दुश्मनों का खात्मा तय: DRDO को मिली बड़ी कामयाबी, महाभयानक ये पनडुब्बियां

नापाक मंसूबों के अंत करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक और कामयाबी हासिल की है। इस कामयाबी से भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। जिससे समुद्र में भारत की पनडुब्बियां और भी घातक हो जाएंगी।

Update: 2021-03-09 12:38 GMT
नौसेना की ताकत में बढ़ोत्तरी करने वाला बड़ा कदम माना जा रहा है। जिससे भारतीय पनडुब्बियों को समुद्र के अंदर और भी अधिक घातक बना देगा।

नई दिल्ली। देश के दुश्मनों का खात्मा बिल्कुल तय है। नापाक मंसूबों के अंत करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक और कामयाबी हासिल की है। इस कामयाबी से भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। जिससे समुद्र में भारत की पनडुब्बियां और भी घातक हो जाएंगी। अब दुश्मन कोई भी साजिश रचने से सौ बार सोचना पड़ेगा। लेकिन इसके बाद भी उनकी हर कोशिश नाकाम ही रहेगी।

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तकनीक का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने आईएनएस करंज पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के एक दिन पहले सोमवार रात को मुंबई में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) तकनीक का सफल परीक्षण किया।

सेना द्वारा किए गए इस परीक्षण नौसेना की ताकत में बढ़ोत्तरी करने वाला बड़ा कदम माना जा रहा है। जिससे भारतीय पनडुब्बियों को समुद्र के अंदर और भी अधिक घातक बना देगा। इस कामयाबी से भारत के दुश्मनों को पता भी नहीं चलेगा और वे तबाह हो जाएंगे।

फोटो-सोशल मीडिया

ऐसे में एआईपी तकनीक पनडुब्बी को पानी के नीचे अधिक समय तक रहने की मंजूरी देता है और एक परमाणु पनडुब्बी की तुलना में इसे शांत रखते हुए उप-सतह (सब-सरफेस) के प्लेटफॉर्म को और अधिक घातक बनाता है।

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2023 तक यह काम पूरा

इसके साथ ही भारतीय नौसेना ने अब अपने सभी कलवरी क्लास के गैर-परमाणु हथियारों में एआईपी तकनीक को अपग्रेड करने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा।

अब देखा जाए तो आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एआईपी तकनीक का सफल परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। भारत से पहले यह तकनीक अमेरिका, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और रूस के पास ही थी।

डीआरडीओ(DRDO) की एआईपी तकनीक एक फॉस्फोरिक एसिड फ्यूल सेल पर आधारित है और अंतिम दो कलवरी क्लास पनडुब्बियों को इसके द्वारा संचालित किया जाएगा। मुंबई में सोमवार को एआईपी डिजाइन का परीक्षण भूमि पर किया गया। यह नई तकनीक भारतीय सबमरीन को और भी ज्यादा घातक बनाएंगी।

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