Gyanvapi Row: 'ज्ञानवापी न मंदिर और न मस्जिद, ये बौद्ध मठ है', धर्म गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

Gyanvapi Row: ज्ञानवापी मामले में 3 अगस्त को नया मोड़ तब आया, जब बौद्ध धर्म गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में दावा पेश किया कि ये उनका मठ है। बौद्ध धर्म गुरु ने शीर्ष अदालत में रिट दायर कर कहा है कि ज्ञानवापी न तो मंदिर है और न मस्जिद, ये तो बौद्ध मठ है।

Update:2023-08-03 17:11 IST
Gyanvapi (Social Media)

Gyanvapi Row: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque Case) में गुरुवार (03 अगस्त) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) ने बड़ा फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) को सर्वे की अनुमति दी। दरअसल, 21 जुलाई, 2023 को वाराणसी की जिला जज ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने पहले सर्वोच्च न्यायालय फिर हाईकोर्ट में एएसआई सर्वे के फैसले को चुनौती दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज उस याचिका को खारिज कर दिया। वहीं दूसरी तरफ, मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अगस्त को अपने आदेश में कहा, कि 'न्यायहित में एएसआई सर्वे आवश्यक है। कुछ शर्तों के तहत इसे लागू करने की जरूरत है।' लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब बौद्ध धर्म गुरु (Buddhist Guru) ने शीर्ष अदालत में अपना दावा पेश किया। उनका कहना है कि यह उनका मठ है।

ज्ञानवापी न मंदिर है न मस्जिद, ये तो बौद्ध मठ है

दरअसल, बौद्ध धर्म गुरु ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर कहा है कि ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद नहीं, बल्कि बौद्ध मठ (Buddhist Monastery) है। बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते (Sumit Ratan Bhante) के अनुसार, 'देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं, जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा, ज्ञानवापी में पाए गए 'त्रिशूल' और 'स्वस्तिक' चिन्ह बौद्ध धर्म के हैं। केदारनाथ (Kedarnath) या ज्ञानवापी में जिसे ज्योतिर्लिंग बताया जा रहा है, वह बौद्ध धर्म के स्तूप हैं। ज्ञानवापी ना तो मंदिर है और ना मस्जिद, बल्कि ये बौद्ध मठ है।'

बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए मंदिर

गौरतलब है कि, बौद्ध धर्मगुरु सुमित रतन भंते (Buddhist priest Sumit Ratan Bhante) ने देश भर में बौद्ध मठों की खोज शुरू की। उन्होंने कहा, 'हमने नई खोज शुरू की है। जैन और बौद्ध मठों को तोड़कर देश भर में मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल (Religious Place) बनाए गए हैं। सभी मंदिरों और मस्जिदों को उनके मूल स्वरूप में आना चाहिए। जहां-जहां बौद्ध मठ से उनका स्वरूप बदल दिया गया है। बौद्ध मठों को अपने मूल स्वरूप में आना चाहिए। सुमित रतन बोले कि, बौद्ध धर्म के मानने वालों की संख्या भी यही चाहती है।'

केदारनाथ-बद्रीनाथ को लेकर भी दायर करेंगे याचिका

बौद्ध धर्मगुरु का कहना है कि, 'हम केदारनाथ (Kedarnath), बद्रीनाथ (Badrinath) सहित अन्य मंदिरों को लेकर भी याचिका दायर करेंगे। सनातन, बौद्ध धर्म सबसे पुराना है। ज्ञानवापी को लेकर उन्होंने कहा कि, एएसआई ने अगर सही से सर्वे किया तो बौद्ध मठ ही पाया जाएगा। अगर, पाया जाए तो ज्ञानवापी हमें सौंप दें।'

2500 साल पुराना धर्म है बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म गुरु के अनुसार, इस्लाम 15 सौ साल पहले आया था। हिंदू धर्म 1200 साल पहले आया है। लेकिन, बौद्ध धर्म 2500 साल पहले का है। देश में आपसी फूट की जो परंपरा शुरू हुई है, वह उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि, बौद्ध मठों का भी सर्वेक्षण कर उन्हें बौद्ध समाज को वापस करना चाहिए। यदि सही फैसला होता तो वहां पर बौद्ध मठ होता।'

अदालत ने क्या कुछ कहा?

मुस्लिम पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि एएसआई को सर्वे करने की अनुमति नहीं दी जाए। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि, 'वह इस मुद्दे पर गौर करेगा'।

कैविएट अर्जी दाखिल

दूसरी तरफ, हिंदू याचिकाकर्ताओं में से एक ने आज सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए पहले ही एक कैविएट अर्जी (caveat application) दाखिल कर दी। इस अर्जी के माध्यम से शीर्ष अदालत में आग्रह किया गया है कि अगर मुस्लिम पक्ष ASI को सर्वे को संचालन करने की अनुमति देने वाले हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करता है, तो बिना उनका पक्ष सुने हुए कोई भी आदेश पारित नहीं किया जाए।

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