चौंकाने वाला खुलासा: कोरोना वायरस से वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता, आप भी ये जान लें
कोरोना वायरस के बर्ताव को लेकर या इसके मौसम के सापेक्ष बदलते स्वरूप को लेकर अभी तक कोई स्टडी नहीं हुई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस के बर्ताव और मौसम का कोई लेना देना नहीं है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के मामले नीचे जाने के बाद फिर ऊपर उठ रहे हैं। पिछले साल जब मार्च में कोरोना फैलना शुरू हुआ था तब ऐसी राय जाहिर कि जा रही थी कि कोरोना वायरस का प्रकोप तापमान बढ़ने के संग कम होता जाएगा बहुत से वैज्ञानिक भी कह रहे थे कि कोरोना वायरस सर्दियों में पनपता है और गर्मी के मौसम में ये ठंडा पड़ जाता है। लेकिन ये सब बातें काफी हद तक अटकलें साबित हुईं क्योंकि पिछली गर्मियों में भी कोरोना का प्रकोप कम नहीं हुआ था। सच्चाई ये है कि अभी तक कोरोना वायरस और मौसम के बीच कोई स्टडी या संबंध स्थापित नहीं हो पाया है।
सावधानी अभी भी जरूरी
कोरोना वायरस के बर्ताव को लेकर या इसके मौसम के सापेक्ष बदलते स्वरूप को लेकर अभी तक कोई स्टडी नहीं हुई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस के बर्ताव और मौसम का कोई लेना देना नहीं है। फिर भी भारत में मामलों का ग्राफ देखें तो मार्च और अप्रैल के माह में गर्मियों की शुरूआत में केस काफी कम थे। मई-जून में अनलॉक होते ही केस बढ़े। कई राज्यों में आए मामलों का बड़ा हिस्सा बारिश खत्म होने और सर्दी शुरू होने के बीच आया। अब फिर से केस बढ़ रहे हैं। ऐसे में लोगों को और ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आमतौर पर माना जाता है कि वायरस को पनपने में दो फैक्टर होते हैं - एक तापमान व दूसरा नमी। अगर तापमान 27 डिग्री तक और नमी 70-100 फीसदी के बीच हो, तो वायरस आसानी से पनपते हैं। सितंबर अक्टूबर के बीच कोरोना के मामले ज्यादा देखने में आए हैं। उस दौरान उत्तर भारत में आमतौर पर तापमान न्यूनतम 22 से अधिकतम 32 डिग्री के बीच और नमी न्यूनतम 50 से 60 फीसदी और अधिकतम 70 से 80 फीसदी रही थी। दिसंबर, जनवरी, फरवरी में न्यूनतम तापमान 14 डिग्री से 18 अधिकतम 28 से 30 डिग्री के बीच रहता आया है, जबकि नमी न्यूनतम 30 से अधिकतम 70 फीसदी के आसपास रहती है।
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विशेषज्ञ चिंतित
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पिछले साल के रिकॉर्ड को देखें तो मौसम ठीक होने के साथ-साथ कोरोना के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसके साथ ही कोरोना के तीन नए वैरिएंट और भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ऑपरेशन ग्रुप फॉर कोविड टास्कक फोर्स के हेड डॉ. एन के अरोड़ा कहते हैं कि वायरस से जुड़े हुए जो भी रोग होते हैं ये सभी एक लहर की तरह आते हैं। इनका मौसम या समय से कोई लेना देना नहीं है। कोरोना वायरस के बारे में भी देखा गया है कि इसके संबंध में मौसम को लेकर लगाए गए अनुमान गलत ही साबित हुए हैं।
पिछले साल जब कोरोना आया तो कहा गया कि गर्मी आते ही इसके मामलों में कमी आ सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके बाद कहा गया कि सर्दी आने पर मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन यह भी गलत साबित हुआ। ऐसे में इस वायरस का गर्मी या सर्दी से कोई लेना-देना नहीं है और यह वायरस लहर की तरह आता-जाता रहा है। दरअसल, इस वायरस के बारे में अभी बहुत कुछ पता किया जाना बाकी है। ढेरों बातें सिर्फ अटकलों पर चल रहीं हैं।
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लापरवाही और उदासीनता
देश में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने की बड़ी वजह लोगों में लापरवाही और कोरोना वैक्सीन के आने से पैदा हुई निश्चिंतता भी हो सकती है। वैक्सीेन आने के बाद लोगों को लगने लगा है कि कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इसके अलावा जिस तरह अब सब कुछ खुल गया है, मास्किंग आदि पर कोई सख्ती नहीं है उससे भी लोग लापरवाह हो गए हैं।
इसी साल की शुरुआत में हुए सीरो सर्वे में सामने आया था कि देश के सिर्फ 25 फीसदी लोग ही कोरोना की गिरफ्त में आए हैं या इनमें एंटीबॉडीज बनी हैं। इससे तय होता है कि 75 फीसदी लोग अभी भी कोरोना की चपेट में आने से सुरक्षित नहीं हैं। यह कभी भी कोरोना के शिकार बन सकते हैं। ऐसे में कोई भी लापरवाही गंभीर संकट का रूप ले सकती है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि उन राज्यों में भी कोरोना के नियमों में ढिलाई बरती जा रही है जहां कोरोना वायरस का अच्छा खासा प्रकोप रहा है। मिसाल के तौर पर दिल्ली में मास्क को लेकर पहले जितनी सख्ती नहीं है। भीड़ कंट्रोल करने पर कोई जोर नहीं है। सब जगह बढ़ती भीड़ बताती है कि लोग ही नहीं बल्कि जिम्मेदार अधिकारी भी कोरोना को अब हल्के में ले रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कोई चीज अब दिखाई नहीं देती। सुरक्षा के नाम पर बस कहीं कहीं टेम्प्रेचर लिया जाता है। यह कवायद भी बस दिखावे भर की है। पहले सैनिटाइजर को जेब में रखना लोगों की आदत में शुमार हो गया था, पर अब वह आदत भी छूटती हुई नजर आ रही है।
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क्या करें
-जितना संभव हो शारीरिक दूरी का ख्याल रखें। किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में यदि सम्मिलत होते हैं तो नियम को दरकिनार न करें। लेकिन भीड़ भाड़ में दो मास्क जरूर लगायें। गर्मी में लंबे समय तक मास्क लगाना थोड़ा कठिन है, ऐसे में ज्यादा समय तक मास्क लगाए न रखें।
-हाथों की सफाई मूल नियम है। समय-समय पर हाथों को ठीक से साफ करें और साबुन का प्रयोग करने की कोशिश करें। जब साबुन व पानी की सुविधा न हो तभी सैनिटाइजर का प्रयोग करें। अधिक सैनिटाइजर का प्रयोग त्वचा के लिए ठीक नहीं है।
-कपड़ों को नियमित रूप से साफ करें। अधिक गर्म न सही हल्के गुनगुने पानी का सेवन ही फिलहाल ठीक है। अभी दिन में भले ही गर्मी का अहसास होता है, लेकिन सुबह व शाम अभी भी हल्की सर्दी है। ऐसे में सतर्कता बेहद अहम है। हल्दी वाला दूध का सुबह शाम सेवन करें।
-बाहर के खाने को अभी नजरअंदाज करें, घर में बना पौष्टिक आहार का ही सेवन फिलहाल फायदेमंद है।
-अपने साथ घर व शौचालय की सफाई को लेकर कोताही न बरतें।
-इसके अलावा व्यायाम, कसरत व योग करके खुद को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत रखें।
-टीकाकरण करवा चुके लोग भी एहतियात बरतें। उनको भी मास्क लगाना और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।
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