कोरोना के सौ फीसदी इलाज का दावा, अमेरिकी शोधकर्ताओं को मिली बड़ी कामयाबी
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कोरोना का सौ फीसदी इलाज खोज निकालने का दावा किया है। इन शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने ऐसी एंटीबॉडी की खोज की है जिसमें कोरोना का संक्रमण रोकने की सौ फ़ीसदी क्षमता है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना संकट गहराने के बाद विभिन्न देशों के वैज्ञानिक जल्द से जल्द इस महामारी की वैक्सीन ढूंढने में जुटे हुए हैं। हालांकि अभी तक इस मामले में किसी को कामयाबी नहीं मिल पाई है। वैसे इजराइल और इटली की ओर से कोरोना की वैक्सीन बना लेने का दावा किया गया है मगर अभी तक इस दावे की पुष्टि नहीं हो सकी है। इस बीच अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कोरोना का सौ फीसदी इलाज खोज निकालने का दावा किया है। इन शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने ऐसी एंटीबॉडी की खोज की है जिसमें कोरोना का संक्रमण रोकने की सौ फ़ीसदी क्षमता है।
ब्रिटेन में भी चल रह ट्रायल
पूरी दुनिया में इन दिनों कोरोना की वैक्सीन बनाने की कोशिशें चल रही हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पिछले दिनों एक ऐसी वैक्सीन विकसित की है जिसके बंदरों पर परीक्षण के सकारात्मक नतीजे मिले हैं। अब इस वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण किया जा रहा है। माना जा रहा है कि एक महीने में इस ट्रायल के नतीजे मिलेंगे।
कारगर एंटीबॉडी की खोज
उधर कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के इलाज में कारगर माने जाने वाली एंटीबॉडी को विकसित करने का दावा किया है। वैज्ञानिकों ने इसे एसटीआई-1499 नाम दिया है। कैलिफोर्निया की कंपनी सोरेंटो थेराप्प्यूटिक्स ने आरके माउंट सिनाई स्कूल आफ मेडिसिन के साथ मिलकर इस एंटीबॉडी की खोज की है। कंपनी ने दावा किया कि यह एंटीबॉडी अस्थायी वैक्सीन का काम करेगी।
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कंपनी ने किया बड़ा दावा
कंपनी ने हर महीने दो लाख एंटीबॉडी का निर्माण करने का दावा किया है। कंपनी का कहना है कि अभी कोरोना की वैक्सीन आने में समय लगेगा और यह एंटीबॉडी वैक्सीन से पहले ही उपलब्ध होगी। इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए अमेरिका के फूड और ड्रग प्रशासन से आपातकालीन अनुमति मांगी गई है।
सोशल डिस्टेंसिंग भी जरूरी नहीं
कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को बड़ा हथियार माना जा रहा है मगर कंपनी के सीईओ डॉ हेनरी का कहना है कि यदि इंसानी शरीर में वायरस से लड़ने और उसे खत्म करने वाली एंटीबॉडी हो तो सोशल डिस्टेंसिंग की कोई जरूरत नहीं है। डॉ हेनरी का कहना है कि हम कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करना चाहते हैं और इसी कड़ी में इस एंटीबॉडी को विकसित किया गया है।
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वायरस को ब्लॉक करने की क्षमता।
इस एंटीबॉडी को विकसित करने की प्रक्रिया से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस को ब्लॉक करने के साथ ही इम्यून सिस्टम के लिए अलार्म का काम करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि निश्चित रूप से कोरोना का टीका आने में अभी कुछ समय लगेगा और ऐसे में यह एंटीबॉडी कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने में कारगर साबित होगी। उनका कहना है कि इससे नए लोगों तक इस वायरस का संक्रमण नहीं फैल सकेगा।
इंसानी शरीर के लिए सुरक्षा कवच
वैसे शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि अभी तक इंसानों पर इस एंटीबॉडी का ट्रायल नहीं किया गया है। इसलिए इसके साइड इफेक्ट को लेकर अभी निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। कंपनी ने एसटीआई-1499 सहित करीब 12 एंटीबॉडीज को मिलाकर दवा तैयार की है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह दवा इंसानी शरीर के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करेगी।
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