आखिर BJP सांसदों पर क्यों भड़का चीन, दे दी ये बड़ी धमकी

बीते हफ्ते जब ताइवान की साई इंग-वेन ने दूसरी बार राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की तो बीजेपी के दो सांसदों ने उनको बधाई संदेश दिया, जिसे शपथ ग्रहण समारोह में दिखाया गया।

Update:2020-05-27 10:54 IST

नई दिल्ली: बीते हफ्ते जब ताइवान की साई इंग-वेन ने दूसरी बार राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की तो बीजेपी के दो सांसदों ने उनको बधाई संदेश दिया, जिसे शपथ ग्रहण समारोह में दिखाया गया। अब इस पर चीनी दूतावास ने विरोध दर्ज कराया है। ताइवान में साई इंग-वेन के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान का भी बधाई संदेश दिखाया गया था।

बीजेपी सांसदों ने राष्ट्रपति को भेजा था बधाई संदेश

इस समारोह में 41 देशों के 92 प्रतिनिधि मौजूद थे, इसमें जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी शामिल थे। हालांकि भारत की ओर से कोई प्रतिनिधि इस समारोह में आधिकारिक तौर पर शामिल नहीं हुआ था। लेकिन समारोह में दो बीजेपी सांसदों के संदेश दिखाए जाने से भी चीनी दूतावास ने नाराजगी जाहिर की है।

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‘वन चाइना पॉलिसी’ को ही मानता है भारत

बता दें कि भारत हमेशा से ही ताइवान को लेकर बीजिंग की ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानता आ रहा है और उसके साथ किसी भी प्रकार के कूटनीतिक संबंध स्थापित भी नहीं किए हैं। लेकिन हाल ही में इस नीति में बदलाव के कुछ संकेत मिले हैं। बता दें कि चीन हमेशा से ताइवान को ‘वन नेशन टू सिस्टम’ मानता आया है, जबकि ताइवान खुद को एक अलग देश बताता है। हॉन्गकॉन्ग भी वन नेशन टू सिस्टम के तहत चीन के अंतर्गत आता है।

चीनी दूतावास ने संदेश पर दर्ज कराई आपत्ति

सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली में स्थित चीनी दूतावास के काउंसलर लियु बिंग ने एक ईमेल लिखकर बीजेपी सांसदों द्वारा बधाई संदेश देने पर आपत्ति दर्ज कराई है। लियु बिंग ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर से साई इंग-वेन बधाई संदेश देना भी बेहद गलत था। उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि यूएन चार्टर और इसके अहम संकल्पों में ‘वन चाइना पॉलिसी’ के सिद्धांत को मान गया है।

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अंतरराष्ट्रीय संबंधों और पूरे वैश्विक समुदाय के बीच वन चाइना पॉलिसी को लेकर आम सहमति है। उन्होंने कहा कि भारत की सरकारें भी 70 साल पहले द्विपक्षीय संबंध स्थापित होने के बाद से ही वन चाइना पॉलिसी को ही मानती आई हैं।

तो इसलिए सांसद संदेश भेजना समझा उचित

वहीं बीजेपी सांसद राहुल कासवान के एक करीबी सूत्र ने इस मसले पर बताया कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इवेंट में शामिल नहीं हुए थे। वहीं राष्ट्रपति को बधाई संदेश देने के बारे में सूत्र ने बताया कि नई दिल्ली और ताईपेई के बीच अच्छे संबंध हैं इसलिए सांसद ने साई इंग-वेन को बधाई संदेश भेजना उचित समझा।

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सासंद को नहीं थी जानकारी की समारोह में दिखाया जाएगा संदेश

सूत्र के मुताबिक उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि उनके द्वारा भेजे गए वीडियो संदेश को शपथ ग्रहण समारोह में दिखाया जाएगा। इसके अलावा अगर चीन की आपत्ति की आधिकारिक प्रतिक्रिया की जरूरत होती है तो फिर विदेश मंत्रालय की तरफ से ही इसका जवाब दिया जाएगा।

ऐसी गतिविधियों से दूर रहें

चीनी राजदूत ने लिखा कि बधाई संदेश सहित कोई भी गलत संकेत अलगावादियों को खतरनाक रास्ते पर जाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। जिससे पूरे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीन के एकीकरण के महान उद्देश्य का समर्थन के बजाय ऐसी गतिविधियों से दूर रहें।

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चीन और ताइवान के बीच विवाद का एक बड़ा कारण यह है कि चीन हमेशा से ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा बताता रहा है जबकि ताइवान खुद को अलग देश बताता है। यह विवाद 1949 में माओत्से तुंग के समय से ही चल रहा है।

चीन का तो यह भी मानना है कि अगर जरूरत पड़ती है तो बलपूर्वक ताइवान का विलय भी किया जा सकता है। वहीं ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन हमेशा से ही 'वन चाइना पॉलिसी' का विरोध करती आई हैं।

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