संसद से पास हुआ है CAA, राज्यों का लागू करने से इंकार करना असंवैधानिक: सिब्बल

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस कानून का कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बड़ा बयान दिया है।

Update: 2020-01-18 16:33 GMT

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस कानून का कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पारित हो गया है तो कोई भी राज्य इसे लागू करने से इंकार नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा कि सीएए को लागू करने से मना करना मुमकिन नहीं और इसे लागू करने से इंकार करना असंवैधानिक होगा। कपिल सिब्बल ने इसके साथ ही केरल के राज्यपाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने कहा कि केरल के राज्यपाल को संविधान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने शनिवार को यह बात केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही है।

कपिल सिब्बल ने कह कि अगर सीएए संसद से पास है तो कोई भी राज्य ये नहीं कह सकता कि हम इसे लागू नहीं करेंगे। ये संभव नहीं है और ये असंवैधानिक है। आप इसका विरोध कर सकते हैं। आप विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और सरकार से कह सकते हैं कि इसे वापस लीजिए।

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कपिल सिब्बल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब केरल और पंजाब सरकार ने सीएए को राज्य में लागू करने से इंकार कर दिया है। केरल सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के राज्य में सीएए को लागू नहीं करने की बात कही है, तो वहीं पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने शुक्रवार को सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि इस कानून से राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के छिन्न-भिन्न होने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में सरकार नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के संबंध में सदन की इच्छा से आगे बढ़ेगी।

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कैप्टन अमरिंदर सरकार की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया कि सीएए का प्रारूप देश के संविधान और इसकी मूल भावना के खिलाफ है। यह देश के कुछ धर्म विशेष के लोगों की पहचान को खत्म करने की कोशिश है। इस एक्ट के जरिए प्रवासी लोगों को बांटने की सोच है और ये समानता के अधिकार के खिलाफ है।

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इससे पहले दिसंबर 2018 में, केरल विधानसभा ने हाल ही में नागरिकता कानून को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, ऐसा करने वाला केरल देश का पहला राज्य था। इसने केंद्र से इस कानून को रद्द करने की मांग की थी।

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