मोदी बेगुनाह: हटा गुजरात दंगों से नाम, कोर्ट ने दी इन मामलों में राहत

प्रांतीज कोर्ट के प्रधान वरिष्ठ सिविल जज गढ़वी की कोर्ट ने इन तीनों मामलों से मोदी का नाम प्रतिवादी के तौर पर हटाने का आदेश जारी किया।

Update:2020-09-06 10:30 IST
गुजरात में 2002 में हुए दंगों के तीन मामलों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया गया है। साबरकांठा जिले की एक तालुका कोर्ट ने इन मामलों से पीएम मोदी का नाम हटाने का आदेश दिया है।

अंशुमान तिवारी

अमदाबाद: गुजरात में 2002 में हुए दंगों के तीन मामलों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया गया है। साबरकांठा जिले की एक तालुका कोर्ट ने इन मामलों से पीएम मोदी का नाम हटाने का आदेश दिया है। पीएम मोदी की तरफ से एक वकील ने इन तीनों मामलों से उनका नाम हटाने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था। दंगा पीड़ितों के परिजनों की ओर से दाखिल कराए गए मामलों में मोदी को प्रतिवादी बनाया गया था। मोदी के अलावा छह अन्य आरोपियों को भी अदालत की ओर से राहत मिली है और उनके नाम भी इन मामलों से हटा दिए गए हैं।

मोदी के खिलाफ आरोपों में दम नहीं

प्रांतीज कोर्ट के प्रधान वरिष्ठ सिविल जज गढ़वी की कोर्ट ने इन तीनों मामलों से मोदी का नाम प्रतिवादी के तौर पर हटाने का आदेश जारी किया। अदालत की ओर से इस बाबत शनिवार को आदेश जारी किया गया है। अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि वादी इन मामलों को खींचने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अदालत ने मोदी के खिलाफ आरोपों को गैर विशिष्ट और अस्पष्ट बताया।

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दंगों के तीन मामलों से PM मोदी का नाम हटा (फाइल फोटो)

अदालत का यह भी मानना था कि वादी पक्ष की ओर से इस बात को साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया कि घटना के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अपराधस्थल पर मौजूद थे। दंगों में मुआवजा पाने के लिए ये तीनों सिविल सूट दायर किए गए थे। दंगा पीड़ितों के परिजनों शिरीन दाऊद शमीमा दाऊद (दोनों ब्रिटिश नागरिक) और इमरान सलीम दाऊद की ओर से ये मामले दर्ज कराए गए थे।

घटना में नहीं साबित हुई कोई भूमिका

दंगों के तीन मामलों से PM मोदी का नाम हटा (फाइल फोटो)

कोर्ट की ओर से शनिवार को जारी आदेश में कहा गया है कि एक भी कथन या दृष्टांत से इस बात को साबित नहीं किया जा सका कि प्रतिवादी नंबर 1 यानी मोदी अपराध के समय घटनास्थल पर मौजूद थे या उनकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घटना में कोई भूमिका थी। इसके साथ ही किसी दुर्भावना या जानबूझकर कोई काम करने का उचित आधार या चूक भी नहीं मिली। अदालत ने माना कि कोई आधार या चूक ऐसी नहीं मिली जो वादी के किसी भी कानूनी अधिकार और राहत पाने का दावा करने का आधार बन सके।

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कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़ितों के रिश्तेदार यह साबित करने में पूरी तरह विफल रहे कि तत्कालीन राज्य सरकार के अधिकारियों के कथित कृत्यों या उनकी चूक के लिए मोदी को कैसे उत्तरदाई माना जा सकता है। कोर्ट ने मोदी के अलावा अन्य आरोपियों को भी इन मामलों से बरी कर दिया है। इनमें राज्य के पूर्व गृहमंत्री गोरधन जडफिया, दिवंगत डीजीपी के चक्रवर्ती, गृह विभाग में पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक नारायण, दिवंगत आईपीएस अफसर अमिताभ पाठक, तत्कालीन निरीक्षक डीके वानीकर और राज्य सरकार में शामिल है।

यह था मामला

दंगों के तीन मामलों से PM मोदी का नाम हटा (फाइल फोटो)

पीएम मोदी और छह अन्य को दंगे के जिस मामले से बरी किया गया है वह घटना 28 फरवरी 2002 को हुई थी। ब्रिटिश नागरिक इमरान दाऊद ब्रिटेन में रहने वाले अपने चाचा सईद दाऊद, शकील दाऊद और मोहम्मद असवत के साथ पहली बार भारत की यात्रा पर आए थे। इस यात्रा के दौरान वे जयपुर और आगरा भी गए थे।

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इसके बाद वे साबरकांठा जिले के प्रांतीज के पास अपने गांव लाजपुर लौट रहे थे। इसी दौरान उग्र भीड़ ने उन्हें घेर लिया था और उनकी टाटा सूमो में आग लगा दी गई थी। इस घटना में सईद और असवत के साथ उनके गुजराती ड्राइवर युसूफ पिरगहर की हत्या कर दी गई थी जबकि इस घटना में शकील लापता हो गया था। बाद में शकील के न मिलने पर यह मान लिया गया कि दंगों में उसकी भी मौत हो गई।

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