अरुण जेटली ने विपक्ष के चक्रव्यूह से मोदी-शाह को ऐसे बचाया था

भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) नेता अरुण जेटली का 24 अगस्त यानी शनिवार को निधन हो गया। अरुण जेटली ने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर निशाना साधा था। पीएम मोदी की वेबसाइट (narendramodi.in) पर आज भी वह मौजूद है।

Update:2019-08-24 16:34 IST

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) नेता अरुण जेटली का 24 अगस्त यानी शनिवार को निधन हो गया। अरुण जेटली ने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर निशाना साधा था। पीएम मोदी की वेबसाइट (narendramodi.in) पर आज भी वह मौजूद है। इस पत्र में उन्होंने तत्कालीन मनमोहन सरकार पर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर मोदी और अमित शाह को फंसाने की साजिश रचने का आरोप लगाया था।

इस पत्र में अरुण जेटली ने इस पत्र में सोहराबुद्दीन, इशरत जहां, तुलसी प्रजापति एनकाउंटर को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर झूठे मामले गढ़कर फंसाने की बात कही है।

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अरुण जेटली ने यह भी आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार अपनी चर्चित मॉडस ऑपरेंडी के तहत आईपीएस संजीव भट्ट का इस्तेमाल कर मोदी-शाह को फंसाने की कोशश कर रही है।

बीजेपी में अरुण जेटली मोदी और शाह के बुरे दिनों में उनके साथ खड़े नजर आए। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री भी नहीं थे, तब से अरुण जेटली की उनसे दोस्ती रही। गुजरात में 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख हुए मुठभेड़ का मामला जब गरमाया था तो केंद्र में यूपीए सरकार थी। उस समय 2010 में अमित शाह को जेल भी जाना पड़ा था।

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अमित शाह की तरफ से मुकदमा जाने माने वकील राम जेठमलानी लड़ रहे थे, लेकिन बचाव के लिए अहम कानूनी सलाह का बंदोबस्त अरुण जेटली ही कर रहे थे। वह गोधरा दंगों पर घिरे मोदी और कथित फर्जी एनकाउंटर पर जांच का सामना कर रहे अमित शाह के लिए एक साथ कानूनी तर्कों का ढाल लेकर खड़े रहे।

साल 2002 के गोधरा दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से बनी एसआइटी ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया था। वहीं, सीबीआई की जांच झेल रहे अमित शाह भी सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस से बाद में बरी हो गए। विपक्ष के बिछाए गए कानूनी चक्रव्यूह को तब अरुण जेटली ने ही तोड़ा था।

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गोधरा दंगे के बाद जब 2002 में विधानसभा चुनाव हुआ तो अरुण जेटली को राज्य का चुनाव प्रभारी बनाया गया था। कहा जाता है कि मोदी से अच्छे रिश्ते होने के कारण पार्टी नेतृत्व ने उन्हें गुजरात भेजा था। इस चुनाव में बीजेपी की जीत हुई।

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मीडिया रिपोर्ट में कहा जाता है कि जब गुजरात में गोधरा के दंगे हुए तो वाजपेयी नरेंद्र मोदी को हटाना चाहते थे, गोवा में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कार्रवाई होनी थी, लेकिन जेटली ही थे, जिन्होंने आडवाणी के साथ मिलकर मोदी के पक्ष में पार्टी के ज्यादातर नेताओं को खड़ा कर दिया। वाजपेयी ने मोदी के पक्ष में नेताओं को देखकर अपने कदम खींच लिए।

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