बीएसपी के योगदान से अब गोलियां नहीं गोल दागती है नक्सलगढ़ की प्रतिभा

इस क्षेत्र के लगभग 64 गांवों के बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारने का बीड़ा उठाया है भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) ने, आपको जानकर ख़ुशी होगी कि इस क्षेत्र के 40 से अधिक बच्चे फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल रहे हैं।

Update: 2019-11-12 09:36 GMT

लखनऊ: बच्चों की प्रतिभा को सही समय अगर पहचानना जरुरी है। बच्चों की प्रतिभा को पहचानना और उनको निखारना सबसे पहले मां-बाप का फर्ज है। बच्चों की प्रतिभा को निखार लिया जाय तो बच्चों के भविष्य के साथ राष्ट्र का भविष्य भी निखरता है। एक ऐसी ही कहानी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र रावघाट की है।

भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी)

इस क्षेत्र के लगभग 64 गांवों के बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारने का बीड़ा उठाया है भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) ने, आपको जानकर ख़ुशी होगी कि इस क्षेत्र के 40 से अधिक बच्चे फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल रहे हैं।

अब गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीत रहे हैं

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जंगल से घिरे क्षेत्र में करीब 40 किलोमीटर अंदर रहने वाले जो बच्चे पहले इन खेलों के बारे में जानते तक नहीं थे, अब गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीत रहे हैं। हाल ही में यहां के बच्चों ने शालेय वॉलीबॉल की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीता है। संतोष ट्रॉफी के लिए भी इनका चयन हुआ है।

भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) का कहना है कि इस कार्य का उद्देश्य क्षेत्र का विकास और शिक्षा व खेल के जरिये इन बच्चों को मानसिक रूप से इतना मजबूत बनाना है कि जिससे वे मुख्यधारा से भटक ना जाएं। इसीलिए कहा जाता है कि नक्सलगढ़ से निकले ये बच्चे आज गोलियां नहीं, मैदान में दनादन गोल दागते हैं तो सबका सीना चौड़ा हो जाता है।

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प्रशिक्षण से लेकर सारी सुविधाएं बीएसपी की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है

बीएसपी ने इसकी शुरुआत वर्ष 2006 से नारायणपुर के रामकृष्ण मिशन आश्रम मैदान में खेल मेला आयोजित करके शुरू किया था। यह सिलसिला अब भी जारी है। यहां विभिन्न खेलों में आठवीं से 12वीं तक की कक्षाओं से निकली प्रतिभाओं को वह गोद ले लेता है। इसके बाद उन्हें शिक्षा, प्रशिक्षण, रहना-खाना सब कुछ नि:शुल्क उपलब्ध कराता है। खेल में आगे बढ़ने पर नौकरी के रास्ते भी निकल आते हैं।

दो हजार खिलाड़ियों में बेटियां नहीं हैं पीछे

वर्तमान में दो हजार से ज्यादा स्कूली खिलाड़ियों में करीब 600 बेटियां हैं, जो एथलेटिक्स और फुटबॉल में प्रतिभा दिखा रही हैं। बीएसपी इन पर सालाना करीब 30 लाख रुपये खर्च करता है। 17 वर्षीय सुरेश कुमार फुटबॉल का स्टार खिलाड़ी है। एशियन स्कूल गेम्स में इंडिया टीम में अपना लोहा मनवाने पर सिक्किम यूनाइटेड टीम ने उससे कांट्रैक्ट किया है। इस बार छत्तीसगढ़ से संतोष ट्रॉफी में वह खेला है। इतना ही नहीं, इंटरनेशनल सुब्रतो कप में भी उसने दनादन कई गोल दागे हैं।

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बीएसपी द्वारा चलाये जाने वाले इस मुहिम का है ये उद्देश्य

दरअसल, रावघाट में लौह अयस्क की खदानें हैं, जिन्हें करीब 50 साल तक खनन के लिए बीएसपी ने लीज पर ले रखा है। खनन शुरू करने से पहले वह यहां की तस्वीर बदलना चाहता है। यहां के बच्चों को आगे बढ़ाना चाहता है, जिससे कि समाज की मुख्यधारा से भटककर वह नक्सलवाद की राह पर न बढ़ें।

नक्सलियों ने पिता को उतारा था मौत के घाट

वर्ष 2004 की एक घटना में नक्सलियों द्वारा बीजापुर के भैरमगढ़ तहसील के सरपंच और एक अन्य की हत्या कर दी गयी थी। जिसके बाद ही मां ने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उन्हें वनवासी आश्रम भेज दिया था।

बीएसपी के राजहरा स्थित आश्रम में मनोज करताम, अर्जुन कर्मा और जयराम कर्मा को रखकर पढ़ाया जा रहा था। वर्ष 2015 में इन्हें सेल अकादमी में रखा गया। जयराम बीजापुर लौटकर शिक्षा की रोशनी फैला रहा है।

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बता दें कि अर्जुन, सेल अकादमी में हैमर थ्रो में अंतरराष्ट्रीय पदक लाने की तैयारी कर रहा है। मनोज स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) में तैयारियों में जुटा है। नक्सल प्रभावित इन बच्चों के नाम 15 से ज्यादा नेशनल खेलने की उपलब्धियां हैं।

रंग लाएगी मेहनत

भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) ने रावघाट में भिलाई इस्पात संयंत्र खनन शुरू करने वाला है। इससे जहां देश को मजबूती मिलेगी, वहीं क्षेत्र का विकास भी होगा। खेल के लिए बीएसपी पूरी तरह से मदद करता रहेगा। बीएसपी ने जो नक्सलगढ़ को संवारने का जो बीड़ा उठाया है और जिस प्रकार वह काम कर रहा है इसको देखते हुए यही लगता है कि बीएसपी की मेहनत रंग जरूर लाएगी

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