बड़ी कामयाबी: कोरोना से जंग में यूं मिल रही जीत, 90 फीसदी मरीजों में हल्के लक्षण
देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या में हाल के दिनों में काफी तेजी आई है मगर एक बड़ी खुशखबरी यह भी है कि काफी संख्या में मरीज इस वायरस के संक्रमण से उबर रहे हैं।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या में हाल के दिनों में काफी तेजी आई है मगर एक बड़ी खुशखबरी यह भी है कि काफी संख्या में मरीज इस वायरस के संक्रमण से उबर रहे हैं। देश में इस वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 2,07,615 तक पहुंच चुकी है मगर एक अच्छी खबर यह है कि अभी तक 100303 मरीजों ने इस खतरनाक वायरस से जंग जीत ली है और वे स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का भी मानना है कि देश में कोरोना वायरस की मारक क्षमता में कमी आई है। उनका कहना है कि अब देश में 90 फीसदी से अधिक मरीज हल्के लक्षण वाले सामने आ रहे हैं।
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15 दिनों में तेज हुआ संक्रमण
देश में पिछले 15 दिनों के दौरान कोरोना के काफी नए मरीज मिले हैं। 19 मई को 111 दिनों में देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक लाख के पार हुआ था मगर मंगलवार को 14 दिनों में एक लाख और नए मरीज मिलने के साथ यह आंकड़ा दो लाख से ऊपर पहुंच गया। इस तरह कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में पिछले 15 दिनों के दौरान काफी तेजी दर्ज की गई है मगर इसके साथ ही साथ ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक लाख से अधिक मरीजों ने इस वायरस के खिलाफ जंग जीत ली है और काफी संख्या में अन्य मरीज भी ठीक होने की राह पर हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान 4776 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया।
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कोरोना की मारक क्षमता घटी
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि शुरुआत में इस वायरस से संक्रमित होने वाले मरीज गंभीर लक्षण वाले से मगर अब 90 फ़ीसदी से अधिक मरीज हल्के लक्षण वाले हैं। उनका कहना है कि इस वायरस की मारक क्षमता में कमी दिख रही है और 12 से 13 शहरों में ही 80 फीसदी से अधिक मामले हैं। गुलेरिया ने कहा कि देश में ऐसे मरीजों की संख्या कम है जिन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत है। बीसीजी वैक्सीन लगी होने के कारण भारतीयों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक है।
इन दवाओं से हो रहा फायदा
उन्होंने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडिसवीर दवाओं पर ट्रायल चल रहे हैं। डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक रेमडिसवीर से रोगियों का अस्पताल में रुकने का समय कम होता है, लेकिन इससे गंभीर मरीजों में मृत्यु दर कम नहीं होती। हल्के लक्षणों वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा लाभदायक रही है।
डॉ.गुलेरिया का कहना है कि अभी पूरे देश में इस वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं शुरू हुआ है। वैसे कुछ शहरों में जहां हॉटस्पॉट हैं वहां यह जरूर दिख रहा है। उनका कहना है कि ऐसे स्थानों पर इस वायरस की चेन को तोड़ने की जरूरत है और इसके लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। यदि लोगों ने इस बात का ध्यान नहीं रखा तो आने वाले दओ सप्ताह में इसका गंभीर नतीजा दिख सकता है।
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वैक्सीन पर हो रहा तेजी से काम
कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए पूरी दुनिया में सौ से ज्यादा देशों में वैक्सीन पर शोध चल रहा है। भारत में भी चार से ज्यादा वैक्सीन पर काम किया जा रहा है। दुनिया के कई देशों ने वैक्सीन बनाने के मामले में उल्लेखनीय प्रगति हासिल होने का दावा किया है। वैसे जानकारों का कहना है कि वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में नौ महीने तक का समय लग सकता है। तब तक पूरी दुनिया के लोगों को अन्य तरीकों से ही इस वायरस से लड़ना होगा।
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