राफेल की तैनाती: लद्दाख में दिखायेगा अपनी जाबांजी, यहां जानें ये दस खतरनाक बातें 

राफेल विमान, फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। राफेल लड़ाकू विमानों को ओमनिरोल विमानों के रूप में रखा गया है, जो कि युद्ध के समय अहम रोल निभाने में सक्षम हैं।

Update:2020-07-27 14:34 IST

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना को और शक्तिशाली बनाने के लिए पांच राफेल फाइटर जेट ने फ्रांस से उड़ान भर दी है। आज का दिन बहुत ख़ास है वर्तमान में जबकि दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन से तनाव बरक़रार है ऐसे में राफेल का भारतीय सेना के बेड़े शामिल होना दुश्मन देश की बेचैनी बढ़ाएगी। बताया जा रहा है कि इन पांचों फाइटर प्लेन को सात भारतीय पायलट उड़ाकर अंबाला एयरबेस ला रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि फ्रांस से भारत आते समय पांचों फाइटर प्लेन को 28 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अल डाफरा एयरबेस पर उतारा जाएगा।

राफेल विमान 29 जुलाई की सुबह भारत पहुंचेंगे

अल डाफरा एयरबेस की जिम्मेदारी फ्रांस एयरफोर्स के पास है। यहां पर राफेल विमानों की चेकिंग और फ्यूल भरा जाएगा। इसके बाद पांचों राफेल विमान 29 जुलाई की सुबह भारत पहुंचेंगे। राफेल को अंबाला एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने की डील की है, जिसमें से पांच विमान की डिलीवरी दी जा रही है।

वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं में और वृद्धि

आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि राफेल लड़ाकू विमानों को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात किए जाने की संभावना है जिससे कि भारतीय वायुसेना चीन के साथ विवाद के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी अभियानगत क्षमताओं को मजबूत कर सके। अधिकारियों ने कहा कि राफेल विमानों के आने के बाद वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं में और वृद्धि होगी। भारत ने लगभग 58 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इन 36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षण देने वाले विमान होंगे।

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यहां जानें क्या है राफेल विमान और कितना है शक्तिशाली

बता दें कि राफेल विमान, फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। राफेल लड़ाकू विमानों को ओमनिरोल विमानों के रूप में रखा गया है, जो कि युद्ध के समय अहम रोल निभाने में सक्षम हैं। हवाई हमला, जमीनी समर्थन, वायु वर्चस्व, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध ये सारी राफेल विमान की खूबियां हैं।

राफेल के बारे में जानें वो दस बातें जो इस विमान को शक्तिशाली और खतरनाक बनाती हैं-

1- राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।

2- अधिकतम भार उठाकर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम है।

3-विमान में फ्यूल क्षमता- 17,000 किलोग्राम किलोग्राम है।

4-यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है। हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता।

5-24,500 किलो उठाकर ले जाने में सक्षम और 60 घंटे अतिरिक्त उड़ान की गारंटी।

6-150 किमी की बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल, हवा से जमीन पर मार वाली स्कैल्प मिसाइल।

7-स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी, हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी।

8-राफेल की अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता।

9-1 मिनट में 60,000 फुट की ऊंचाई और 4।5 जेनरेशन के ट्विन इंजन से लैस।

10-75 फीसदी विमान हमेशा ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।

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राफेल विमान भारत सरकार के लिए एकमात्र विकल्प नहीं था

राफेल की जितनी खूबियां गिनाई जाएं कम हैं। अबतक इसको अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है। वित्तीय कारणों से भारतीय वायु ने लंबे टेस्ट के बाद राफेल को चुना। दरअसल राफेल विमान भारत सरकार के लिए एकमात्र विकल्प नहीं था। इस डील के लिए कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं ने भारतीय वायुसेना से पेशकश की थी। इनमें से छह बड़ी विमान कंपनियों को चुना गया। जिसमें लॉकहेड मार्टिन का एफ-16, बोइंग एफ/ए-18 एस, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग -35, स्वीडन की साब की ग्रिपेन और राफेल शामिल थे।

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परमाणु अभियानों को अंजाम देने में दक्ष

भारतीय वायुसेना ने विमानों के परीक्षण और उनकी कीमत के आधार पर राफेल और यूरोफाइटर को शॉर्टलिस्ट किया। यूरोफाइटर टायफून काफी महंगा है। इस कारण भी डलास से 126 राफेल विमानों को खरीदने का फैसला किया गया है। तकनीक में उन्नत यह विमान हवाई टोह, ग्राउंड सपोर्ट, इन डेप्थ स्ट्राइक, एंटी-शर्प स्ट्राइक और परमाणु अभियानों को अंजाम देने में दक्ष है। इसमें मल्टी मोड रडार लगे हैं।

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