Heart Attack in Children: स्कूली बच्चो में बढ़ रहा हार्ट अटैक का खतरा, जानते है विशेषज्ञों से इसके कारण और उपाय
Heart Attack in Children: आज के समय में स्कूल के बच्चों के बीच बढ़ रही हार्ट अटैक की समस्या ने सभी को चिंता में डाल दिया है। पिछले दो साल में अगर आप देखेंगे तो हार्ट का की समस्या 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिल रही है। आइए जानते हैं बच्चों में हो रहे अधिक हार्ट अटैक के कारण और इसके उपाय।
Heart Attack in Children: आज के समय में स्कूल के बच्चों के बीच बढ़ रही हार्ट अटैक की समस्या ने सभी को चिंता में डाल दिया है। पिछले दो साल में अगर आप देखेंगे तो हार्ड का की समस्या 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिल रही है। कुछ ऐसे केस भी सामने आए जिनमें व्यक्ति की मौत तक हो गई है आइए जानते हैं। आइए जानते हैं बच्चों में हो रहे अधिक हार्ट अटैक के कारण और इसके उपाय।
क्या है हार्ट अटैक ?
हार्ट अटैक की समस्या व्यक्ति को होती है जब हृदय की नसों में रक्तसंचार बंद हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप हृदय की पम्पिंग क्षमता कम हो जाती है। यह अवस्था हृदय के मांसपेशियों को उन्नत रूप से ऑक्सीजन प्रदान करने वाली नसों की खोपड़ी के एक हिस्से में रक्तसंचार का बंद हो जाने से होती है। इस स्थिति में तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श ले और अपना इलाज करवाएं।
हार्ट अटैक का मामला
हाल ही में हार्ट अटैक का एक मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक 17 वर्षीय स्कूल के बच्चे को प्रार्थना के दौरान चक्कर आया। चक्कर आने पर उसे अस्पताल ले जाया गया जहां पता चला कि छात्र को हार्ट अटैक आया है। अस्पताल में इलाज के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि यह एक दुर्लभ कार्डियक अरेस्ट की समस्या है। अमूमन तौर पर यह बच्चों में बहुत कम मात्रा में पाई जाती है। यह समस्या या तो खानदानी मामलों से आती है या उसके ह्रदय के प्रभाव में केमिकल का संतुलन बिगड़ जाता है।
बिगड़ा खानपान हार्ट अटैक का मुख्य कारण
डॉ एके अग्रवाल कहते है आज के समय में जो बच्चों के मन को और स्वाद को भाता है वही भोजन बच्चे खाना पसंद करते हैं। बच्चे मुख्यता जंक फूड और तालाब ना खाना ही खाना पसंद करते हैं। कुछ बच्चे रोज पूरी पराठा खाते हैं। यही सब जंक फूड और फ्राइड भोजन हार्ट अटैक को बुलावा देता है। इस तरह के भोजन से बच्चों का वजन बहुत जल्दी बढ़ता है।
पूरे दिन मोबाइल और कंप्यूटर का प्रयोग
डॉ जीतेन्द्र तिवारी कहते है पूरे दिन बच्चे मोबाइल कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं उसके कारण उनका कोई शारीरिक विकास नहीं होता। एक ही कुर्सी पर बैठकर बिना व्यायाम करें पूरा दिन गुजार देते हैं। कोरोना और ऑनलाइन क्लास में बच्चों की कंप्यूटर और मोबाइल को दिन में इस्तेमाल करने की आदत को और बिगाड़ दिया है। पूरे दिन बैठने से बच्चों का कोलेस्ट्रॉल और बीपी बढ़ रहा है जिससे बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या अधिक हो रही है।
हार्ट अटैक के मुख्य कारण
हार्ट अटैक के मुख्य कारणों में शामिल हो सकते हैं:
1) आरोग्य जीवनशैली: बुरी आहार, व्यायाम की कमी, मोटापा, धूम्रपान और मधुमेह जैसी संक्रामक बीमारियाँ हृदय रोग के लिए मुख्य कारक हो सकती हैं।
2) उच्च रक्तचाप: लंबे समय तक उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) रखना हृदय की धड़कनों के लिए हानिकारक हो सकता है और इससे हृदय अटैक का खतरा बढ़ सकता है।
3) अवसाद और तनाव: मानसिक तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याएं हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं और हृदय अटैक का खतरा बढ़ा सकती हैं।
4) पूर्व संगठन: परिवार में हृदय रोग का इतिहास होना, जैविक रिस्क फैक्टर्स (जैसे बढ़ा हुआ कोलेस्टेरॉल, उच्च रक्तचाप) और जीवनशैली के अनुरूप बीमारियों (जैसे मधुमेह) की मौजूदगी भी हृदय अटैक के लिए रिस्क बढ़ाती हैं।
5) धूम्रपान और शराब की खपत: तंबाकू उत्पादों का सेवन और अत्यधिक शराब पीना हृदय स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है और हृदय अटैक का खतरा बढ़ा सकता है।
हार्ट अटैक से कैसे बचे
डॉ गौतम स्वरुप कम उम्र में हार्ट की समस्या से दूर रहने के लिए कुछ विशेष उपाय बताते है -
1) नियमित योग और व्यायाम: योग और व्यायाम आपके हृदय के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। रोजाना कम से कम 30 मिनट की मात्रा में व्यायाम करें, जैसे कि चलना, दौड़ना, स्विमिंग आदि। योग करने से भी हृदय स्वस्थ रहता है।
2) स्वस्थ आहार: अपने आहार में हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पदार्थ शामिल करें। खाद्य पदार्थों में बहुत सारे फल और सब्जियां, पूरे अनाज, हरे पत्ते और मुंह के कारण तेल के साथ तले हुए आहार का सेवन करें। आपको प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। नमक और चीनी के सेवन को कम करने का प्रयास करें।
3) धूम्रपान और शराब से बचें: सिगरेट, तम्बाकू और शराब के सेवन को कम करना या पूरी तरह बंद करना हृदय स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी है। यह आपके शरीर के रक्तवाहिनी प्रणाली को क्षति पहुंचा सकता है और हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।
4) स्ट्रेस प्रबंधन: अधिकतम संभावित रूप से स्ट्रेस को कम करने का प्रयास करें। योग, मेडिटेशन, शारीरिक व्यायाम, समय पर आराम लेना और अपनी प्रिय गतिविधियों के साथ समय बिताना आपको मदद कर सकता है।
5) नियमित चेकअप: नियमित चिकित्सा जांच आपके हृदय स्वास्थ्य की निगरानी कर सकती है। डॉक्टर के साथ नियमित रूप से जांच-परख करें, रक्तचाप, शरीर का भार, चर्बी आदि का नियमित अवलोकन कराएं।