अप्रैल 2020 से बदल जाएगा UPI, जानें इसके बारे में सबकुछ
यूपीआई के बूते सफलता हासिल करने वाली फोनपे और गूगलपे जैसी कंपनियों को अब झटका लगने वाला है, क्योंकि नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
लखनऊ: यूपीआई के बूते सफलता हासिल करने वाली फोनपे और गूगलपे जैसी कंपनियों को अब झटका लगने वाला है, क्योंकि नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि यूपीआई के अंतर्गत आने वाले जोखिमों को कम किया जा सके।
इन कम्पनियों को नुकसान
एनपीसीआई द्वारा लागू महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक में डिजिटल पेमेंट कंपनियों की यूपीआई बाजार हिस्सेदारी की सीमा निर्धारित की गई है। इस कदम से सीधे तौर से यूपीआई-ओनली कंपनियों को नुकसान होगा, जिसमें वालमार्ट का फोनपे और गूगल पे के साथ ही जल्द लांच होनेवाली वाट्सएप पे भी शामिल है।
दिलचस्प है कि पेटीएम इकलौती बड़ी कंपनी है, जो यूपीआई के अलावा अपने वॉलेट और कार्ड्स का समर्थन कर रही है। अप्रैल 2020 से फोनपे और गूगलपे को अपनी बाजार हिस्सेदारी 33 फीसदी तक की सीमा में ही रखनी होगी, जिससे अंतत: उनकी विकास योजनाओं में रुकावट आएगी।
सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए इन कंपनियों ने अब तक काफी ज्यादा निवेश किया है, और यह कदम उनके लिए एक बड़ा झटका है।
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फोनपे को लग सकता है तगड़ा झटका
दिलचस्प है कि मॉर्गन स्टेलने ने हाल ही में वॉलमार्ट के शेयर कीमतों में वृद्धि के लिए फोनपे की सफलता को बड़ा श्रेय दिया था। लेकिन सीमा तय करने की नई नीति से कंपनी के मूल्यांकन और वित्त जुटाने की योजनाओं को भी झटका लगेगा, क्योंकि वह टाइगर ग्लोबल, टेंसेंट, डीएसटी ग्लोबल, सॉफ्टबैंक और अन्य से 1 अरब डॉलर जुटाने की प्रक्रिया में है।
एक वरिष्ठ बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यह गैर-बैंकिंग भुगतान कंपनियों द्वारा बढ़ते सुरक्षा खतरों पर एनसीपीआई की चिन्ताओं को दिखाता है। अब फोनपे को वित्त जुटाने की व्यवसायिक रणनीति पर पुर्नविचार करना होगा।
वहीं, उद्योग के अन्य दिग्गजों और विशेषज्ञों ने एनपीसीआई के इस कदम की सराहना की है और उनकी राय है कि इससे भारत में डिजिटल भुगतान के बुनियादी ढांचे को सुरक्षित किया जा सकेगा।
क्या है UPI
अगर आप भी स्मार्टफोन से रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों का पेमेंट करते हैं तो UPI से आपका वास्ता जरूर पड़ा होगा. मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म से किसी दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस या UPI का इस्तेमाल किया जाता है।
यह ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो कई बैंक अकाउंट को एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये रकम ट्रांसफर करने की इजाजत देता है। इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआई) ने विकसित किया है। इसका नियंत्रण रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसियेशन के हाथ में है।
क्या हैं UPI की खास बातें?
IMPS (तुरंत फंड ट्रांसफर) की मदद से किसी अकाउंट में फंड ट्रांसफर। इससे फंड ट्रांसफर में NEFT से कम समय लगता है।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म होने की वजह से किसी भी समय, छुट्टियों वाले दिन भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक मोबाइल एप्लीकेशन से कई बैंक अकाउंट से ट्रांजेक्शन किया जा सकता है।
बैंक द्वारा दिए गए वर्चुअल पेमेंट एड्रेस का इस्तेमाल होता है।
आईएफसी कोड और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर रकम ट्रांसफर होता है।
हर पेमेंट को अधिकृत करने के लिए एम-पिन (मोबाइल पिन) की जरूरत होती है
बिना इंटरनेट कनेक्शन वाले फोन में 99# डायल कर भी सेवा का लाभ उठाया जा सकता है।
हर बैंक का यूपीआई प्लेटफ़ॉर्म है, जो मोबाइल के ऑपरेटिंग सिस्टम (एंड्रॉयड, विंडोज या एपल) के हिसाब से विकसित किया गया है।
इसमें बिल शेयरिंग फैसिलिटी भी है। बिजली-पानी के बिल पेमेंट, किसी दुकानदार को पेमेंट करने आदि के लिए बहुत सुविधाजनक है।
मोबाइल एप से ही शिकायत की जा सकती है।
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UPI कितना सुरक्षित है?
यूपीआई की सेवा लेने के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है। इसके बाद इसे आपको अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होता है। वर्चुअल पेमेंट एड्रेस आपका वित्तीय पता बन जाता है।
इसके बाद आपका बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या आईएफसी कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती। पेमेंट करने वाला बस आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से पेमेंट रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है और वह पेमेंट आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है।
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