ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे: नीतीश और शाहनवाज की जोड़ी क्या गुल खिलाएगी

नीतीश और शाहनवाज की जोड़ी अटल बिहारी वाजपेयी के युग में खुद परवान चढ़ी थी। बिहार के इन दोनों नेताओं को अटलजी पसंद भी किया करते थे। बिहार पर लिए जाने वाले फैसलों में भी दोनो नेताओं का दखल रहता था।

Update: 2021-02-09 09:47 GMT
ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे: नीतीश और शाहनवाज की जोड़ी क्या गुल खिलाएगी

रामकृष्ण वाजपेयी

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपने पुराने दोस्त पर भरोसा करके उन्हें अपने साथ ले आए हैं। देखना होगा कि बिहार को ये दोनों नेता कितना आगे ले जाते हैं। एक समय था जब बिहार के हर फैसले में नीतीश और शाहनवाज की जोड़ी का नाम आता था। ये अटल युग की बात है। और अब मोदी युग में दोनो की जोड़ी बनना किसी चमत्कार से कम नहीं है।

बिहार में मंत्री बनने वाले शाहनवाज हुसैन भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि विधान परिषद के जरिये इनकी बिहार की राजनीति में एंट्री कराकर और फिर इनको मंत्री बनवा कर पार्टी ने अल्पसंख्यक कार्ड खेला है। लेकिन नीतीश का योगदान भी इसमें कम नहीं है।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

शाहनवाज हुसैन का राजनीतिक सफर

शाहनवाज हुसैन ने राजनीति की शुरूआत 1999 में 13वें लोकसभा चुनाव से की थी। वह कम उम्र में केंद्रीय राज्यमंत्री बन गए थे। उन्होंने उस समय मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का प्रभार संभाला। 2001 में उन्हें कोयला मंत्री के रूप में अलग से प्रभार मिला था।

इसके बाद 2001 की दूसरी छमाही में नागरिक उड्डयन में कैबिनेट मंत्री के रूप प्रोन्नति मिली। 2003 में उन्हें कपड़ा मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया। लेकिन 2004 में वह चुनाव हार गए। लेकिन दो साल बाद ही 2006 में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव जीते और 15वीं लोकसभा के सदस्य बने।

2014 के चुनाव में फिर भागलपुर से काफी कम मतों के अंतर से हार गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सैयद शाहनवाज हुसैन को कहीं से भी प्रत्याशी नहीं बनाया। बावजूद इसके शाहनवाज संगठन के कामों में लगे रहे।

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भारतीय जनता युवा मोर्चा के सचिव बनकर की करियर की शुरुआत

इन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता युवा मोर्चा के सचिव बनकर की थी। राजनीति के अलावा वे दिल्लीे वक्फ बोर्ड, राष्ट्री य शक्तिज फ़ाउंडेशन आदि संस्थाकओं के सदस्यक भी हैं।

नीतीश के पास कोई मुस्लिम चेहरा नहीं

शाहनवाज के आने से बिहार में एक तरफ भाजपा को मजबूती मिलेगी तो दूसरे मुस्लिम समर्थक छवि वाले नीतीश कुमार पर उनके जरिये दबाव भी बनाया जाएगा। गौरतलब है कि बिहार में नीतीश के पास वर्तमान में कोई मुस्लिम चेहरा नहीं है। इससे मुस्लिम समुदाय में एक संदेश देने की कोशिश भी की गई है। अब तक जदयू नेता ये कहते रहे हैं कि बिहार में एनडीए को नीतीश कुमार की वजह से मुस्लिम वोट मिले थे।

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बिहार में शाहनवाज की एंट्री

शाहनवाज को भाजपा ने बहुत सधे हुए कदमों से बिहार में एंट्री दिलायी है। पहले उन्हें बिहार विधान परिषद में एमएलसी बनवाया और अब मंत्री पद पर आसीन हो गए। क्योंकि शाहनवाज ने अमूमन दिल्ली की ही राजनीति की है। वह दिल्ली में रहते भी रहे हैं उनकी पत्नी का नाम रेणु है और उनके दो बच्चे हैं। वैसे विपक्ष शाहनवाज को केंद्र की राजनीति से निकालकर बिहार में सीमित कर देने को उनके कद को घटाए जाने से जोड़ कर देख रहा है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

गौरतलब है कि नीतीश और शाहनवाज की जोड़ी अटल बिहारी वाजपेयी के युग में खुद परवान चढ़ी थी। बिहार के इन दोनों नेताओं को अटलजी पसंद भी किया करते थे। बिहार पर लिए जाने वाले फैसलों में भी दोनो नेताओं का दखल रहता था। उसी समय दोनो की दोस्ती मजबूत हुई। सुशील मोदी के राज्यसभा जाने के बाद नीतीश को भी भरोसे के आदमी की जरूरत थी और उनकी खोज शाहनवाज पर जाकर खत्म हुई। देखना होगा कि भविष्य में दो दोस्तों की ये जोड़ी क्या कमाल दिखाती है और बिहार का क्या हाल होता है।

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