ट्रम्प की कोरोना से जंग: प्रेसिडेंट ने लिया इन दवाओं का सहारा, जीतकर लौटे वापस

ट्रम्प का इलाज मेरीलैंड स्थित वाल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर में किया गया। ये अस्पताल अमेरिका के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष नेताओं, सीनेटरों, सुप्रीम कोर्ट के जजों और सैन्य कर्मियों के इलाज के लिए एक्सक्लूसिव है।

Update: 2020-10-06 11:19 GMT
ट्रम्प की कोरोना से जंग: प्रेसिडेंट ने लिया इन दवाओं का सहारा, जीतकर लौटे वापस

नील मणि लाल

लखनऊ। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोना संक्रमण के बाद तीन दिन रातें अस्पताल में गुजारीं और चौथे दिन व्हाइट हाउस लौट आये। व्हाइट हाउस लौटे ही ट्रम्प ने मास्क हटा दिया और कैमरे से रू-ब-रू होते हुए कहा – ‘मैं अब बेहतर हूँ और हो सकता है कि मैं इम्यून हो चुका हूँ। आप इसे (कोरोना को) अपने ऊपर हावी मत होने दीजिये। बाहर निकलिए, सावधान रहिये। हमारे पास दुनिया की सबसे बढ़िया दवाएं हैं। और ये सब बहुत कम समय में सामने आयी हैं और इन सबको मंजूरी मिल रही है।

क्या इलाज हुआ

ट्रम्प का इलाज मेरीलैंड स्थित वाल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर में किया गया। ये अस्पताल अमेरिका के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष नेताओं, सीनेटरों, सुप्रीम कोर्ट के जजों और सैन्य कर्मियों के इलाज के लिए एक्सक्लूसिव है। अस्पताल के डाक्टरों की टीम ने बताया कि ट्रम्प को एंटी वायरल दवा रेम्डीसिविर और स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन दिया गया था। ट्रम्प को अस्पताल में और अब व्हाइट हाउस में जो अन्य दवाएं दी जा रहीं हैं उनमें से कुछ अभी परीक्षण के दौर में ही हैं और एफडीए से इनके इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन राष्ट्रपति के केस में इमरजेंसी प्रयोग के तौर पर इन दवाओं को मंजूरी दी गयी।

रेमडेसिविर

जब वायरस मानव कोशिका यानी सेल में घुसता है तो वो वहां पर अपना जेनेटिक मेटेरियल छोड़ देता है। इसके बाद वायरस शरीर की मशीनरी का इस्तेमाल करके अपनी अनगिनत कॉपियाँ बनाता चला जाता है। संक्रमण की हर स्टेज पर मानव शरीर के प्रोटीन और वायरस के प्रोटीन मिल कर काम करते जाते हैं। वायरस की कॉपी बनने की स्टेज पर वायरस का आरडीआरपी नाम का एंजाइम सेल के भीतर केमिकल रिएक्शन की गति को बढ़ा देता है। इसीलिए आरडीआरपी को वायरस का इंजन माना जाता है। रेमडीसिविर को इस इंजन के खिलाफ काम करने वाला माना गया है। रेमडीसिविर को ‘न्यूक्लियोटाइड एनालॉग’ कहा जाता है जो आरडीआरपी एंजाइम की नकल करता है।

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चुपके से काम करता है रेमडेसिवीर

जब वायरस तेजी से हमला करने की कोशिश करते हैं तब रेमडेसिवीर चुपके से वायरस के जीनोम में खुद को शामिल करता है, जो रेप्लिकेशन प्रोसेस में शॉर्ट सर्किट की तरह काम करता है। अपनी संख्या बढाने के लिए आरडीआरपी वायरस के आरएनए को रॉ मटेरियल को प्रोसेस करता है। जब संक्रमित मरीज को रेमडीसिविर दी जाती है तो ये दवा आरडीआरपी की तरह काम करती है जिससे वायरस अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाता है। रेमडेसिवीर का निर्माण सबसे पहले वायरल बुखार इबोला के इलाज के लिए किया गया था। इसे अमेरिकी फार्मा कंपनी गिलियड साइंसेज द्वारा बनाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाया कि रेमडेसिवीर से कोरोना का इलाज करने में सफलता मिलेगी क्योंकि यह दूसरे वायरस को अपनी संख्या बढ़ाने से रोकती है।

कोरोना के इलाज में ट्रम्प को इंजेक्शन के जरिये रेमडेसिविर की कुल पांच डोज़ दी गयी हैं। चार डोज़ अस्पताल में दी गयीं और एक डोज़ व्हाइट हाउस में लगाई गयी।

रिजेनेरोन एंटीबॉडी कॉकटेल

प्रेसिडेंट ट्रम्प को दो ऐसी दवाओं (आरईजीएन 10933 और आरईजीएन 10987) का मिश्रण दिया गया जो अभी एक्सपेरिमेंट की स्टेज में हैं। ये दवाएं सिंथेटिक हैं और इनका काम वो रिएक्शन पैदा करना है जो शरीर में किसी संक्रमण से लड़ने के लिए उत्पन्न होता है। इन सिंथेटिक दवाओं को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ‘आरईजीएन – सीओवी 2’ नाम दिया गया है और इनको अमेरिकी कंपनी रिजेनेरोन डेवलप कर रही है।

