किसान आंदोलन: किसानों ने बनाई नई रणनीति, अब लिया ये बड़ा फैसला

कांग्रेस सहित पंजाब के शिरोमणि अकाली दल ने आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं को लेकर एक कमेटी का गठन किया है, जो दूसरे राज्यों में जाकर किसान आंदोलन में सहयोग देने को लेकर समर्थन जुटा रहे हैं।

Update: 2020-12-28 03:26 GMT
बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से राजभवन तक निकाले जा रहे मार्च को पुलिस ने रोक दिया।

नई दिल्ली : नए कृषि कानून को लेकर देश के किसान आंदोलनरत है और सीमा पर डेरा डाले है। अपनी मांगों को लेकर किसान किसी भी तरह से पीछे हटने को तैयार नहीं है। के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बाद अब किसान नेताओं ने आंदोलन की रणनीति में बदलाव शुरू कर दिए हैं। किसान नेता पटना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के राज्यों के किसान संगठनों से संपर्क साध रहे हैं।

 

आंदोलन अब देशव्यापी

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब देशव्यापी हो गया है। किसान संगठनों की यह पहल अच्छी है। पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी आंदोलन तेज हो चुका है। पंजाब के कीर्ति किसान यूनियन के कुछ नेता मुंबई में आयोजित हुए किसानों के धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे। अब दकौंडा के किसान नेता 29 दिसंबर को बिहार की राजधानी पटना में आयोजित होने वाले किसानों के एक प्रदर्शन में शामिल होंगे। किसान नेताओं का कहना है कि इस रणनीति के सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं।

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शिरोमणि अकाली दल सहयोग और समर्थन में जुटा

ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से दी। दिसंबर के अंत तक इस रणनीति पर काम किया जाएगा। रणनीति के तहत तय किया गया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह किसान आंदोलन देश के 15 से अधिक राज्यों के 500 शहरों तक पहुंचाया जा सकेगा।

कांग्रेस सहित पंजाब के शिरोमणि अकाली दल ने आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं को लेकर एक कमेटी का गठन किया है, जो दूसरे राज्यों में जाकर किसान आंदोलन में सहयोग देने को लेकर समर्थन जुटा रहे हैं।

 

 

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विपक्षी दलों का सहयोग

दिल्ली धरने में 25 किसान संगठन इस रणनीति पर कार्य कर रहे हैं। धीरे-धीरे राज्य के अन्य संगठनों का भी इसमें साथ मिलना शुरू हो गया है। जल्द ही पंजाब और हरियाणा से शुरू हुए इस किसान आंदोलन को विस्तारित किया जाएगा।

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन सिर्फ पंजाब तक ही सीमित है। इसे वहां की सत्तासीन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हवा देने में लगे हुए हैं। केंद्र की तरफ से आने वाले ऐसे बयानों को किसान संगठनों ने गंभीरता से लेते हुए रणनीति में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। अब दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे कई किसान संगठनों ने दूसरे राज्यों में आंदोलन तेज करने के उद्देश्य से वहां के किसान संगठनों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। साथ ही वहां पर कृषि कानूनों के खिलाफ होने वाले आंदोलनों में हिस्सा लेकर समर्थन हासिल करना भी शुरू कर दिया है।

 

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