तिहाड़ जेल में बंद चिदंबरम की जान को इससे है खतरा, मचा हड़कंप
खबर सामने आई है कि चिदंबरम क्रोन्स बीमारी (Crohn's disease) से पीड़ित हैं। यदि किसी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उनका तत्काल विशेष उपचार न कराया गया तो उनकी जान को खतरा हो सकता है।
लखनऊ: काफी दिनों से कांग्रेस के सीनियर नेता एवं पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम आईएनएक्स मनी लॉन्ड्रिंग मामले (INX money laundering case) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में हैं। अब खबर सामने आई है कि चिदंबरम क्रोन्स बीमारी (Crohn's disease) से पीड़ित हैं। यदि किसी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उनका तत्काल विशेष उपचार न कराया गया तो उनकी जान को खतरा हो सकता है।
आपको बता दें कि यह जानकारी चिदंबरम के करीबी सूत्रों ने दी है। कांग्रेस के एक नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर मंगलवार को बताया गया कि चिदंबरम की खराब सेहत को देखते इलाज के लिए किसी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में तत्काल भेजा जाना बहुत जरूरी है।
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सूत्रों के मुताबिक चिदंबरम को सोमवार को सुबह के समय राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल ले जाया गया था और बाद में उन्हें एम्स भेजा गया था। उन्हें रात में अस्पताल से छुट्टी दी गई थी।
कुछ दिन पहले, जब चिदंबरम की जमानत याचिका सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में आई थी, उनके वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को सूचित किया था कि कांग्रेस नेता का तिहाड़ जेल में पांच किलोग्राम वजन घट गया है जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में रखा गया था।
क्रोन्स बीमारी, आंतों में सूजन से संबंधित एक बीमारी-
यह क्रोन्स बीमारी आंतों में सूजन से संबंधित एक बीमारी है जो मुंह से लेकर गुदा तक पेट एवं आंत से संबंधी तंत्र के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है।
ये है शुरूआती लक्षण इस बिमारी के-
इस बीमारी के लक्षणों में पेट में दर्द, दस्त (सूजन गंभीर होने पर खून भी आ सकता है), बुखार और वजन घटना शामिल है।
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बिमारी है बहुत ही खतरनाक-
अगर हम इस क्रोंस बीमारी के बारे में बात करते हैं तो यह बात सामने आती है कि इस बिमारी में आपके पाचन तंत्र में सूजन आ जाती है, जिसके कारण तेज पेट दर्द होता है जिसके कारण शरीर को आपके द्वारा खाये गए पौष्टिक तत्व और ऊर्जा पूरी तरह नहीं मिल पाती है। कई बार तो ये रोग बहुत खतरनाक और जानलेवा साबित होता है इसलिए इसे एक खतरनाक बीमारी माना जाता है।
बीमारी का मुख्य कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना-
इस बीमारी का मुख्य कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने के कारण कोई वायरस या बैक्टीरिया आंतों तक पहुंचकर इसे प्रभावित कर सकता है जिससे आंतों में सूजन आ सकती है और ये बीमारी हो सकती है। इसके अलावा ये अनुवांशिक कारणों से भी होती है। परिवार में किसी अन्य सदस्य को ये बीमारी होने पर इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।
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इस बिमारी के बारे में ये है विस्तृत जानकारी-
लक्षण:
- पेट में दर्द (ज़्यादातर भोजन के बाद या पहले)
- पेट में तीव्र ऐंठन
- गंभीर दस्त
- बदबूदार मल और वो भी दिन में 10 से 12 बार
- भूख ना लगना और कमज़ोरी महसूस होना
- बुखार
इन लक्षणों के अलावा शरीर में खून की कमी भी हो सकती है, स्किन रैश, आर्थराइटिस और आंखें में सूजन भी आ सकती है। हालांकि, आमतौर पर देखा गया है कि कई लोग इस बिमारी को गंभीरता से नहीं लेते और कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनके चलते यह बीमारी बढ़ जाती है और फिर बाद में उन्हें पछतावा ही हाथ लगता है।
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इलाज:
इस बिमारी के स्पेशलिस्ट के पास जाने की जरूरत-
क्रोंस काफी कॉम्पलेक्स डिज़ीज़ है, और इसका ट्रीटमेंट भी मरीज़ की कंडीशन को मद्देनज़र रखते हुए बीच-बीच में बदलता रहता है। अगर आपको इस बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं, तो डाइजेस्टिव सिस्टम स्पेशलिस्ट यानी गैसट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के पास जाएं। इसके लिए डॉक्टर की एक टीम आपकी मदद करेगी। इनमें न्यूट्रिशनिस्ट होगा, रेडियोलॉजिस्ट और सर्जन।
इसके लिए किये जा रहे इलाज पूरा करना पड़ेगा-
क्रोंस डिज़ीज़ को ठीक करने में लंबा वक्त लगता है। इसके लिए धैर्य की ज़रूरत होती है। अगर आपको ट्रीटमेंट के बीच में ठीक भी महसूस होने लग जाए, तो दवाईयां लेनी बंद नहीं करनी चाहिए। कई लोग डॉक्टर की सलाह के बिना ही बीच में ट्रीटमेंट रोक देते हैं। लेकिन, इसका कोर्स लॉन्ग-टर्म होता है। दवाई बीच में बंद करने से दोबारा से परेशानी शुरू हो सकती है।
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आपकी डाइट ठीक नहीं है-
क्रोंस डिज़ीज़ के दौरान, डाइट का पूरा ख्याल रखना चाहिए। हालांकि, इसमें पहले कुछ नहीं कह सकते कि आपको कौन सा खाना चाहिए और कौन से नहीं। लेकिन अगर आपको लगता है कि इस फूड प्रोडक्ट्स से आपके लक्षण तीव्र होते हैं, उन्हें खाना छोड़ दें।
इसके लिए आपको अपने खान-पान पर ट्रैक रखना होता है। इस बीमारी के दारौन ठीक से खाना इसीलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि इसमें शरीर ज़रूरी न्यूट्रिशन अब्ज़ॉर्ब नहीं कर पाता। ऐसे में अगर डाइट के ज़रिए आपकी बॉडी में ज़रूरी विटामिन्स और मिनरल्स नहीं जा रहे, तो डॉक्टर आपको सप्लीमेंट्स देते हैं।
डॉक्टर के पास नियमित जाना पड़ेगा-
डॉक्टर ने आपको जिस दिन बुलाया होता है, आप आलस के कारण उस दिन नहीं जाते और जब मन करता है, तब जाते हैं। ऐसे में ट्रीटमेंट ठीक तरह से नहीं हो पाता और दवाईयों का असर भी ठीक से नहीं होता है। डॉक्टर के पास टाइम पर जाना ज़रूरी है, ताकि वो आपकी दवाईयों में बदलाव कर सके। कई बार डॉक्टर मरीज़ में दवाईयों के साइड इफेक्ट्स भी चेक करते हैं, इसीलिए डॉक्टर की अपॉइंटमेंट कभी मिस न करें।
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सिगरेट पीना छोड़ना होगा-
अगर डॉक्टर के मना करने के बाद भी आप सिगरेट पीते तो यह आपके लिए नुकसान साबित हो सकता है। क्रोंस डिज़ीज़ में ट्रीटमेंट का एक हिस्सा यह भी है कि आप सिगरेट पीना छोड़ दें, क्योंकि इससे लक्षण तीव्र होते हैं। सिगरेट न पीने से कैंसर, हार्ट डिज़ीज़ और कई खतरनाक बीमारियों के खतरे भी कम हो जाते हैं।