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पिछले महीने कंपनी ने अपने ट्रीटमेंट का प्रारंभिक डेटा प्रकाशित किया था जिसमें बताया गया था कि इस दवाई से मरीजों में बीमारी के लक्षणों में सुधार होता है। इन दवाओं का काम वायरस को निष्क्रिय करना है। रिजेनेरोन कंपनी का कहना है कि उसने ट्रम्प के चिकित्सकों के आग्रह पर ये दवा उपलब्ध कराई है। इसका मतलब ये है कि डाक्टरों को भरोसा था कि ये दवा ट्रम्प के इलाज में कारगर साबित होगी। कोई आम नागरिक यदि इस दवा का ट्रीटमेंट लेना चाहता है तो उसे क्लिनिकल ट्रायल के लिए अपना पंजीकरण कराना होगा।

डेक्सामेथासोन

डेक्सामेथासोन एक कोर्टिकोस्टेरॉयड है जिसे सूजन और बुखार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कोविड-19 के मरीजों में डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल के ठोस नतीजे पाए गए हैं इसीलिए गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को ये दवा दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गंभीर संक्रमण में स्टेरॉयड वायरस द्वारा उत्पन्न सूजन और बुखार से लड़ सकते हैं। लेकिन हल्के संक्रमण में स्टेरॉयड का कोई ख़ास असर नहीं पाया गया है। एक ट्रायल में तो बताया गया था कि हल्के संक्रमण वाले ऐसे मरीज जिनको ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं होती उनको स्टेरॉयड देने से फायदे की बजाये नुकसान होने की संभावना होती है।

ट्रम्प को ये दवा इसलिए दी गयी क्योंकि उनकी ऑक्सीजन का लेवल गिर कर 93 फीसदी पर आ गया था। ऐसे में ट्रम्प को एक घंटा ऑक्सीजन दी गयी और तत्काल डेक्सामेथासोन की खुराक भी दी गयी। डेक्सामेथासोनका इस्तेमाल सार्स, मर्स, तीव्र फ्लू और निमोनिया में किया जाता है। डाक्टरों का कहना है कि स्टेरॉयड का प्रयोग इसकी खुराक और मरीज की स्थिति को देख कर किया जाता है।

फामोटिडाइन

फामोटिडाइन सीने में जलन की दवा है। कुछ अध्ययनों में इस दवाई का अच्छा असर कोरोना के मरीजों में भी देखा गया है। ये एक हिस्टामाइन ब्लॉकर जो पेट में पैदा होने वाले एसिड की मात्रा को घटा देता है। इस दवाई का इस्तेमाल पेट और आँतों के अल्सर के इलाज में भी किया जाता है। एक अध्ययन में पता चला था कि चीन में जो लोग एसिडिटी के लिए इस दवाई को थे वे जब कोरोना से संक्रमित हुए तो उनमें मृत्यु दर काफी कम रही थी। बाद में अमेरिका में कोरोना के मरीजों पर इस दवाई का इस्तेमाल किया गया जिसके अच्छे नतीजे सामने आये। फिलहाल इस दवाई को इंट्रावेनस तरीके से दिए जाने पर अभी ट्रायल किया जा रहा है।

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जिंक

जिंक में वायरस से लड़ने की क्षमता पायी जाती है। वैसे तो ट्रम्प पहले से ही जिंक लेते रहे हैं लेकिन अब कोरोना के ट्रीटमेंट में जिंक को भी अधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। यूरोप में हुई एक स्टडी में पाया गया था कि जिन लोगों के खून में जिंक का लेवल कम था कोरोना से संक्रमित होने पर उनकी स्थिति ज्यादा खराब पायी गयी। जिंक शरीर के मेटाबोलिज्म और इम्यून सिस्टम को नियमित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि जिन लोगों में जिंक का लेवल कम होता है उनमें डायबिटीज, किडनी की बीमारी, निमोनिया और सेप्सिस होने की आशंका ज्यादा होती है। खून में जिंक का सामान्य लेवल 70 होता है।

विटामिन डी

ट्रम्प के डाक्टरों ने बताया है कि प्रेसिडेंट को विटामिन डी भी दिया जा रहा है। कई स्टडी बताती हैं कि विटामिन डी की कमी और कोरोना संक्रमण के गंभीर जोखिम के बीच सम्बन्ध है। यही नहीं कोरोना से मरने वाले लोगों में भी विटामिन डी की कमी पाई गयी है। अभी ये पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि विटामिन डी लेने से कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है। इस दिशा में कई अध्ययन जारी हैं। बोस्टन यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में बताया गया है कि विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा वाले कोरोना के वृद्ध मरीजों में मृत्यु दर काफी कम पाई गयी है। ऐसा माना जाता है कि विटामिन डी शरीर के इम्यून रेस्पोंस में भूमिका निभाता है। विटामिन डी का सर्वोत्तम स्रोत सूरज की किरणें होती हैं।

मेलाटोनिन

मेलाटोनिन शरीर में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाला हार्मोन है जिसमें एंटीओक्सिडेंट और एंटी इन्फ्लेमटरी गुण होते हैं। इसके अलावा मेलाटोनिन बॉडी क्लॉक को भी रेगुलेट करता है। कुछ शोधों में पता चला है कि मेलाटोनिन देने से कोरोना संक्रमण में आराम मिलता है हालाँकि इस दिशा में अभी कुछ ट्रायल जारी हैं।

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एस्पिरिन

कोरोना के कुछ मरीजों में खून के थक्के बनने की शिकायत रहती है जो जानलेवा भी साबित हो जाती है। ऐसे में गंभीर संक्रमित मरीजों को एस्पिरिन की खुराक दी जाती है ताकि खून पतला रहे और थक्के न बनने पायें। इसके अलावा हलके बुखार में भी एस्पिरिन दी जाती है। चूँकि ट्रम्प को लो ग्रेड यानी हल्का बुखार था सो उनको एस्पिरिन दी गयी।

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