Adani-Hindenburg Case: अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सीलबंद लिफाफे में सौंपी गयी जांच रिपोर्ट
Adani-Hindenburg Case: अदालत ने दो महीने के अंदर समिति को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने क कहा था। 8 मई को एक सिलबंद लिफाफे में रिपोर्ट अदालत को सौंप दी गई थी।
Adani-Hindenburg Case: राष्ट्रीय राजनीति में भूचाल ला देने वाले अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर आज यानी शुक्रवार 12 मई को सुप्रीम कोर्ट मं सुनवाई होने जा रही है। कोर्ट ने मामले की जांच के लिए मार्च में छह सदस्यों की एक समिति बनाई थी। अदालत ने दो महीने के अंदर समिति को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने क कहा था। 8 मई को एक सिलबंद लिफाफे में रिपोर्ट अदालत को सौंप दी गई थी। अदालत द्वारा बनाई गई जांच समिति का विवादों में घिरे दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी ने स्वागत किया था।
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मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने 2 मार्च को रिटायर जज अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया था। उनके साथ इस समिति में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एवी कामथ, नंदन नीलकेणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस के अलावा इस बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे।
सेबी ने मांगा था जांच के लिए 6 माह का समय
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेयर की कीमतों में हेरफेर करने के आरोप भी लगाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) से दो माह के अंदर करने को कहा था। 29 मार्च को सेबी ने अदालत से 6 महीने का समय मांगा था। बाजार नियामक संस्था ने कोर्ट में दलील थी कि मामले की जटिलता को देखते हुए इसकी जांच पूरी होने में 15 महीने लगेंगे, लेकिन इसे 6 माह में पूरी करने की कोशिश की जाएगी। हालांकि, अदालत ने सेबी के इस मांग को खारिज करते हुए दो माह के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं चार याचिकाएं
अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत में चार याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं में एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश कुमार और कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर शामिल हैं। इस मामले की पहली सुनवाई 10 फरवरी को सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यों की बेंच ने की थी।
क्या है अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद ?
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिचर्स ने इस साल जनवरी में भारत के दिग्गज कारोबारी समूह अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले इस बिजनेस ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। विदेश में रह रहे गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी पर आरोप लगाया गया था कि वे शैल कंपनियों को मैनेज करते हैं। अडानी समूह पर शेयरों की कीमतों में हेरफेर, मनी लॉन्ड्रिंग और अकाउंटिंग फ्रॉड करने के आरोप लगाए गए थे।
रिपोर्ट के सामने आते ही स्टॉक मार्केट में भूचाल आ गया। दुनिया के तीन शीर्ष रईस उद्योगपतियों में शुमार गौतम अडानी की कंपनी की शेयर गोता खाने लगे और उनके नेटवर्थ में जबरदस्त गिरावट आई है। रईस लोगों की सूची में वे टॉप 20 तक से बाहर हो गए थे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी नजदीकी के कारण विपक्ष ने भी संसद से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए जेपीसी की मांग कर संसद नहीं चलने दी।