असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने NRC और हिंदुओं पर दिया ये बड़ा बयान
असम के राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्ब करीमगंज जिले के बराक वैली में एक बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा, “बराक घाटी क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं के साथ न्याय किए जाने की जरूरत है। हमने बराक वैली के हिंदुओं को न्याय का वादा किया है। प्रतीक हजेला की वजह से एनआरसी का काम अभी भी लटका पड़ा है।“
गुवाहटी: पश्चिम बंगाल और असम में अगले साल विधान सभा चुनाव हो जा रहा है, चूंकि अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने मुद्दे चुन लिये हैं। पहले बंगाल और अब असम, इन दोनों राज्यों ने एक फिर से एनआरसी का मुद्दा उठाया है। बता दें कि असम सरकार के मंत्री हेमंत बिस्ब सरमा भी जल्द ही एनआरसी लाने पर विचार कर रहे है। उन्होंने ये भी कहा कि राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी का काम अभी अधूरा है।
बराक वैली में स्वास्थ्य मंत्री ने की बैठक
असम के राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्ब करीमगंज जिले के बराक वैली में एक बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा, “बराक घाटी क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं के साथ न्याय किए जाने की जरूरत है। हमने बराक वैली के हिंदुओं को न्याय का वादा किया है। प्रतीक हजेला की वजह से एनआरसी का काम अभी भी लटका पड़ा है।“ उन्होंने एनआरसी का मुद्दा उठाते हुए कहा, “एनआरसी पर हमारी तरफ से लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। हमें हिंदुओं को न्याय दिलाने के लिए कुछ और काम करने की जरूरत है। मां भारती को मानने वाले हजारों लोग अब भी डिटेंशन कैंप में हैं।“
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सरमा को पूर्वात्तर में कहा जाता है संकटमोचक
आपको बता दें कि सरमा को पूर्वात्तर में संकटमोचक रुप कहा जाता है। सरमा ने आरोप लगाते हुए कहा कि एनआरसी का काम काफी पहले हो जाता, लेकिन पूर्व समन्वयक प्रतीक हजेला की वजह से ये काम अभी भी अधूरा है। असम में एनआरसी की अंतिम सूची अगस्त 2019 में जारी की गई थी। इस दौरान असम के करीब 3.3 करोड़ आवेदनकर्ताओं ने आवेदन किया था, जिसमें से 19.22 लाख लोगों को सूची से निष्कासित कर दिया गया था, जिसके बाद कई पक्षों और राजनीतिक दलों ने इसकी आलोचना की थी। उन्होंने यह आरोप लगाया था कि इसमें से मूल निवासियों को निकाला गया है और अवैध तरीके से रह रहे प्रवासियों को शामिल किया है।
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