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मोरारी बापू: बड़ी पहुंच वाले हाई प्रोफाइल संत, इस तरह विवाद सुलझाने की कोशिश

अनोखे अंदाज में राम कथा सुनाने के लिए मोरारी बापू को पूरी दुनिया में जाना जाता है। वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं मगर इन दिनों उनकी चर्चा कुछ दूसरे कारणों से हो रही है। उसके लिए उन्होंने माफी मांग ली है।

Ashiki
Published on: 21 Jun 2020 7:19 PM GMT
मोरारी बापू: बड़ी पहुंच वाले हाई प्रोफाइल संत, इस तरह विवाद सुलझाने की कोशिश
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: अनोखे अंदाज में राम कथा सुनाने के लिए मोरारी बापू को पूरी दुनिया में जाना जाता है। वे हमेशा चर्चा में बने रहते हैं मगर इन दिनों उनकी चर्चा कुछ दूसरे कारणों से हो रही है। पिछले दिनों प्रवचन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का प्रसंग सुनाते हुए मोरारी बापू ने कुछ ऐसी बातें कह दीं जिनसे न केवल अहीर समाज बल्कि पूरे हिंदू समाज की भावनाओं को धक्का लगा। सोशल मीडिया पर मोरारी बापू निशाने पर आ गए।

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हाल ही में मांगी माफी

मोरारी बापू की इतनी ज्यादा आलोचना होने लगी कि उन्हें एक वीडियो संदेश के जरिये माफी तक माननी पड़ी। गुजरात में मोरारी बापू के भक्तों की लंबी-चौड़ी फौज है मगर द्वारिका में एक भाजपा नेता ने मेरारी बापू पर हमले तक का प्रयास किया। बड़े-बड़े राजनेताओं और कई बड़े औद्योगिक घरानों तक पहुंच रखने वाले मोरारी बापू ने भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली अपनी बातों के लिए सभी लोगों के साथ ही संत समाज से भी माफी मांगी है।

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बापू के इस प्रवचन पर पैदा हुआ विवाद

दरअसल हाल में मोरारी बापू की उन बातों को लेकर विवाद पैदा हो गया जो उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक प्रवचन के दौरान कही थीं। मोरारी बापू ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रसंग की चर्चा के दौरान कहा कि श्रीकृष्ण की द्वारिका में शराब का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया था। कथा क्रम को आगे बढ़ाते हुए मोरारी बापू ने भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम के शराबी होने तक की बात कह डाली। मोरारी बापू के इस प्रवचन के बाद खासा विवाद खड़ा हो गया और और लोगों ने इसे लेकर अपनी गहरी आपत्ति जताई। सोशल मीडिया पर मोरारी बापू के प्रवचन का वीडियो जमकर वायरल हुआ और हिंदू समाज के लोगों ने बापू के इस प्रवचन पर गहरी आपत्ति जताई।

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वीडियो जारी कर सबसे मांगी माफी

विवाद ज्यादा बढ़ने और लोगों के निशाने पर आने के बाद मोरारी बापू ने करीब साढ़े तेरह मिनट का एक वीडियो जारी किया है। इस वीडियो में मोरारी बापू ने अपनी कही गई बातों के लिए कई बार क्षमायाचना की है। मोरारी बापू ने कहा कि मेरी बातों से संत समाज और हिंदू समाज के जिन लोगों को ठेस पहुंची है, उनसे मैं माफी मांगता हूं। मोरारी बापू ने यह भी कहा कि मैं उचित समय पर वृंदावन जाकर भी संत समाज से आशीर्वाद लूंगा और उनसे मिलकर अपनी बातों के लिए क्षमा मांगूंगा। वीडियो में बेहद भावुक अंदाज में बापू ने कहा कि यदि मेरी वजह से किसी को दुख पहुंचे तो उससे पहले मैं समाधि ले लेना पसंद करूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि आंसू मेरी आंख से नहीं बल्कि आत्मा से निकल रहे हैं।

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भाजपा नेता ने किया हमले का प्रयास

गुजरात में बापू के प्रति श्रद्धा का भाव रखने वालों की संख्या काफी ज्यादा है मगर अपने ही प्रदेश में बापू लोगों के निशाने पर आ गए। गुजरात में द्वारका में भाजपा के पूर्व विधायक पबुभा माणेक ने बापू पर हमले तक की कोशिश की। भाजपा सांसद पूनम माडन ने माणेक को रोका। भाजपा नेता माणेक ने गालीगलौज भी की।

बाद में भाजपा सांसद पूनम माडन ने कहा कि भगवान के संबंध में कोई गलत बयानबाजी होने पर भक्तों में नाराजगी होना स्वाभाविक ही है। उनका इशारा यूपी में कथा के दौरान मोरारी बापू की ओर से कही गई बातों की ओर था। हालांकि बाद में माणेक की ओर से दावा किया गया कि उनकी मोरारी बापू पर हमले की कोई मंशा नहीं थी। उनका कहना था कि मैं तो बापू से सिर्फ यही कहना चाहता था कि उन्होंने ऐसी बातें क्यों कही और कहां से उन्हें यह सब पता चला।

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दो महीना पहले भी हुआ था विवाद

हाल के दिनों में यह पहला मौका नहीं है जब बापू विवादों के केंद्र में आए हैं। इससे पहले मई महीने में भी सोशल मीडिया पर मोरारी बापू, श्रीमद्भागवत कथावाचक चिन्मयानंद बापू और देवी चित्रलेखा पर निशाना साधा गया था। इन तीनों कथावाचकों के खिलाफ सोशल मीडिया पर जमकर पोस्ट लिखे गए थे। लोगों का आरोप था कि ये सभी राम कथा और श्रीमद्भागवत कथा के जरिए इस्लाम का प्रचार करते हैं। लोगों ने कथा के दौरान अली-मौला बोलने पर गहरी आपत्ति जताई थी।

