Sanatan Dharma Controversy: सनातन विवाद पर कांग्रेस ने बदला रुख, भाजपा के तीखे तेवर ने बढ़ाई मुसीबत, जानिए क्या है यूटर्न लेने का कारण
Sanatan Dharma Controversy:विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में शामिल द्रमुक नेताओं और प्रियांक का यह बयान कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।
Sanatan Dharma Controversy: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की ओर से सनातन धर्म को लेकर दिए गए विवादित बयान ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उदयनिधि स्टालिन के बाद अब द्रमुक के एक और वरिष्ठ नेता ए राजा ने भी सनातन धर्म को लेकर और तीखी टिप्पणी करते हुए उसकी तुलना एचआईवी एड्स और कुष्ठ रोग से कर डाली। उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे के बेटे और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए दिखे थे।
विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में शामिल द्रमुक नेताओं और प्रियांक का यह बयान कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। कई राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़े वोट बैंक के नाराज होने का खतरा महसूस होने लगा है। इसीलिए कांग्रेस अब इस मुद्दे पर बैकफुट पर दिखने लगी है।
शुरुआत में इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैया दिखाने वाली कांग्रेस ने अब यूटर्न लेते हुए द्रमुक नेताओं के बयानों से किनारा कर लिया है। भाजपा के तीखे तेवर के बाद कांग्रेस ने सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करने की बात कही है।
सनातन के विवाद में पीएम मोदी भी कूदे
देश में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए गए बयान के बाद नया विवाद पैदा हो गया है। उदयनिधि ने कहा है कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह है। इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। इसका सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए ।बल्कि इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए। डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह हमें सनातन धर्म को भी मिटाना है।
अब द्रमुक के एक और वरिष्ठ नेता ए राजा तो उदयनिधि स्टालिन से भी आगे निकल गए हैं। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना एचआईवी एड्स और कुष्ठ रोग से कर डाली।
इंडिया गठबंधन में शामिल द्रमुक के नेताओं के इन बयानों ने भाजपा को बड़ा हथियार मुहैया करा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे लेकर विपक्षी गठबंधन पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने पार्टी नेताओं को इस मुद्दे पर विपक्ष को तीखा जवाब देने का निर्देश भी दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को भारत नाम से आपत्ति है । मगर अपने एक नेता की ओर से सनातन धर्म पर की जा रही टिप्पणियों पर उसे कोई एतराज नहीं है। देश की जनता सब देख रही है और अब यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा।
कांग्रेस ने बदला स्टैंड
भाजपा के तीखे तेवर के बाद अब कांग्रेस इस मुद्दे पर बैकफुट पर आती दिख रही है। उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी बताया था । मगर अब कांग्रेस ने द्रमुक नेताओं के बयानों से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है।
अब कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की ओर से इस मामले में सफाई पेश की गई है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन सभी धर्मों और जातियों का समान रूप से सम्मान करने का पक्षधर है।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पार्टी ऐसे बयानों से कतई सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही नहीं बल्कि विपक्षी गठबंधन में शामिल अन्य दलों के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है।
गठबंधन के सभी दलों के नेताओं ने संविधान के मुताबिक सभी धर्मों का सम्मान करने की बात कही है। कांग्रेस का भी यही मानना है और पार्टी हमेशा से सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करने की बात करती रही है।
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भाजपा के तीखे तेवर से मजबूर हुई पार्टी
दरअसल द्रमुक नेताओं के बयानों ने भाजपा को उस पिच पर बैटिंग करने का मौका मुहैया करा दिया है । जिस पिच पर पार्टी के बल्लेबाज जोरदार तरीके से बैटिंग करते रहे हैं। विपक्षी दलों के लिए भाजपा के सामने इस पिच पर बैटिंग करना आसान नहीं है। सनातन धर्म के खिलाफ की गई टिप्पणियों को लेकर भाजपा ने स्टालिन ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के खिलाफ हर स्तर पर मोर्चा खोल दिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को तीखा हमला बोलते हुए कहा कि रावण के अहंकार और बाबर ब औरंगजेब के अत्याचार से भी सनातन धर्म नहीं मिट पाया था। ऐसे में यह तुच्छ लोग कहां से सनातन धर्म को मिटा पाएंगे।
भाजपा के तीखे हमले के बाद हालत यह हो गई कि कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन भी उसी सुर में बोलने लगे। उन्होंने कहा कि एक हजार साल से सनातन धर्म को मिटाने की कोशिश हो रही है । मगर आज तक इस काम में किसी को कामयाबी नहीं मिली।
उत्तर भारत में सियासी नुकसान की आशंका
वैसे कांग्रेस ने पहले इस विवाद से दूरी बनाते हुए तटस्थ भूमिका अपना रखी थी । मगर बाद में पार्टी को अपना रुख बदलना पड़ा। सियासी जानकारों का मानना है कि एक बड़े वोट बैंक के नाराज होने के खतरे से पार्टी के रुख में बदलाव आया है।
उत्तर भारत में पार्टी को बड़े सियासी नुकसान की आशंका सताने लगी थी। इसी कारण पार्टी ने द्रमुक नेताओं के बयान से दूरी बना ली है और सभी धर्मों का बराबर सम्मान करने की बात कही है।