अनोखा मामला: 26 साल पहले 2,242 रुपये की घपलेबाजी, अब चुकाना पड़ा 55 लाख

हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का चक्कर काटने के बाद इस शख्स को 55 लाख रुपये वापस चुकाने पड़े। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक आरोपों से इस शख्स को बरी कर दिया

Update: 2020-09-06 10:07 GMT
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नई दिल्ली: कहते हैं 'भगवान के पास देर है, लेकिन अंधेर नहीं'। हाल में ऐसा ही कुछ मामला सुप्रीम कोर्ट में देखने को मिला, जो कि सुर्खियों बन हुआ है। दरअसल एक शख्स ने 26 साल पहले यानी 1994 में फर्जी अकाउंट खोलकर चेक के जरिए 2212.5 रुपये निकाल लिए थे।

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अब इतने दिनों बाद हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का चक्कर काटने के बाद इस शख्स को 55 लाख रुपये वापस चुकाने पड़े। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक आरोपों से इस शख्स को बरी तो कर दिया, लेकिन इन्हें जुर्माने के तौर पर 5 लाख रुपये देने पड़े। सिर्फ यही नहीं इसके अलावा भी शिकायत के सेटलमेंट के लिए 50 लाख रुपये अलग से चुकाने पड़े। यानी पूरे 55 लाख रुपये देने के बाद ये मामला खत्म हुआ।

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ये है पूरा मामला

दरअसल महेंद्र कुमार शारदा मई 1992 तक ओम माहेश्वरी के यहां बतौर मैनेजर काम करते थे। माहेश्वरी उन दिनों दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज़ के सदस्य हुआ करते थे। लेकिन साल 1997 में माहेश्वरी ने दिल्ली में शारदा यानी अपने मैनेजर के खिलाफ FIR दर्ज करवाया। आरोप था कि मैनेजर शारदा ने गैरकानूनी तरीके से उनके नाम पर अकाउंट खोल लिए। इसके बाद चेक के जरिए कमिशन और ब्रोकरेज के पैसे निकाल लिए। उस वक्त शारदा ने 2212 रुपये और 50 पैसे निकाले थे।

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क्या था हाई कोर्ट का फैसला ?

शुरुआत में मैनेजर शारदा पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप लगे थे। फिर बाद में वो इसके सेटलमेंट के लिए तैयार हो गए। हालांकि इस साल जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने शारदा पर लगे आरोपों को खारिज करने से इनकार दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर आरोप हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

फिर मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां आरोपी शारदा ने कहा कि वो 50 लाख रुपये देकर मामले को खत्म करना चाहते हैं। जसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शारदा के वकील से जवाब मंगा कि इस मामले को सुलझाने और न्यायिक प्रक्रियाओं का उपयोग करने में दो दशक से अधिक समय क्यों लगा। कोर्ट ने न्यायिक समय बर्बाद करने के लिए शारदा पर 5 लाख का जुर्माना लगाया। हालांकि अब 15 सितंबर को उनकी दलील सुनने के बाद शारदा के भविष्य पर फैसला करेंगे।

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