कांग्रेस ने बढ़ाई उद्धव सरकार की धड़कन, पहली बार खुलकर कही ये बात
महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है। महत्वपूर्ण फैसलों में भागीदारी न मिलने से नाराज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने पहली बार खुलकर नाराजगी जताई है।
मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बाद कांग्रेस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है। महत्वपूर्ण फैसलों में भागीदारी न मिलने से नाराज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने पहली बार खुलकर नाराजगी जताई है। कांग्रेस के इस रुख से शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास आघाड़ी सरकार सरकार की बुनियाद हिलने लगी है। कांग्रेस के नेता सरकार के बड़े फैसलों में महत्व न मिलने से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
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महत्वपूर्ण फैसलों में नहीं मिल रहा महत्व
कांग्रेस की नाराजगी इस बात को लेकर है कि महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार में महत्वपूर्ण भागीदार होने के बावजूद उसे महत्व नहीं दिया जा रहा है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे महत्वपूर्ण मुद्दों में आपस में बातचीत के बाद फैसला ले लेते हैं जबकि फैसलों के संबंध में कांग्रेस से कोई चर्चा नहीं की जाती।
उद्धव ने किया था राहुल से वादा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पिछले दिनों स्वीकार किया था की महाराष्ट्र की सरकार में कांग्रेस शामिल जरूर है मगर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसकी कोई भागीदारी नहीं है। इसे भी कांग्रेस की नाराजगी का संकेत माना गया था और उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी से टेलीफोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में ठाकरे ने कांग्रेस को उचित महत्व देने की बात कही थी। इसके बाद सबकुछ सामान्य होने का दावा किया गया था मगर एक बार फिर माहौल बदल रहा है।
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थोरात ने जताई खुलकर नाराजगी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने पहली बार खुलकर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि हमारे बीच असहमति के कई मुद्दे हैं। फैसला लेने की प्रक्रिया में कांग्रेस की अनदेखी नहीं की जा सकती। हम भी गठबंधन के महत्वपूर्ण भागीदार हैं और इसलिए राज्य के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय कांग्रेस को भी विश्वास में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा की इस विषय में जल्द ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत की जाएगी।
कांग्रेस की बैठक में उठी यह मांग
कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की पिछले दो दिनों के दौरान बैठकें भी हुई हैं। इन बैठकों में तीन दलों की सरकार में कांग्रेस को बराबर सम्मान देने पर जोर दिया गया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार की निर्णय प्रक्रिया में कांग्रेस को भी उचित महत्व मिलना चाहिए। जानकार सूत्रों का कहना है कि ठाकरे सरकार में एनसीपी का प्रभुत्व लगातार बढ़ रहा है और कांग्रेस नेताओं को यह बात नहीं पच रही है। अपनी अनदेखी किए जाने से कांग्रेसी नेता नाराज हैं। सूत्रों का कहना इस बाबत कांग्रेस के मंत्रियों की शिवसेना सचिव व मुख्यमंत्री के निजी सचिव मिलिंद नार्वेकर के साथ भी बैठक हुई है।
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एमएलसी के नामों पर फंसा पेंच
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थोरात व प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने विधानपरिषद के लिए मनोनीत किए जाने वाले 12 सदस्यों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए बैठक बुलाने की मांग की थी। इन दोनों नेताओं की मांग के बावजूद अभी तक यह बैठक नहीं बुलाई गई है। कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि सरकार के गठन के समय ही यह फैसला लिया गया था कि तीनों दलों को विधानपरिषद में चार-चार सीटें दी जाएंगी मगर अब शिवसेना की ओर से 5 सीटों पर दावा किया जा रहा है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कोरोना संकट काल में उद्धव की नई मुसीबत
कोरोना संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र में कांग्रेस की बढ़ती नाराजगी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है। देश में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा कहर महाराष्ट्र में ही दिख रहा है और वहां करीब 98000 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। सरकार कोरोना की रफ्तार को थामने में नाकाम साबित होती दिख रही है। ऐसे में कांग्रेस की बढ़ती नाराजगी से उद्धव ठाकरे के लिए फैसले लेना और कठिन हो गया है।
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