जम्मू-कश्मीर में इसलिए मची है खलबली, यहां जानें पूरा मामला

बीजेपी के राजनीतिक अजेंडे में धारा 370 शामिल है। पार्टी इसे हटाने के मूड में है। ऐसे में सरकार को इसपर निर्णायक फैसला लेने के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। हालांकि, बीजेपी के लिए ये राह आसान नहीं होगी क्योंकि जेडीयू और अकाली दल इसके विरोध में हैं।

Update: 2019-08-03 03:00 GMT

नई दिल्ली: आतंकी हमलों की आशंका के मद्देनजर शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा एडवाइजरी जारी की। इसके साथ ही अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया और सभी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने को कहा गया।

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सुरक्षा से जुड़े बदले हालात को देखते हुए राज्य की प्रमुख पार्टियों ने आपात बैठक बुलाई गई। राज्य की पार्टियों को अंदेशा है कि केंद्र सरकार कुछ बड़ा फैसला ले सकती है, जिसके तहत आपात बैठक बुलाई गई। इन सबके बीच एक बड़ा सवाल ये उभरकर सामने आया कि घाटी को बाहरी ताकतों से खतरा है या मामला कुछ अंदरूनी है।

अभी नहीं तो कभी नहीं

मालूम हो, जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही विवादों में घिरा रहा है। इसपर न सिर्फ पाकिस्तान अपना हक जताता है बल्कि इंडिया में भी इसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों की अलग-अलगा सोच है। ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार को लगता है कि 35 ए को जम्मू-कश्मीर से हटा देना चाहिए जबकि बाकी पार्टियां कहती हैं कि धारा 35 ए और धारा 370 हटना नहीं चाहिए। वैसे मोदी सरकार का मनाना है कि यही सही मौका है धारा 35 ए हटवाने का। यही वजह है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कह सकती है कि उसे इस धारा को हटाने से आपत्ति नहीं है।

क्या कहता है संविधान का 35 ए अनुच्छेद?

भारतीय संविधान का 35 ए अनुच्छेद एक अनुच्छेद है जो जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमण्डल को “स्थायी निवासी” परिभाषित करने तथा उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है। यह भारतीय संविधान में जम्मू और कश्मीर सरकार की सहमति से राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया, जो कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा 14 मई 1954 को जारी किया गया था। यह अनुच्छेद 370 के खण्ड (1) में उल्लेखित है।

अनुच्छेद 370 क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है। संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।

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जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए।

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बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया।

बीजेपी को तीन तलाक से मिली हिम्मत

तीन तलाक कानून देश में पिछले साल से ही लागू हो चुका है। इस बिल के राज्यसभा में पास होने के बाद से बीजेपी को लगता है कि अब वह विपक्ष को उच्च सदन में भी मात दे सकती है। दरअसल, बीजेपी के राजनीतिक अजेंडे में धारा 370 शामिल है। पार्टी इसे हटाने के मूड में है। ऐसे में सरकार को इसपर निर्णायक फैसला लेने के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। हालांकि, बीजेपी के लिए ये राह आसान नहीं होगी क्योंकि जेडीयू और अकाली दल इसके विरोध में हैं।

जम्मू-कश्मीर में हुई ये बड़ी हलचल

  • 27 जुलाई: 10,000 से ज्यादा जवानों को जम्मू-कश्मीर में तैनात कर दिया गया।
  • 28 जुलाई: पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर पर फोकस किया। उन्होंने कहा, विकास की मदद से बंदूक और बमों पर विजय पाई जा सकती है।
  • 30 जुलाई: दिल्ली में जम्मू-कश्मीर बीजेपी इकाई के कोर ग्रुप की अहम बैठक हुई। विधानसभा चुनाव इसी साल कराने के संकेत दिए गए।

115 विदेशी आतंकी घाटी में छुपे हैं

मिली जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में तकरीबन 270-275 आतंकी सक्रिय रूप से अपना काम कर रहे हैं, जबकि इनमें से 115 विदेशी आतंकी हैं। इस मामले में सूत्रों का कहना है कि करीब 200 आतंकी पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ करने की फिराक में हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने घाटी में 10 हजार अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी है।

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