कोरोना: भारत में वैक्सीन को स्टोर करने का काम शुरू, एक दिन में लगेंगे 10 लाख टीके

केंद्र सरकार कोरोना की वैक्सीन को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही या चूक करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए धीरे-धीरे फूंक-फूंक कर वह इस दिशा में वह अपना कदम आगे बढ़ा रही है। अपोलो अस्पताल ने भी मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है। उसने एक दिन में 10 लाख कोरोना वैक्सीन लगाने की बात कही है।

Update: 2020-10-15 11:52 GMT
जबकि केंद्र सरकार ये चाहती है कि वैक्सीन हासिल करने से लेकर उसे लोगों तक पहुंचाने काम रियल टाइम ही पूरा किया जाए। इसमें किसी भी तरह की कमी न रहे।

नई दिल्ली: आज की सबसे बड़ी खबर कोरोना वायरस को लेकर अपने देश यानी की भारत से आ रही है। मोदी सरकार को कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में बड़ी सफलता हाथ लगी है।

देश में अगले साल की शुरुआत तक कोरोना की वैक्सीन लॉन्च होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने वैक्सीन की स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी सभी आवश्यक तैयारियां तेज कर दी हैं। कब-कहां और कैसे इन वैक्सीन को लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इसका प्लान तैयार किया जा रहा है।

वैक्सीन को खराब होने से बचाने के लिए सरकारी और निजी दोनों ही तरह के कोल्ड स्टोरेज की तलाश की जा रही है। ताकि अगर अधिक तापमान हो तो भी इन वैक्सीन को कोई नुकसान न पहुंचे। क्योंकि अधिकतर वैक्सीन को एक तय तापमान पर रखना और डिस्ट्रीब्यूट करना होता है।

कोरोना की जांच करते स्वास्थ्यकर्मी की फोटो(सोशल मीडिया)

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डॉ. वीके पॉल के नेतृत्व में गठित की एक्सपर्ट्स की टीम

अगर तापमान बदला तो वैक्सीन बेअसर हो जाती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए डॉ. वीके पॉल के नेतृत्व में बनी एक्सपर्ट्स की टीम ने पहले से मौजूद कोल्ड चैन की जानकारियां एकत्र कर ली हैं।

आगे अभी और कितने कोल्ड चैन की आवश्यकता पड़ने वाली है। इस बारें में मंथन चल रहा है।कोरोना से बचाव की इस मुहिम में अपोलो हॉस्पिटल ने भी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।

अपोलो की तरफ कहा गया है कि वह एक दिन में 10 लाख कोरोना टीके लगाने को तैयार है। अपोलो समूह के पास 70 अस्पताल, 400 से ज्यादा क्लिनिक और 500 कॉर्पोरेट हेल्थ सेंटर्स पहले से ही मौजूद हैं।

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समय से जन-जन तक वैक्सीन को पहुंचाना चाहती है केंद्र सरकार

वहीं सरकार ये चाहती है कि वैक्सीन हासिल करने से लेकर उसे लोगों तक पहुंचाने तक की पूरी कवायद को रियल टाइम में ट्रैक किया जाये।

जानकारी ऐसी भी निकलकर सामने आई है कि इसके लिए एक इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीेन इंटेलिजेंस नेटवर्क (EVIN) का इस्तेमाल करने के बारें में भी सरकार सोच रही है।

जो कि क्लाउड आधारित सिस्टम पर काम करता है और जो रियल टाइम में स्टॉक की पोजिशन और सप्लाई रूट की जानकारियां देने का काम करता है।

कोरोना की जांच करते स्वास्थ्यकर्मी की फोटो(सोशल मीडिया)

जन-जन तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए किये गये हैं पुख्ता इंतजाम

प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार जन-जन तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए पुख्ता इंतजाम कर चुकी है। देश के अंदर सभी डिस्ट्रिक्ट में लगभग 27,000 वैक्सीन स्टोरेज सेंटर्स हैं, जो EVIN से कनेक्टेड हैं।

लॉजिस्टिक्स मैनेज करने में कम से कम 40,000 फ्रंटलाइन वर्कर्स काम कर रहे हैं। स्टो्रेज का टेम्प्रेचर जांचने के लिए लगभग 50 हजार से अधिक टेम्प्रेचर लॉगर्स हैं। ऐसे में एक्स्पर्ट्स का ये साफ तौर पर कहना है कि भारत के पास हर जन तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए समुचित व्यवस्था है।

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