किसानों के बीच नया टिकैत, कौन है यह गौरव, जो बड़ी बड़ी बातें कर रहा है
कौन है यह उभरता हुआ युवा नेता जो स्टाम्प पेपर लिखकर देने को तैयार है कि उसे राजनीति में नहीं आना किसानों का बेटा बनकर रहना है। इसका नाम है गौरव टिकैत। आइये जानते हैं गौरव टिकैत का इतिहास।
रामकृष्ण वाजपेयी
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों के बीच मंच पर एक मासूम सा चेहरा पिछले सौ दिनों में कई बार दिखाई दिया है। उसके भाषणों में बहुत ज्यादा धार न होने पर भी किसानों को वह अपना सा लगता है। अपने बच्चे की तरह उसे सुनते हैं और उस पर राय देते हैं। कौन है यह उभरता हुआ युवा नेता जो स्टाम्प पेपर लिखकर देने को तैयार है कि उसे राजनीति में नहीं आना किसानों का बेटा बनकर रहना है। इसका नाम है गौरव टिकैत। आइये जानते हैं गौरव टिकैत का इतिहास।
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महेंद्र सिंह टिकैत की तीसरी पीढ़ी
दरअसल गौरव टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत का बेटा है और राकेश टिकैत का भतीजा है। किसान राजनीति का ककहरा उसने अपने पिता और चाचा से सीखा है।
गौरतलब यह भी है कि महेंद्र सिंह टिकैत की तीसरी पीढ़ी का ये चश्मोचिराग इस बात पर नाज करता है कि उसके परिवार का किसान आंदोलनों का चार दशक से भी अधिक पुराना इतिहास है। गौरव टिकैत मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद इस समय कानून की पढ़ाई की तैयारी के साथ साथ किसानों के मुद्दों पर अपनी समझ विकसित कर रहा है।
इसीलिए वह अपने चाचा राकेश टिकैत की उंगली पकड़ कर यदाकदा मंचों पर दिखायी देता है। गौरव भारतीय किसान यूनियन की युवा ब्रिगेड का राष्ट्रीय अध्यक्ष है। गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत की अनुपस्थिति में वह मंच संभालने का काम भी करता है। किसानों की लडाई को परवान चढ़ाने के लिए उनके बीच जाकर जोश भी भरता है।
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आंदोलन की बागडोर संभाली
गाजीपुर बार्डर पर धरना दे रहे अधिकतर बुजुर्ग किसान उसमें महेंद्र सिंह टिकैत की छवि देखते हैं। यह मानते हैं कि गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत परिवार ने ही आंदोलन की बागडोर संभाली हुई है।
गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के किसान गौरव टिकैत में किसानों की खुशहाली का भविष्य देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि ये खानदान हमारा साथ कभी नहीं छोड़ेगा।
युवा किसान नेता गौरव टिकैत का साफ कहना है कि उनका राजनीति में जाने का इरादा नहीं है। राजनीति में नहीं जाऊंगा चाहे तो इसका एग्रीमेंट करा लो। पिछले दिनों किसानों को संबोधित करते हुए गौरव टिकैत ने कहा था कि अगर किसान आंदोलन तीन साल तक भी चला तो भी कोई दिक्कत नहीं है।
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