कोरोना शिकस्त को बढ़े कदमः अब इस दवा को जल्द मिल जाएगी मंजूरी

तमाम प्रयासों के बाद भी देश में तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या ने दो लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि इस बीच राहत की बात ये है कि रिकवरी रेट में भी काफी सुधार हुआ है।

Update:2020-06-03 10:56 IST

नई दिल्ली: तमाम प्रयासों के बाद भी देश में तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या ने दो लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। हालांकि इस बीच राहत की बात ये है कि रिकवरी रेट में भी काफी सुधार हुआ है। अब तक देश में एक लाख से ज्यादा लोग रिकवर होकर अपने घर वापस लौट चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में कोरोना का रिकवरी रेट 48.07 फीसदी हो गया है।

कोरोना के इलाज में एक और दवा को मिल सकती है मंजूरी

इसकी वजह बताई जा रही है कि यहां डॉक्टरों ने कुछ ऐसी दवाओं के कॉम्बिनेशन की अनुमति दी है, जिससे मरीज जल्दी बीमारी से रिकवर हो रहे हैं। अब ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना के इलाज के लिए एक और दवा को भारत में मंजूरी दी जा सकती है।

ICMR एक और दवा की देगी अनुमति

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने सबसे पहले मलेरिया ड्रग हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी। फिर इबोला के इलाज में उपयोग होने वाली दवा रेमडेसिविर दवा को भी अनुमति दे दी गई है। उसके बाद अब ऐसा हो सकता है कि ICMR एक अन्य दवा को भी कोरोना के इलाज के लिए अनुमति दे सकती है।

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अमेरिकी दवा पेरामिविर को मिलेगी मंजूरी

जिस दवा को ICMR की मंजूरी मिल सकती है, उसका नाम पेरामिविर है। पेरामिविर को मार्केट में रैपीवैब के नाम से भी पुकारा जाता है। इस दवा को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने भी मान्यता दी हुई है। स्वाइन फ्लू और उसके जैसी बीमारियों के इलाज में इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है।

साल 2008 में शुरू हुआ था दवा का ट्रायल

इस एंटीवायल दवा का इस्तेमाल इमरजेंसी और डॉक्टरों की निगरानी में ही किया जा सकता है। इस दवा का उत्पादन अमेरिकी कंपनी बायोक्रिस्ट फार्मस्यूटिकल्स द्वारा किया जाता है। इस दवा का ट्रायल साल 2008 से ही शुरू किया गया था। जिसके बाद इसे साल 2014 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिसंबर मान्यता मिली।

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दवा के हैं कुछ साइड इफेक्ट्स

हालांकि इस दवा के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर डायरिया, सीरम, कब्ज, तनाव, रैशेस, नींद न आना, वहम होना, ग्लूकोस का बढ़ना, आदि। इसलिए दुनियाभर में इस दवा को डॉक्टरों की निगरानी में ही दिया जाता है।

किस तरह करती है अपना काम?

ये दवा संक्रमित कोशिकाओं से वायरस को दूसरे कोशिकाओं में फैलने से रोकती है। इसके साथ ही ये वायरस को नए कोशिकाओं पर हमला करने से भी रोकती है। जिससे वायरस शरीर में बढ़ता नहीं है। इस दवा को चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में भी मंजूरी दी गई हुई है।

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इससे पहले रेमडेसिविर को मिली थी मंजूरी

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने हाल ही में कहा था कि देश में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाई गई है। हर रोज तकरीबन एक लाख 20 हजार से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। इस बीच सरकार की तरफ से कोरोना से गंभीर रुप से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिविर दवा को मंजूरी भी दे दी है।

कोरोना के इलाज में बेहतर साबित हो रही रेमडेसिविर

रेमडेसिविर दवा का इस्तेमाल कोरोना से गंभीर रुप से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए किया जाएगा। इबोला के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा रेमडेसिवीर ही एक मात्र ऐसी दवा है जो कोरोना के इलाज में बेहद असरदार साबित होती नजर आ रही है।

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