तबाही से लगा सदमा: ऋषिगंगा आफत से बंद किया खाना-पीना, बस देख रहा एक टक

उत्तराखंड के ऋषिगंगा में आई भीषण आपदा से इंसानी तबाही तो मची ही, लेकिन इस तबाही का असर इंसानों के साथ ही जानवरों पर भी बहुत ज्यादा पड़ा। ऐसे ही एक बेजुबान मां 7 फरवरी से लगातार एक टक सिर्फ ऋषिगंगा को निहार रही है।

Update: 2021-02-13 11:17 GMT
उत्तराखंड के ऋषिगंगा में आई भीषण आपदा से इंसानी तबाही तो मची ही, लेकिन इस तबाही का असर इंसानों के साथ ही जानवरों पर भी बहुत ज्यादा पड़ा। ऐसे ही एक बेजुबान मां 7 फरवरी से लगातार एक टक सिर्फ ऋषिगंगा को निहार रही है।

नई दिल्ली। बीते रविवार को उत्तराखंड के ऋषिगंगा में आई भीषण आपदा से इंसानी तबाही तो मची ही, लेकिन इस तबाही का असर इंसानों के साथ ही जानवरों पर भी बहुत ज्यादा पड़ा। ऐसे ही एक बेजुबान मां 7 फरवरी से लगातार एक टक सिर्फ ऋषिगंगा को निहार रही है। अगर उसे बिस्किट या कुछ और खाने को दो तो वह नहीं खा रही है। पहाड़ी पर एकांत में बैठकर टकटकी लगाए इस बेजुबान को ग्लेशियर फटने से आई भयानक आफत से गहरा सदमा लगा हो।

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आपदा का शिकार

ऐसे में इस बेजुबान के बारे में स्थानीय लोगों ने बताया कि 7 फरवरी को आई आफत में इस बेजुबान के बच्चे भी बह गए। इसके साथ ही ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले कर्मचारी जो इसे खाना देते थे, वह भी आपदा का शिकार हो गए। और उस दिन से वह उदास है।

जिसके बाद से वह रोज सुबह आकर एक जगह पर बैठ जाती है और ऋषिगंगा नदी को निहारती है। हालाकिं कई लोग उसे खाना देने की कोशिश करते हैं, पर वह नहीं खाती है। और एक निगाह लगाए बैठी रहती है।

फोटो-सोशल मीडिया

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भीषण पशुहानि

उत्तराखंड में ऋषिगंगा की आपदा में भीषण जनहानि के साथ ही पशु हानि भी भारी मात्रा में हुई है। इंसानों की तो गिनती हो जाती है लेकिन इन बेजूबानों को कौन ध्यान रखता है। ग्रामीण इलाकों में पशुपालन आजीविका का बड़ा साधन है।

इस आफत में जिन लोगों के पशु बह गए हैं वह लोग भी काफी परेशान हैं। वहीं जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, जुवाग्वाड़ गांव के कई परिवारों की करीब 180 बकरियां और पेंग गांव के चार खच्चर लापता हैं। 7 फरवरी को ये जानवर नदी किनारे चरने के लिए गए थे।सामने आई जानकारी के अनुसार, 204 लोग इस आपदा में लापता हो गए।

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