमेरिका का ये बेवकूफी भरा फैसला हैरान करने वाला है। दूतावास के अलावा, चीन और अमेरिका के पांच कॉन्सुलेट हैं। अमेरिका का अचानक एक चीनी कॉन्सुलेट को बंद करने की मांग करना नियमों के विपरीत है। क्या ये अमेरिका-चीन के संबंधों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं है?"

अमेरिका का ये कदम सनक भरा है- ग्लोबल टाइम्स

ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा है, अमेरिका का ये कदम सनक भरा है। कई लोगों को लगता है कि ट्रंप प्रशासन चीन के साथ तनाव बढ़ाकर चुनाव में दोबारा जीत दर्ज करने के लिए ऐसा कर रहा है। अमेरिका हर चीज के लिए चीन पर दोषारोपण करके चीन को अच्छी तरह ना समझने वाले अमेरिकी मतदाताओं का भरोसा जीतना चाहता है। नवंबर महीने में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव उन्हें पागल कर रहा है। हालांकि, इस बार दुनिया को पता है कि अमेरिका ने ही चीन के खिलाफ नई जंग छेड़ी है।

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हैरान नहीं होगा अगर चीन अपने यहां अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद कर दे

अमेरिका के इस कदम की चीन के विदेश मंत्रालय ने कड़ी आलोचना की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अगर अमेरिका अपनी गलती नहीं सुधारता है तो वह सख्ती से इसका जवाब देगा। कई ऐसे कदम हैं जो चीन उठा सकता है। अमेरिका में चीनी दूतावास ने भी गुरुवार को एक बयान में अमेरिका के आरोपों को खारिज कर दिया। चीनी दूतावास ने कहा कि चीन के डिप्लोमैटिक मिशन के बारे में आधारहीन आरोप लगाए जा रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय राजनयिक समुदाय ज्यादा हैरान नहीं होगा अगर चीन अपने यहां अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद कर दे।

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चीन दक्षिण-पश्चिम शहर चेंगडु के कॉन्सुलेट को बंद कर सकता है

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीन दक्षिण-पश्चिम शहर चेंगडु के कॉन्सुलेट को बंद कर सकता है। वहीं, रॉयटर्स को एक सूत्र ने बताया कि चीन वुहान में अमेरिकी कॉन्सुलेट को बंद करने पर विचार कर रहा है जहां पर अमेरिका ने कोरोना महामारी की वजह से पहले ही स्टाफ को कम कर दिया है। ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हु शिजिन ने कहा, वुहान कॉन्सुलेट को बंद करना पर्याप्त नहीं होगा। हु ने कहा, अमेरिका का हॉन्ग कॉन्ग में बड़ा कॉन्सुलेट है और साफ तौर पर ये कॉन्सुलेट इंटेलिजेंस सेंटर भी है। अगर चीन इसे बंद ना भी करे तो इसके स्टाफ में कटौती कर दे। इससे अमेरिका को सबसे ज्यादा तकलीफ होगी।

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