Bhutan King India Visit: भूटान के किंग सोमवार से तीन दिवसीय भारत यात्रा पर, जानें क्यों अहम है ये दौरा
Bhutan King India Visit: भूटान के नरेश अपने भारत दौरे के क्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। जिग्मे खेसर नामग्याल राष्ट्रपति मुर्मू के न्योते पर भारत आ रहे हैं।
Bhutan King India Visit: भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित भूटान एक बहुत ही छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से काफी अहम देश है। आजादी के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते काफी प्रगाढ़ हैं। भारत की तरह भूटान भी साझे दुश्मन चीन की विस्तारवादी नीति से जूझ रहा है। लेकिन हाल ही में भूटानी पीएम की तरफ से आए एक बयान ने नई दिल्ली की चिंताएं बढ़ा दी थी। इन सबके बीच भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक आज यानी सोमवार को तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच रहे हैं।
भूटान के नरेश अपने भारत दौरे के क्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। जिग्मे खेसर नामग्याल राष्ट्रपति मुर्मू के न्योते पर भारत आ रहे हैं। वह 3 से 5 अप्रैल तक भारत दौरे पर रहेंगे। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी और रानी जेटसुन पेमा, विदेश एवं व्यापार मंत्री टैंडी दोरजी और शाही सरकार के कई कैबिनेट मंत्री भी उनके साथ आ रहे हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि यह यात्रा दोनों देशों को द्विपक्षीय सहयोग के सभी पहलुओं की समीक्षा करने, विकास और वित्त सहयोग सहित करीबी द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी। कूटनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि भारत भूटानी नरेश के सामने चर्चा के दौरान उनके प्रधानमंत्री द्वारा डोकलाम पर दिए गए विवादित बयान का मुद्दा उठा सकता है।
क्या कह दिया था भूटानी पीएम ने ?
भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने एक यूरोपीय अखबार को साक्षात्कार देने के क्रम में कह दिया था कि चीन ने डोकलाम पठार में जहां गांव बनाए हैं, वे भूटान के भीतर नहीं हैं। उनका कहना था कि ड्रैगन सेना पीएलए ने भूटानी क्षेत्र में कोई घुसपैठ की ही नहीं। दरअसल, शेरिंग जिस क्षेत्र में हुए चीनी अतिक्रमण की बात को नकार रहे हैं, उसे लेकर साल 2017 में भारत और चीन के सामने आमने-सामने हो गई थी।
साल 2020 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने डोकलाम पठार के 9 किमी पूर्व में उस एरिया में गांव बसा लिया है, जो भूटान का हिस्सा है। भूटानी पीएम के इस बयान ने चीन के उस दावे को मजबूत कर दिया, जो वो हर अतिक्रमण के बाद करता आया है। यही वजह रही कि कई दिनों तक इंटरनेशनल मीडिया में लोटे शेरिंग का ये बयान सुर्खियों में रहा और विशेषकर भारत के लिए इसे एक झटके के तौर पर प्रस्तुत किया गया।
बता दें कि डोकलाम पठार भारत, चीन और भूटान के त्रिकोण पर स्थित है। इसके पहाड़ी इलाके पर वर्षों से ड्रैगन और भूटान के बीच मतभेद रहा है। दोनों देश इस पर अपना-अपना हक जताते हैं। भारत के लिए भी यह हिस्सा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर ड्रैगन यहां तक पहुंचने में कामयाब हो गया तो वह भारत के लिए सामरिक रूप से काफी घातक साबित होगा।
अगर चीन डोकलाम पठार तक सड़क बनाने में कामयाब हो जाता है तो वह भारत के चिकन नेक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी तक आसानी से पहुंच जाएगा। यही वजह है कि 2017 में इस क्षेत्र में किए जा रहे निर्माण कार्य को लेकर चीन और भारत की सेना एक दूसरे के आमने-सामने आ गई थीं।