केजरीवाल का ड्रीम प्रोजेक्टः केंद्र ने क्यों लगाई रोक, AAP का बड़ा हमला
दिल्ली की केजरीवाल सरकार की घर-घर राशन योजना बड़े सियासी घमासान का कारण बन गई है। केजरीवाल सरकार ने इस योजना को 25 मार्च को लांच करने की घोषणा की थी मगर केंद्र सरकार ने उसमें अड़ंगा लगा दिया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार की घर-घर राशन योजना बड़े सियासी घमासान का कारण बन गई है। केजरीवाल सरकार ने इस योजना को 25 मार्च को लांच करने की घोषणा की थी मगर केंद्र सरकार ने उसमें अड़ंगा लगा दिया है। इस तरह केजरीवाल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट पर शुरू होने से पहले ही ग्रहण लग गया है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि लोगों की सहूलियत के लिए शुरू की जाने वाली यह योजना केंद्र सरकार को मंजूर नहीं है। आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार के इस कदम पर गहरी आपत्ति जताई है।
मजे की बात यह है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस योजना को शुरू करने की बात कही है। ममता सरकार का भी दावा है कि इस योजना से आम लोगों को काफी सुविधा होगी और उनके घर जरूरत का राशन पहुंच जाएगा।
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केंद्र सरकार ने लगाई रोक
केजरीवाल सरकार की ओर से कई दिनों से इस ड्रीम प्रोजेक्ट का प्रचार किया जा रहा था। सरकार का दावा है कि इस योजना के शुरू होने से लोगों को काफी सहूलियत होगी। सूत्रों का कहना है कि इस योजना के शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली सरकार को भेजे गए नोट में इस योजना को शुरू न करने की बात कही गई है। केंद्र सरकार की ओर से यह पत्र दिल्ली सरकार के खाद्य आपूर्ति सचिव को भेजा गया है।
योजना रोकने के पीछे केंद्र का तर्क
दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि केंद्र नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत राज्यों को राशन मुहैया कराता है। केंद्र का कहना है कि इसलिए इस योजना में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार के मुताबिक राज्य सरकार इस योजना को किसी अन्य नाम से लागू नहीं कर सकती। संसद की मंजूरी के बाद ही नाम में किसी भी प्रकार का बदलाव किया जा सकता है।
आम आदमी पार्टी ने बोला बड़ा हमला
केंद्र सरकार का यह भी कहना है कि इस योजना से जुड़े एक्ट को संसद से पारित किया गया था और अगर राज्य सरकारें इससे अलग हटकर कोई अलग योजना लागू करती हैं तो उस पर केंद्र सरकार को आपत्ति नहीं होगी। केंद्र सरकार के इस कदम के बाद आम आदमी पार्टी ने गहरी नाराजगी जताई है। आप ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। आप ने सवाल किया है कि मोदी सरकार राशन माफिया खत्म करने के खिलाफ क्यों है?
लोगों की दिक्कतें दूर होने का दावा
केजरीवाल सरकार ने जनवरी में इस योजना को लागू करने का एलान किया था। सरकार का तर्क था कि दिल्ली के लोगों को राशन लेने के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है मगर इस योजना की शुरुआत होने से लोगों की इस दिक्कत का अंत हो जाएगा क्योंकि सरकार घर-घर राशन पहुंचाने का काम करेगी। दिल्ली सरकार की ओर से तैयार किए गए प्रोजेक्ट के मुताबिक लोगों के पास इस योजना में चयन का ऑप्शन रहेगा। अगर वे चाहेंगे तो राशन उनके घर पर पहुंचा दिया जाएगा मगर यदि कोई नहीं चाहेगा तो वह दुकान से भी अपना राशन ले सकेगा।
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संशोधित बिल पर भी खिंचीं तलवारें
हाल के दिनों में यह दूसरा मौका है जब दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तलवारें खिंच गई हैं। दिल्ली सरकार ने पहले ही एनसीटी एक्ट के संशोधित बिल पर आपत्ति जताई थी। संशोधित बिल के तहत उपराज्यपाल के अधिकार बढ़ जाएंगे और सरकार को कोई भी कानून बनाने से पहले उपराज्यपाल को सूचना देने के साथ ही उनकी मंजूरी भी लेनी होगी।
इसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उनका कहना था कि यदि सारे अधिकार उपराज्यपाल के पास से ही रहेंगे तो दिल्ली में चुनी हुई सरकार का मतलब ही क्या रह जाएगा। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी बताया था।
ममता की भी ऐसी ही योजना की घोषणा
अभी तक राशन योजना के मुद्दे को लेकर केंद्र की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की ओर से केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ विरोध का स्वर और तीखा होगा। पश्चिम बंगाल में भाजपा से बड़ी सियासी जंग लड़ रही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में घर-घर राशन योजना को शुरू करने की बात कही है। दिल्ली सरकार की तरह उनका भी दावा है कि इस योजना के शुरू होने से लोगों को राशन की दुकानों पर जाने की मुसीबत से छुट्टी मिल जाएगी और उन्हें घर बैठे ही अपना राशन मिल जाएगा।
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