Atiq-Ashraf Murder: अतीक-अशरफ की हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, 2017 से 183 अन्य मुठभेड़ों की भी जांच की मांग

Atiq-Ashraf Murder: याचिका में इस हत्याकांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र जांच समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही याचिका में एक और अनुरोध भी किया गया है।

Update: 2023-04-17 09:38 GMT
Atiq-Ashraf Murder (photo: social media )

Atiq-Ashraf Murder: प्रयागराज में पुलिस हिरासत में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस हत्याकांड को लेकर शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर की गई याचिका में इस हत्याकांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र जांच समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही याचिका में एक और अनुरोध भी किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश में 2017 से हुई 183 पुलिस मुठभेड़ों की भी जांच की जाए।

पुलिस हिरासत में हुई थी अतीक-अशरफ की हत्या

अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की शनिवार को पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमलावर पत्रकार के भेष में आए थे और उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान दोनों भाइयों को गोलियों से भून डाला था। दोनों भाइयों का यह हत्याकांड कैमरे में कैद हो गया था। इस हत्याकांड को लेकर पुलिस पर भी तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में भी इस हत्याकांड की गूंज सुनाई दे रही है और प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने की मांग

यह चर्चित मामला अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर भी पहुंच चुका है और पूरे मामले की जांच पड़ताल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश से कराने की मांग की गई है। साथ ही 2017 से हुई 183 अन्य पुलिस मुठभेड़ों की जांच की भी मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कमान संभाली थी।

प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) ने पिछले दिनों कहा था कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान पिछले 6 वर्षों में 183 अपराधियों को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया है। इन अपराधियों में अतीक अहमद का बेटा असद और उसका साथी गुलाम भी शामिल है। याचिका में इन सभी मुठभेड़ों की जांच की मांग की गई है। अतीक हत्याकांड का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के राज के लिए बड़ा खतरा है।

प्रदेश सरकार कर चुकी है आयोग का गठन

वैसे उत्तर प्रदेश सरकार अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन पहले ही कर चुकी है। हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व वाले आयोग में सेवानिवृत्त जिला जज बृजेश कुमार सोनी और पूर्व डीजीपी सुवेश कुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। आयोग को दो महीने में इस हत्याकांड की जांच करके रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

जांच आयोग कानून 1952 के तहत गृह विभाग की ओर से इस आयोग का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के दौरान न्यायिक जांच आयोग के गठन का फैसला लिया गया था। आयोग हत्याकांड के हर पहलू की गंभीरता से जांच करेगा।

न्यायिक हिरासत में भेजे गए तीनों आरोपी

कॉल्विन अस्पताल परिसर में हुए इस हत्याकांड के समय अतीक और अशरफ के साथ 20 पुलिसकर्मी मौजूद थे मगर तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करके अतीक और अशरफ की हत्या कर दी थी। आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया है कि वे अतीक गैंग का खात्मा करना चाहते थे और अतीक की हत्या करके प्रदेश में नाम कमाना चाहते थे।

पोस्टमार्टम के बाद अतीक और अशरफ को रविवार रात कसारी-मसारी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक अतीक को 8 गोलियां लगी थीं जबकि अशरफ को 6 गोलियां लगने की बात सामने आई है। हमलावरों ने अतीक और अशरफ पर 22 गोलियां चलाई थीं। इस हत्याकांड को लेकर तीन तीनों हमलावरों लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्य को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि इस हत्याकांड के हर पहलू की गहराई से जांच पड़ताल की जा रही है।

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