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तीन संतों के खिलाफ हुई थी तेजी

बाद में तीनों ने वीडियो जारी कर माफी मांग ली थी और दोबारा कथा में अली-मौला न बोलने का संकल्प लिया था। सबसे पहले चिन्मयानंद बापू ने माफी मांगी और फिर चित्रलेखा ने। अंत में मोरारी बापू ने भी लोगों से माफी मांग ली थी। मोरारी बापू ने अपने वीडियो में कहा था कि मेरे किसी वक्तव्य में कोई चूक हुई हो या कोई त्रुटि रह गई हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।

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सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पण

वैसे मोरारी बापू के जीवन से कई सकारात्मक बातें भी जुड़ी हुई हैं और अपने सामाजिक सुधार के कामों के लिए भी वे सुर्खियों में रहे हैं। सामाजिक सरोकारों से जुड़े कामों के लिए मोरारी बापू ने अपने प्रवचनों के जरिए करोड़ों रुपए की रकम जुटाकर विभिन्न संस्थाओं और सामाजिक हितों के लिए काम करने वाले संगठनों को दान की है। इस तरह के कामों के लिए रामकथा का उपयोग करने के मामले में उन्हें पहला संत तक कहा जाता है।

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कई अभियानों व समाजसेवा में रहे हैं आगे

2005 में अपने प्रवचनों के माध्यम से उन्होंने सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के लिए पैसा जुटाया था। 2016 में ट्रांसजेंडर और 2018 में सेक्स वर्करों के कल्याण के लिए कथा के माध्यम से आर्थिक मदद करके मोरारी बापू चर्चा में आए थे। इसके साथ ही कैदियों, सैनिकों, मरीजों, बेटी बचाओ अभियान जैसे बड़े मुद्दों के लिए भी मोरारी बापू कथा सुना चुके हैं। बापू अपने श्रोताओं और भक्तों में किसी भी प्रकार का भेदभाव न करने के लिए जाने जाते हैं।

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पूरी दुनिया में सुना चुके हैं रामकथा

गुजरात में जन्मे मोरारी बापू ने 1960 के दशक में रामप्रसाद महाराज के सानिध्य में राम चरित मानस के विभिन्न प्रसंगों पर कथा वाचन की शुरुआत की थी। वे देश ही नहीं बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रामकथा सुना चुके हैं। विदेश में रामकथा की शुरुआत उन्होंने 1976 में नैरोबी में की थी। इसके बाद वे अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका के विभिन्न देशों सहित क्रूज शिप और दुनिया की सैर पर निकले हवाई जहाज पर भी भक्तों को रामकथा सुना चुके हैं। उन्होंने कैलाश पर्वत के नीचे भी कथा वाचन कर भक्तों को भावविभोर कर दिया था।

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मोदी को मोरारी बापू ने ही बताया था फकीर

मुरारी बापू की पहुंच बड़े नेताओं से लेकर प्रमुख औद्योगिक घरानों तक रही है। जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोरारी बापू ने ही पहली बार फकीर कहा था। गुजरात में राम कथा करते हुए मोरारी बापू ने जिस समय मोदी को फकीर बताया था। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे।

हालांकि बापू खुद को राजनीति से हमेशा दूर बताते रहे हैं मगर यह भी सच्चाई है कि पीएम मोदी से उनकी नजदीकी से इनकार नहीं किया जा सकता। पीएम मोदी बापू के कई प्रवचनों के दौरान उनके श्रोता रहे हैं। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की चर्चा करते हुए बापू ने कहा था कि मोदी की देशभक्ति पर किसी भी प्रकार का सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता। 2008 में गुजरात में हुए किसान आंदोलन के दौरान किसानों ने तत्कालीन सीएम मोदी तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मोरारी बापू का ही सहारा लिया था।

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अंबानी परिवार ने भी लिया था बापू का सहारा

देश के सबसे बड़े बिजनेस घराने अंबानी फैमिली से मोरारी बापू की नजदीकी छिपी हुई नहीं है। जब देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके भाई अनिल अंबानी के बीच दरार की खबरें सामने आईं तब उनकी मां कोकिलाबेन ने मोरारी बापू की मदद से ही इस कलह को शांत करने की कोशिश की थी। बापू ने मध्यस्थता की बात खुलकर कही भी थी। अंबानी परिवार ही नहीं बल्कि देश के अन्य कई बड़े औद्योगिक घरानों तक मोरारी बापू की पहुंच मानी जाती रही है। सूरत के हीरा व्यापारियों से लेकर दुनिया भर के तमाम बड़े उद्योगपति उनके अनुयायियों में गिने जाते हैं।

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अयोध्या में राम मंदिर के समर्थक रहे हैं बापू

मोरारी बापू अयोध्या में भव्य राम मंदिर के समर्थक भी रहे हैं।1991-92 के दौर में जब मंदिर आंदोलन चरम पर था तब बापू आक्रामक ढंग से राम मंदिर की स्थापना के लिए वकालत किया करते थे। हाल के दिनों में मोरारी बापू के अंदाज में वैसी आक्रामकता नहीं दिखती, लेकिन सरकारों और अदालतों के सामने वे हमेशा राम मंदिर के समर्थक रहे हैं। गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने की दिशा में मोरारी बापू ने कुछ कदम उठाए थे। वैसे मोरारी बापू की शांति यात्राओं में शामिल रहे एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि उनके ये कदम राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगते थे।

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