सावधान चीन! भारत का ये प्लान, कर देगा खटिया खड़ी

वैसे ऐसा ही युद्धाभ्यास पहले ही सेना की पश्चिमी कमान कर चुकी है। यह युद्धाभ्यास पश्चिमी कमान ने भारतीय सेना की पाकिस्तान के खिलाफ क्षमता आकलन करने के लिए था।

Update:2023-07-08 07:11 IST

नई दिल्ली: चीन के खिलाफ भारतीय सेना ने 14,000 फुट की ऊंचाई पर नई युद्ध रणनीति का अभ्यास शुरू कर दिया है। अपनी तरह की यह पहली युद्ध रणनीति है। अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) से 100 किलोमीटर की दूरी पर यह युद्धाभ्यास किया जा रहा है।

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अरुणाचल प्रदेश के तवांग में सेना द्वारा अपनाए गए नए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) की क्षमता का परीक्षण करने के लिए कई चरणों में किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के निचले इलाकों में सेना की अभ्यास करने की शुरुआती योजना थी। मगर सेना का मकसद पूरा नहीं होता।

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इसलिए करीब 15,000 ​फुट की ऊंचाई पर अब यह युद्धाभ्यास किया जा रहा है। ये वो जहा है जहां चीन से बचाव के लिए सेना की अग्रिम चौकियां व पोस्ट हैं और बटालियन तैनात हैं। वैसे भारत के इस युद्धाभ्यास से चीन थोड़ा चिंतित जरूर है। मगर कूटनीतिक स्तर पर इसके बारे में बातचीत हो चुकी है।

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दरअसल अरुणाचल प्रदेश की सीमा के उस पार तिब्बत का वह स्वायत्त इलाका है जो फिलहाल चीन के कब्जे में है। इसकी वजह से चीन थोड़ा चिंतित है। मगर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसी महीने भारत दौरे पर आए थे तो उनसे यह स्पष्ठ किया गया कि लाइन ऑफ कंट्रोल से 100 किलोमीटर दूर यह युद्धाभ्यास किया जाएगा।

इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स है एक नया सैन्य प्रयोग

इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) एक नया सैन्य प्रयोग है, जिसके तहत सेना दुश्मन पर हमले के दौरान अपनी क्षमता को अधिक तेज और अधिक शक्तिशाली बनाना चाहती है। IBGs ब्रिगेड आधारित होगी और यह इलाके और खतरों के हिसाब से विशिष्ट क्षमताओं से लैस होंगी। इस अभ्यास की शुरुआती प्रक्रिया संपन्न की जा चुकी है। यह अभ्यास कई चरणों में होगा और अंतिम चरण का अभ्यास 25 अक्टूबर को संपन्न होगा।

युद्ध अभ्यास बड़ी चुनौती

IBGs अलग विंग में सेना के कामकाज को अंजाम देगी। यह सेना के एक कमांड के तहत पैदल सेना, तोपखाना और हवाई सुरक्षा जैसी सभी युद्धक क्षमताओं का एक साथ इस्तेमाल करेगी। सूत्रों का कहना है​ कि इसकी युद्ध करने की क्षमता इलाकों और जरूरतों के मुताबिक अलग-अलग होगी।

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जैसे ऊंचे इलाकों या पहाड़ों पर यह विंग तोपों से लैस होगी जो पैदल सेना की बटालियनों के साथ तालमेल बिठाएगी। वहीं रेगिस्तानों में इसका स्वरूप अलग होगा। वहां दूसरे हथियारों के साथ टैंक से लैस बख्तरबंद कॉर्प यूनिट होंगी।

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सूत्रों का कहना है कि, 'जहां पर यह अभ्यास किया जा रहा है, वहां पर भौगोलिक सीमाओं के यह कई चरणों में ही की जा सकती है। एक सीमित इलाके में इन युद्ध अभ्यासों को अंजाम देना बड़ी चुनौती है क्योंकि हम लाइन ऑफ कंट्रोल के करीब नहीं जा सकते।'

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वैसे ऐसा ही युद्धाभ्यास पहले ही सेना की पश्चिमी कमान कर चुकी है। यह युद्धाभ्यास पश्चिमी कमान ने भारतीय सेना की पाकिस्तान के खिलाफ क्षमता आकलन करने के लिए था। मगर यह अभ्यास चीन को ऊंचे इलाकों में ध्यान में रखते हुए कभी नहीं किया गया था। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के योल में सेना की पश्चिमी कमान के मातहत पहला इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) गठन किया जाएगा।

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