मोदी से कांपा चीन: बौखलाहट निकली सीमा पर, पड़ा कमजोर हुआ पीछे
भारत-चीन सीमा विवाद के चलते कई दिन हो गए हैं। ऐसे में कुछ दिन पहले चीनी सेना लद्दाख के गलवान, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग इलाके से लगभग 2 किमी तक पीछे हट गई है।
नई दिल्ली : भारत-चीन सीमा विवाद के चलते कई दिन हो गए हैं। ऐसे में कुछ दिन पहले चीनी सेना लद्दाख के गलवान, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग इलाके से लगभग 2 किमी तक पीछे हट गई है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि गतिरोध कम करने का यह पहला कदम है। तो जब चीन की सेना हट गई है तो भारतीय सेना ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।
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बॉर्डर विवाद
ऐसे में ये सवाल उठ रहा है चीन बॉर्डर पर भारत के खिलाफ इतना आक्रामक क्यों हो गया है? यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी 2018 में कहा था कि दोनों देशों में इस तरह परिपक्वता है कि बॉर्डर विवाद के बाद सीमा पर आज तक एक गोली नहीं चली।
भारत के सेना प्रमुख रह चुके वीपी मलिक ने इंटरव्यू में कहा कि चीन की बेचैनी समझ में आती है। भारत ने बीते साल 5 अगस्त जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर पूरे इलाके को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया था।
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ऐसे में चीन ने टिप्पणी की थी कि उसे यह अस्वीकार्य है और पूरे इलाके की यथास्थिति से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। पाकिस्तान लगातार चीन से कहता रहा कि वो इस मामले में हस्तक्षेप करे लेकिन अब तक वो कुछ ठोस नहीं कर पाया था।
दुनिया उसकी चपेट में
वहीं बीते साल दिसंबर के महीने में चीन के वुहान से कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई और दो महीने के अंदर ही दुनिया उसकी चपेट में आ गई। महामारी को लेकर दुनिया भर में चीन को लेकर तमाम सवाल उठने लगे। इसके साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देशों ने चीन के खिलाफ जांच की मांग की।
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इसके अलावा भारत ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) में चीन के खिलाफ मानी जा रही इस जांच का समर्थन किया। अब चीन हर मोर्चे पर बुरी तरह से घिरने लगा था। चीन को ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान के साथ भारत की बढ़ती करीबी को लेकर भी चिंता सताने लगी थी।
ऐसे में भारत ने बीते कुछ महीनों में लद्दाख सहित सीमा वाले इलाकों में सड़क निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ाया है। भारत ने इन सीमाई इलाकों में विकास कार्य के अलावा, अन्य गतिविधियां भी तेज की हैं।
मोदी सरकार ने शक्तियां बढ़ाई
इस बीच मोदी सरकार ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) को कई प्रशासनिक और आर्थिक फैसले लेने के मामले में भी शक्तियां बढ़ाई हैं। वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अगर इसी रफ्तार से भारत में काम होता तो अब तक सभी सीमाई सड़कें पूरी बन चुकी होतीं।
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इसके साथ ही 32,000 वर्कफोर्स वाले बीआरओ के 67 प्रतिशत कामगार चीन से लगी सीमा पर तैनात हैं। हाल के सालों में, इसने लद्दाख और उत्तर-पूर्व में कई अहम कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को पूरा किया है। वहीं डीएसडीबीओ सड़क भी इनमें से एक है।
मेडिकल सप्लाई बैन करने की ही धमकी
इसके बाद भारत के इस ठोस कदम के बाद चीन की तरफ से तुरंत प्रतिक्रिया आई। चीन ने भारत के इस कदम को एकतरफा और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खिलाफ बताकर आपत्ति जताई थी। यहां तक कि चीन की मीडिया ने भारत को मेडिकल सप्लाई बैन करने की ही धमकी दे दी थी।
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अब महामारी के चलते चीन से तमाम कंपनियां अपना सारा कारोबार समेटकर भारत आना चाह रही हैं। जिससे चीन बेहद परेशान है। भारत के वर्ल्ड फैक्ट्री बनने की रिपोर्ट्स पर चीन की मीडिया ने कहा था कि भारत चीन की जगह लेने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह इसमें कभी कामयाब नहीं होगा।
बता दें, चीन में यह चिंता उस समय जताई गई जब बीते दिनों जर्मनी की एक जूता कंपनी ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन से उत्तर प्रदेश शिफ्ट करने की बात कही थी और तभी चीन तिलमिला उठा था।
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