धार्मिक ग्रंथों की महत्ता को नकार नहीं सकते, ऐतिहासिक साक्ष्य भी है आधार-SC

सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर फैसला देकर इस मामले को पूरी तरह शांत कर दिया है।  इससे राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। बहुत तथ्यों को साक्ष्य मानकर कोर्ट ने इस पर फैसला दिया है। जिसमें धार्मिक ग्रंथ भी आधार है चाहे वो देशी हो या विदेशी लेखकों के।

Update:2019-11-10 13:55 IST

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर फैसला देकर इस मामले को पूरी तरह शांत कर दिया है। इससे राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। बहुत तथ्यों को साक्ष्य मानकर कोर्ट ने इस पर फैसला दिया है। जिसमें धार्मिक ग्रंथ भी आधार है चाहे वो देशी हो या विदेशी लेखकों के।

कोर्ट ने राम के जन्मस्थान के लिए महर्षि वाल्मीकि की रामायण को भी साक्ष्य माना है। कोर्ट का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों की महत्ता को नकार नहीं सकते हैं। 17वीं सदी के चर्चित कवि विलियम वर्ड्सवर्थ की कविता, भारत आने वाले ब्रिटिश यात्री विलियम फिंच के यात्रा विवरण तक का वर्णन कोर्ट के फैसले में निहित है।

 

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फैसला लेने वाले जजो की पीठ ने ऐतिहासिक साक्ष्यों और विशेषज्ञों व वैज्ञानिक सुबूतों को भी मानकर कहा कि आस्था और विश्वास आत्मा आध्यात्मिक जिंदगी को बढ़ावा देता है। हर धर्म भगवान की महिमा का गुणगान करता है। सभी इससे जुड़ना चाहते हैं। यह मस्जिद किसी मंदिर की जमीन पर मंदिर तोड़कर बनाई गई थी।

स्कंद पुराण या वाल्मीकि रामायण या अन्य धार्मिक ग्रंथों के कारण हिंदुओं का विश्वास है कि उस जगह राम का जन्म हुआ है। कोर्ट ने कहा कि धार्मिंक ग्रंथों की बातों को आधारहीन नहीं मान सकते। रामचरित मानस और आइने अकबरी में भी अयोध्या को धार्मिक स्थल माना गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कई यात्रा वृतांत को भी अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों को भी आधार बनाया।

कोर्ट ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट से साफ है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। खुदाई में मस्जिद के नीचे विशाल संरचनाएं मिलीं हैं, उनमें जो कलाकृतियां पाई गईं उससे पता चलता है कि वह इस्लामिक ढांचा नही था।

 

 

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वाल्मीकि रामायण में कहा गया है कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ है। जिसका एक गवाह इतिहासकार सुवित्रा जायसवाल के बयान में हवाला दिया या है। उन्होंने कहा, वाल्मीकि रामायण का वक्त 300 ईसा पूर्व से 200 ईसा पूर्व निर्धारित है। इसके एक श्लोक में भगवान राम को विष्णु का अवतार बताया गया है। जो कौशल्या के गर्भ से पैदा हुए, जो महाराजा दशरथ की पत्नी थीं।

प्रोद्यमाने जगन्नाथं सर्वलोकनमस्कृतम्।

कौसल्याजनयद् रामं दिव्यलक्षणसंयुतम।।

यानी कौशल्या ने एक बेटे को जन्म दिया, जो पूरे जगत के भगवान हैं। जो पूरे जगत के इष्ट हैं। वह आम आदमी जैसे नहीं हैं। उनमें अलौकिक शक्तियां हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने साफ किया हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। हालांकि, मालिकाना हक को धर्म-आस्था के आधार पर स्थापित नहीं किया जा सकता। ये किसी विवाद पर निर्णय करने के संकेत जरूर हो सकते हैं।

 

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