चीन की नहीं चलेगी दादागिरी: भारत-अमेरिका साथ, रूस ने दी ये चेतावनी
चीन के साथ तनाव के बीच भारत और अमेरिका एक साथ आए हैं। साथ ही चीन पर नकेल कसने के लिए दोनों देशों ने कई रक्षा समझौते भी किए हैं। लेकिन इससे रूस की चिंता बढ़ गई है।
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तिवक नियंत्रण रेखा (LAC) मई महीने से ही भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति देखी जा रही है। वहीं चीन के साथ जारी तनाव के बीच अमेरिका ने ड्रैगन के खिलाफ भारत का साथ दिया है। गतिरोध जारी होने के बाद से ही अमेरिका की ओर से भारत के पक्ष में बयानबाजी की जाती रही है। इसके अलावा चीन पर नकेल कसने के लिए भारत ने अमेरिका के साथ कई अहम रक्षा समझौते भी किए हैं। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती दोस्ती ने रूस की चिंता बढ़ा दी है।
रूस ने दी ये चेतावनी
गुरुवार को रूस ने बातों ही बातों में चेतावनी दी कि लद्दाख में जारी तनाव का गलत उपयोग अमेरिका अपने भू-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कर सकता है। तो चलिए जानते हैं कि भारत और अमेरिका के बढ़ते सहयोग से रूस क्यों इतना चिंतित है। दरअसल, रूस का कहना है कि वैश्विक अशांति और अनिश्चितता के दौर में भारत और चीन के बीच सीमा पर किसी भी तरह का तनाव बढ़ने से यूरेशिया में क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ेगी। वहीं अन्य देश दोनों देशों के इस तनाव का अपने भू-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग कर सकते हैं।
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इस वजह से चिंतित है रूस
भारत में रूस के उप मिशन प्रमुख रोमन बबुशिकन ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव से रूस स्वाभाविक रूप से चिंतित है और यह बेहद जरूरी है कि दोनों पक्ष अधिक से अधिक रचनात्मक वार्ता करें। दरअसल, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के माध्यम से रूस और अमेरिका दोनों शक्तिशाली देश बढ़त बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, जिसकी वजह से दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। वहीं रूस में पिछले दिनों हुई वार्ता के बाद भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने पर आपसी सहमति बनी है।
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अमेरिका के सहयोग से बढ़ी रूस की चिंता
हालांकि रूस के हस्तक्षेप के बावजूद भी चीन लद्दाख में पीछे हटने पर तैयार होता दिखाई नहीं दे रहा है। इतनी कड़ाके की ठंड के बाद भी भारत और चीनी सैनिक घातक हथियारों के साथ तैनात हैं। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका चीन पर नकेल कसने के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ 'क्वॉड' को मजबूत करने में लगा हुआ है। साथ ही रूस के सबसे बड़े शस्त्र बाजार भारत को अत्याधुनिक हथियार भी दे रहा है। अमेरिका के इस हमले से रूस की चिंता बढ़ गई है।
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इस बात का सता रहा डर
क्योंकि रूस का मानना है कि अगर भारत क्वॉड के जरिए अमेरिका के खेमे में चला गया तो उसकी दिक्कतें बढ़ जाएंगे। इसके अलावा उसे यह भी डर सता रहा है कि एशिया में अमेरिका का प्रभाव बढ़ जाएगा। यही नहीं अगर भारत के बाजार से सफाया हो जाता है तो रूस की इकॉनोमी पर भी संकट आ जाएगा। यहीं वजह है कि रूस शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स की बैठक के जरिए भारत और चीन के बीच तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है।
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