मैथमैटिक्स गुरु ने की लौंगी भइया की तारीफ, किया ऐसा कारनामा, बन गए रियल हीरो

आरके श्रीवास्तव ने कहा कि 5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां ने यह साबित कर दिया की "जीतने वाले छोड़ते नहीं और छोड़ने वाले जीतते नही।"

Update:2020-09-20 11:41 IST

एक रुपया में गणित पढ़ाकर सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बनाने वाले आरके श्रीवास्तव ने 5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां को रियल हीरो बताया है। बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है।

5 किमी लंबी नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां से सीखें युवा

आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है। आरके श्रीवास्तव ने बताया की युवाओं को 5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां से सीखने की जरूरत है। 5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां ने यह साबित कर दिया की "जीतने वाले छोड़ते नहीं और छोड़ने वाले जीतते नही।"

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5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइंयां (फाइल फोटो)

बिहार के दूसरे दशरथ मांझी के रूप में पॉपुलर गया के बांके बाजार प्रखंड के रहने वाले कोटवा गांव के लूंगी भुंया को आरके श्रीवास्तव ने समाज के लिये रोल मॉडल बताया। आपको बता दें कि लूंगी भुइयां ने 30 वर्षों में 5 किलोमीटर जंगल में नहर बना डाली था। उनके काम को आरके श्रीवास्तव के द्वारा सराहा गया। बिहार के गया जिले मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर बांकेबाजार प्रखण्ड के अति नक्सल प्रभावित लुटुआ पंचायत के कोठीलवा गांव निवासी लौंगी भुईयां ने 30 सालों में अकेले पहाड़ से जमीन तक 5 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर मिसाल कायम की है। दरसअल, यह क्षेत्र में पानी की घोर अभाव रहा है जिससे की यहां के लोग केवल मक्का और चना की खेती किया करते थे। ऐसे में गांव के सारे नौजवान अच्छी नौकरी की तलाश में गांव से पलायन कर चुके थे।

रंग लाई 30 साल की मेहनत

5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइंयां (फाइल फोटो)

इसी बीच लौंगी भुइयां जो रोजाना बकरी चराने के लिए जंगल जाया करते थे। उन्हें यह ख्याल आया कि अगर गांव तक पानी आ जाए तो लोगों का पलायन रुक जाएगा और लोग खेतों में सभी तरह के फसल उगाने लगेंगे। तभी उन्होंने पूरा जंगल घूम कर बंगेठा पहाड़ जिसपर वर्षा का जल रुक जाया करता था, उसे अपने गांव तक लाने के लिए एक नक्शा तैयार किया। नक्शे के अनुसार दिन में उन्हें जब भी समय मिलता वह नहर बनाने लगते और आखिरकार 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और 5 किलोमीटर लंबी नहर जो 5 फीट चौड़ी और तीन फीट गहरी है पूरी तरह तैयार हो गई।

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इस नहर के सहारे बारिश के पानी को गांव में बने तालाब में स्टोर किया जाता है, जहां से लोग पानी का सिंचाई के लिए उपयोग करते हैं। करीब 3 गांव के 3000 हजार लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं। लौंगी भुईयां ने बताया कि पत्नी, बहु और बेटा सभी लोग मना करते थे कि बिना मजदूरी वाला काम क्यों कर रहे हैं। वहीं लोग मुझे पागल समझने लगे थे। कहते थे कि कुछ नहीं होने वाला है। लेकिन आज जब नहर का काम पूरा हुआ और उसमें पानी आया तो सभी मेरी प्रशंसा कर रहे हैं।

आनंद महिंद्रा ने लौंगी भुइयां को सराहा, दिया ट्रैक्टर

5 किमी नहर बनाने वाले लौंगी भुइंयां (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि था कि सरकार अगर मुझे ट्रैक्टर दे देती मैं वन विभाग के बंजर पड़े जमीन को खेती लायक उपजाऊ बनाकर लोगों का भरण पोषण कर सकता हूं। उन्होंने बताया कि वह कुदाल को प्रतिदिन काम कर जंगल की झाड़ियों में छिपा दिया करता थे। ताकि कोई चुरा ना ले और आखिरकार उनकी अद्भूत कार्य की बात आनंद महिंद्रा तक पहुंच गई और उन्होंने ट्रैक्टर देकर लौंगी भूइयां की हौसला अफजाई की।

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आपको बता दें कि लौंगी भुइयां ने 30 वर्षों में 5 किलोमीटर जंगल में नहर बना डाला था उनके काम को महिंद्रा ट्रैक्टर कंपनी के द्वारा पहले सराहा जा चूका है। इस मौके पर लौंगी भुइयां ने बताया कि मेरा सपना था कि जो पानी बाकर नदी में चला जाता है वह पानी हमारे गांव के खेतों में जाए इसी को लेकर दिन रात मेहनत कर हमने 5 किलोमीटर लंबी नहर बनाया था।

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